नई दिल्ली (India CSR): भारत के अस्पिरेशनल जिलों में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) व्यय में पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, CSR खर्च FY 2020-21 में 651.43 करोड़ रुपये से बढ़कर FY 2022-23 में 1402.89 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यह वृद्धि देश के पिछड़े क्षेत्रों में संतुलित और टिकाऊ विकास के प्रति कंपनियों की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
यह जानकारी श्री हर्ष मल्होत्रा, राज्य मंत्री (कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय) द्वारा लोकसभा में लिखित जवाब के रूप में साझा की गई।
1. अस्पिरेशनल जिलों का महत्व
अस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम जनवरी 2018 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य 112 पिछड़े जिलों का समग्र विकास करना है। इन जिलों का चयन स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख विकास सूचकांकों के खराब प्रदर्शन के आधार पर किया गया था।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरकारी योजनाओं, CSR फंड और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ मिलकर इन जिलों में परिवर्तनकारी विकास लाना है।
2. CSR खर्च में तीन वर्षों की वृद्धि
CSR खर्च के आंकड़े निम्नलिखित हैं:
वित्तीय वर्ष | CSR खर्च (रुपये में करोड़) | वृद्धि (%) |
---|---|---|
2020-21 | 651.43 | 0.00% |
2021-22 | 1046.43 | 60.64% |
2022-23 | 1402.89 | 34.06% |
तीन वर्षों में CSR खर्च में कुल 115% की वृद्धि हुई है। इसका सीधा लाभ स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में देखने को मिला है।
3. CSR के लिए कानूनी ढांचा
CSR व्यय भारतीय कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के सेक्शन 135 के तहत अनिवार्य है। यह प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है जिनकी:
- टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये से अधिक है।
- शुद्ध संपत्ति (Net Worth) 500 करोड़ रुपये से अधिक है।
- शुद्ध लाभ (Net Profit) 5 करोड़ रुपये से अधिक है।
कानून के अनुसार, कंपनियों को अपने औसत लाभ का 2% CSR गतिविधियों में खर्च करना अनिवार्य है।
4. अस्पिरेशनल जिलों में CSR का प्रभाव
CSR फंड के माध्यम से पिछड़े जिलों में बुनियादी सेवाओं को बेहतर बनाया जा रहा है। कंपनियाँ निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं:
- स्वास्थ्य: ग्रामीण अस्पतालों में बुनियादी ढाँचा, टीकाकरण अभियान और मोबाइल हेल्थ क्लीनिक।
- शिक्षा: स्कूलों में डिजिटल क्लासरूम, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और लाइब्रेरी निर्माण।
- ग्रामीण विकास: जल संरक्षण, सौर ऊर्जा और कृषि परियोजनाएँ।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता।
“CSR व्यय में निरंतर वृद्धि यह दर्शाती है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र सामाजिक विकास में एक मजबूत भागीदार बन रहा है। 1402.89 करोड़ रुपये का निवेश सिर्फ आंकड़ा नहीं है, यह भारत के पिछड़े जिलों में आशा, समावेशी विकास और सशक्तिकरण का प्रतीक है। स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास में कंपनियों की भागीदारी से ये जिले एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।”
— रुसेन कुमार, संस्थापक, India CSR
5. CSR क्यों महत्वपूर्ण है?
अस्पिरेशनल जिलों को अक्सर संसाधनों की कमी और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण उपेक्षित किया जाता है। CSR निवेश से:
- क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने में मदद मिलती है।
- स्वास्थ्य और शिक्षा तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित होती है।
- स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाता है।
CSR केवल कानूनी अनिवार्यता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय विकास और सामाजिक समानता का एक मजबूत माध्यम बन रहा है।
6. आगे की राह
CSR व्यय में यह बढ़ोतरी भारत के अस्पिरेशनल जिलों के लिए आशाजनक भविष्य की ओर संकेत देती है। सरकार, कंपनियों और सामाजिक संगठनों के बीच सहयोग और प्रभावी संसाधन प्रबंधन से इस प्रगति को बनाए रखा जा सकता है।
FY 2022-23 में 1402.89 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, CSR एक परिवर्तनकारी शक्ति बनकर उभर रहा है। इसका लक्ष्य इन पिछड़े क्षेत्रों में स्थायी और समावेशी विकास लाना है।
निष्कर्ष
पिछले तीन वर्षों में CSR खर्च में हुई वृद्धि से यह स्पष्ट है कि कॉर्पोरेट जगत भारत के पिछड़े जिलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। लक्षित निवेश और सामूहिक प्रयासों से अस्पिरेशनल जिलों में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। यह समावेशी और उज्जवल भविष्य के लिए एक सशक्त कदम है।
(India CSR)
इसे अंग्रेजी में भी पढ़ें: CSR Expenditure Rises to Rs. 1402.89 Cr in Aspirational Districts