दिग्गज मेटल कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) ने वित्त वर्ष 2022-23 में इलेक्टोरल बांड के जरिए 155 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को दिया है. कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज के पास रेग्यूलेटरी फाइलिंग में इसका खुलासा किया है. आपको बता दें वेदांता लिमिटेड अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की प्रोमोटेड कंपनी है.
कर्ज में डूबे होने के बावजूद पिछले पांच वर्षों में वेदांता लिमिटेड ने इलेक्टोरल बांड के जरिए 457 करोड़ रुपये का चंदा अलग अलग राजनीतिक दलों को दिया है. 2018 में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान इलेक्टोरल बांड स्कीम को लॉन्च किया गया था. इलेक्टोरल बांड स्कीम का मकसद राजनीतिक दलों को पारदर्शी तरीके से चंदा देने का विकल्प उपलब्ध कराना था. कोई भी व्यक्ति या कॉरपोरेट इलेक्टोरल बांड को खरीद कर राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है.
सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ही केवल इलेक्टोरल बांड को जारी कर सकती है और एसबीआई में इन बांड को भूनाया जा सकता है. एसबीआई के कुछ चुनिंदा शाखा ही इन बांड को जारी कर सकते हैं और वहीं उन्हें इनकैश कर सकते हैं. वेदांता ने 2021-22 में 123 करोड़ रुपये का चंदा इलेक्टोरल बांड के रूप में राजनीतिक दलों को चंदा दिया था. लेकिन 2022-23 में ये रकम बीते साल के मुकाबले ज्यादा है. 2020-21 में कंपनी चंदा नहीं दिया था. जबकि 2019-20 में 114 करोड़ रुपये और 2018-19 में 65 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा दिया था.
आंकड़ों के मुताबिक 2018 से लेकर 2022 के बीच इलेक्टोरल बांड के जरिए भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 5270 करोड़ रुपये, कांग्रेस 964 करोड़ रुपये और ममता बनर्जी की टीएमसी को 767 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा प्राप्त हुआ है.
इलेक्टोरल बांड स्कीम की भारी आलोचना भी होती है. मौजूदा समय में 20,000 रुपये से कम चंदा इलेक्टोरल बांड के जरिए देने वालों के नाम का खुलासा करने के लिए राजनीतिक दल बाध्य नहीं है.