यह महत्वपूर्ण संशोधन अनस्पेंट सीएसआर फंड के बारे में है।
नयी दिल्ली (इंडिया सीएसआर हिंदी)। यदि किसी कंपनी के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) खाते में कोई राशि बची रह गई है, तो अब उन्हें सीएसआर समिति का गठन करना होगा, सरकार ने कंपनियों को ऐसा निर्देश दिया है।
इसके लिए कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने सीएसआर के प्रबंधन से संबंधित नियमों में संशोधन किया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी दी गई है।
कंपनी कानून 2013 के अंतर्गत लाभ कमाने वाली कुछ श्रेणी की कंपनियों को पिछले तीन वित्त वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत किसी एक साल में सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना पड़ता है।
इंडिया सीएसआर के संपादक रुसेन कुमार का कहना है कि इस प्रावधान के आने से कंपनियों के निदेशक मंडल की रिपोर्ट में शामिल की जाने वाली सीएसआर गतिविधियों की वार्षिक रिपोर्ट को भरने के प्रारूप में भी बदल किया गया है।
सरकार ने कहा – “परंतु यह और कि कोई कंपनी, जिसकी धारा 135 की उपधारा (6) के अनुसार, अपने अव्ययित कारपोरेट सामाजिक दायित्व खाते में, किसी प्रकार की राशि है तो वह सीएसआर
समिति का गठन करेगी और उक्त धारा की उपधारा (2) से (6) में जनहित उपबंधों का अनुपालन करेगी।”; (Download the amendment)
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रुसेन कुमार ने कहा कि इस तरह के प्रावधान से सीएसआर में पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे सीएसआर का प्रभावी संचालन होगा।
सीएसआर नियमों के तहत किसी वित्त वर्ष में किसी परियोजना पर खर्च की जाने वाली राशि बच गई है या सीएसआर गतिविधियों से कुछ अधिशेष बना है, तो कंपनी को उसे विशेष बैंक खाते ‘बिना खर्च वाला कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व खाता’ में जमा करना होता था।
संशोधित नियमों के अंतर्गत किसी कंपनी को सीएसआर से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा। इस विशेष बैंक खाते में जब तक कोई राशि बची है, तो कंपनी के लिए सीएसआर समिति का गठन करना जरूरी होगा।