यह अभियान भारत में पेप्सीको के प्रेसीज़न एग्रीकल्चर मॉडल का हिस्सा है
नई दिल्ली (इंडिया सीएसआर हिंदी): पेप्सीको इंडिया ने अपने ब्रांड ‘‘लेज़’’ के माध्यम से फसल एवं खेत के लिए प्रेडिक्टिव इंटैलिजेंस मॉडल की घोषणा की है ताकि किसानों को यूज़र-फ्रेंडली मोबाईल ऐप्स पर फंक्शनल डैशबोर्ड्स द्वारा आलू की गुणवत्तापूर्ण फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिल सके।
कृषि क्षेत्र में उद्योग का प्रथम क्लाउड बनाने के लिए बहुराष्ट्रीय एग्रीटेक कंपनी, क्रोपिन के साथ गठबंधन करके इस सुविधा की शुरुआत की गई है। अभियान भारत के लिए पेप्सीको के ‘प्रेसिज़न एग्रीकल्चर’ मॉडल का हिस्सा है और इसे गुजरात एवं मध्य प्रदेश में डेमो फार्म्स में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है।
भारत में ज्यादातर किसानों के पास एक हेक्टेयर से कम कृषिभूमि है। उन्हें कृषि के लिए पानी, खाद, और कीटनाशकों जैसी कृषि सामग्री की सही मात्रा को पहचानने तथा मौसम की जानकारी देने वाले साधनों की कमी के कारण लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए आलू की पैदावार का नुकसान फसल के ब्लाईट रोग के कारण होता है, और यदि समय पर इसकी भविष्यवाणी न हो, तो 80 फीसदी तक फसल बर्बाद हो सकती है। देश में उत्तरी हिस्सों में जमीन में पाला पड़ने के कारण होने वाला फसल का नुकसान आलू किसानों की एक और गंभीर समस्या है।

पेप्सीको के ब्रांड ‘लेज़’ के अंतर्गत इस नए अभियान में इन चुनौतियों को हल करने की क्षमता है। इसमें कृषि संबंधी जरूरी जानकारी प्रदान करने के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा के साथ सैटेलाईट से मिले चित्रों का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली 10 दिन पहले तक का पूर्वानुमान दे सकती है।
इसके द्वारा किसानों को मौसम के पूर्वानुमान एवं ऐतिहासिक आँकड़ों पर आधारित बीमारी चेतावनी प्रणाली द्वारा फसल के विभिन्न चरणों की पहचान करने और फसल के स्वास्थ्य की करीब से निगरानी करने में मदद मिलती है।
भारत में पेप्सीको 14 राज्यों में 27,000 से ज्यादा किसानों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करता है। इसके ‘लेज़’ ब्रांड के लिए 100 फीसदी आलू देश में ही किसानों से खरीदे जाते हैं। पायलट के चरण में किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण और सहयोग खेत कृषिविदों द्वारा दिया जाता है, जो उन्हें डैशबोर्ड को समझने एवं इससे मिलने वाली जानकारी का उपयोग करने में मदद करते हैं। वर्तमान में इस मॉडल में 62 खेतों में नमूना परीक्षण किया जा रहा है, जिनमें 51 खेत गुजरात में और 11 खेत मध्य प्रदेश में हैं।
इस मॉडल के फायदों के बारे में अनुकूल जोशी, डायरेक्टर – एग्रो, पेप्सीको इंडिया ने कहा, ‘‘दिल से एक कृषि कंपनी होने के नाते हम सस्टेनेबल, लचीले और समावेशी समाधान लाना चाहते हैं, जो किसानों की विभिन्न समस्याओं को हल करें और उन्हें अपनी आजीविकास में सुधार लाने में मदद करें। इस नए अभियान में क्रोपिन के साथ अपनी साझेदारी द्वारा हम यह समाधान भारत में पेप्सीको किसानों को देना और उन्हें फसल के स्वास्थ्य पर हाथों-हाथ नजर रखने में समर्थ बनाना चाहते हैं, ताकि वो सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता और सर्वाधिक पैदावार वाली फसल दे सकें।’’

इस साझेदारी के बारे में कृष्ण कुमार, को-फाउंडर एवं सीईओ, क्रोपिन ने कहा, ‘‘अपने ब्रांड ‘लेज़’ द्वारा पेप्सीको कृषि का आधुनिकीकरण करने और जमीनी स्तर पर इसके प्रभाव उत्पन्न करने के तरीकों में नेतृत्व कर रहा है। डिजिटल परिवर्तन की ओर उनके केंद्रण से एक तरफ व्यवसाय की वृद्धि में मदद मिलती है, तो दूसरी तरफ छोटे खेतधारक किसान सशक्त बनते हैं, सस्टेनेबिलिटी का विकास होता है, और वैश्विक कृषि में नए मानक स्थापित होते हैं। क्रोपिन के प्रमाणित प्लॉट-लेवल प्रेडिक्टिव इंटैलिजेंस समाधान का उपयोग कर पेप्सीको बिज़नेस के जोखिम को कम कर रहा है, और प्रभावशाली व्यवसायिक प्रबंधन के लिए फसल की पैदावार एवं स्वास्थ्य, पानी की कमी, कीट एवं बीमारी के प्रारंभिक संकेतों का पूर्वानुमान दे रहा है।’’
किसान इस्तेमाल में आसान स्मार्टफोन ऐप्स, जैसे खेत के आँकड़ों के प्रबंधन के लिए ‘‘क्रोपिन ग्रो’’ और फसल की जानकारी के लिए ‘‘प्लॉट रिस्क’’ में डैशबोर्ड्स से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ये ऐप अनेक भाषाओं को सपोर्ट करते हैं, और पेप्सीको सप्लाई चेन में समावेशन की ओर अपनी प्रतिबद्धता के साथ 14 क्षेत्रीय भाषाओं में समाधान प्रदान करने की योजना बना रहा है। दुनिया के सबसे बड़े फसल ज्ञान ग्राफ द्वारा निर्मित क्रोपिन के प्रेडिक्टिव एवं प्लॉट इंटैलिजेंस मॉडल फसल की विशेष किस्मों, परिस्थितियों, और स्थानों के लिए फाईन-ट्यून किए गए हैं।
भारत में पेप्सीको ने 2018 में कृषि कार्यों के डिजिटलाईज़ेशन के साथ कृषि टेक्नॉलॉजी में पहल करना शुरू किया, और स्मार्ट एग्रो प्रोग्राम के अंतर्गत कृषि कार्यों को सैप सिस्टम्स पर ले जाया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किफायती टेक्नॉलॉजी द्वारा उत्पादकता और पानी की सुरक्षा बढ़ाना था। क्रॉप इंटैलिजेंस मॉडल अगला डिजिटल इनोवेशन है। यह अन्य समाधानों के मुकाबले प्रति एकड़ बहुत कम लागत में स्थापित किया जा सकता है, इसलिए यह बहुत किफायती है, और छोटे किसान भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
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