Holi 2024: होली, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, रंगों का त्योहार होली, खुशियों से भरपूर एक ऐसा अवसर है, जो ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन 25 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी. होली दो दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें पहला दिन होलिका दहन और दूसरा दिन धुलेंडी के नाम से जाना जाता है. आइये, अब इस रंगीन पर्व के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।
होली और होलिका दहन का समय/मुहूर्त
होलिका दहन | 24 मार्च, 2024 (रविवार) |
होली तिथि | 25 मार्च, 2024 (सोमवार) |
पूर्णिमा तिथि आरंभ | 24 मार्च 2024 को 09:54 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 25 मार्च 2024 को 12:29 बजे |
होलिका दहन का समय/मुहूर्त | 11:13 अपराह्न – 12:27 पूर्वाह्न |
भारत में होली के विभिन्न प्रकार:
होली भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। कुछ प्रसिद्ध प्रकारों में शामिल हैं:
1. चिता भस्म होली
चिता भस्म होली काशी (वाराणसी) में मनाई जाती है। इसे मसान होली भी कहा जाता है। इस होली में लोग चिता की राख से होली खेलते हैं। यह होली भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। इस होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक भी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने यमराज को हराने के बाद चिता की राख से ही होली खेली थी। तब से इस दिन को यादगार बनाने के लिए हर साल मसान होली खेली जाती है। यह त्योहार 2 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन लोग चिता से राख इकट्ठा करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं।
2. लठमार होली (Lathmar Holi)
लठमार होली भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा के पास बरसाना और नंदगांव के गांवों में मनाई जाने वाली एक अनूठी होली है। यह त्योहार राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है।
त्योहार के दौरान, बरसाना की महिलाएं लाठियों से नंदगांव के पुरुषों पर लाठियाँ बरसाती हैं। पुरुष ढाल और लाठियों से अपना बचाव करते हैं। रंगों का भी खूब इस्तेमाल होता है।
लठमार होली का इतिहास राधा और कृष्ण की किंवदंती से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि एक बार कृष्ण बरसाना आए थे और उन्होंने गोपियों के साथ होली खेली थी। गोपियां कृष्ण की शरारतों से नाराज थीं और उन्होंने उन्हें लाठियों से भगा दिया था।
तब से, बरसाना की महिलाएं लठमार होली के दौरान पुरुषों पर लाठियाँ बरसाती हैं। यह त्योहार राधा और कृष्ण के प्रेम और गोपियों की शक्ति का प्रतीक है।
लठमार होली एक बहुत ही रंगीन और जीवंत त्योहार है। यह त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।
3. फूलों की होली
फूलों की होली, जिसे बसंतोत्सव भी कहा जाता है, भारत में मनाई जाने वाली होली का एक विशेष रूप है। यह त्योहार रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इसमें सूखे रंगों या पानी के बजाय फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।
फूलों की होली आमतौर पर होली के अगले दिन, रंगों की होली के बाद मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है।
फूलों की होली मथुरा और वृंदावन के शहरों में सबसे लोकप्रिय है, जो भगवान कृष्ण से जुड़े हैं। इन शहरों में, लोग फूलों से सजी हुई गलियों में जुलूस निकालते हैं और एक-दूसरे पर फूलों की वर्षा करते हैं।
फूलों की होली एक बहुत ही रंगीन और सुंदर त्योहार है। यह त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।
यहां फूलों की होली मनाने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- फूलों की पंखुड़ियों से एक-दूसरे को ढकें।
- फूलों से सजी हुई गलियों में जुलूस निकालें।
- फूलों की होली पर आधारित गीत और नृत्य करें।
- फूलों से बने विशेष व्यंजनों का आनंद लें।
4. कुमाउनी होली
कुमाउनी होली उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाई जाने वाली होली का एक अनूठा रूप है। यह त्योहार रंगों, संगीत और नृत्य का उत्सव है।
कुमाउनी होली कई दिनों तक मनाई जाती है। त्योहार की शुरुआत ‘खड़ी होली’ से होती है, जो होली से एक सप्ताह पहले मनाई जाती है। इस दिन, लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।
होली के दिन, लोग रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं। वे पारंपरिक व्यंजनों का भी आनंद लेते हैं और होली के गीत गाते हैं।
कुमाउनी होली का एक विशेष आकर्षण ‘बैठकी होली’ है। बैठकी होली एक संगीत कार्यक्रम है जिसमें लोक गायक और नर्तक प्रदर्शन करते हैं।
कुमाउनी होली एक बहुत ही रंगीन और जीवंत त्योहार है। यह त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।
यहां कुमाउनी होली मनाने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर पानी फेंकें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
- बैठकी होली में भाग लें।
- होली के गीत गाएं और नृत्य करें।
5. बसंत उत्सव या बंगाली होली
बसंत उत्सव, जिसे बंगाली होली भी कहा जाता है, पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली होली का एक अनूठा रूप है। यह त्योहार रंगों, संगीत, नृत्य और साहित्य का उत्सव है।
बसंत उत्सव होली के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
बसंत उत्सव का एक विशेष आकर्षण डोल या पहला दिन है। इस दिन, लोग श्रीकृष्ण और राधा की मूर्तियों को जुलूस में ले जाते हैं। वे पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।
बसंत उत्सव का एक और महत्वपूर्ण पहलू पोहेला बोइशाख है, जो बंगाली नव वर्ष है। यह दिन बसंत उत्सव के अंतिम दिन मनाया जाता है। इस दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों को सजाते हैं, और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
बसंत उत्सव एक बहुत ही रंगीन और जीवंत त्योहार है। यह त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।
यहां बसंत उत्सव मनाने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
- डोल या पहला दिन जुलूस में भाग लें।
- पोहेला बोइशाख मनाएं।
- बसंत उत्सव के गीत गाएं और नृत्य करें।
6. रंग पंचमी
रंग पंचमी होली के पांचवें दिन मनाया जाने वाला एक उत्सव है। यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है।
रंग पंचमी का महत्व रंगों से खेलने और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकने में निहित है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
रंग पंचमी के दिन, लोग पारंपरिक व्यंजनों का भी आनंद लेते हैं और होली के गीत गाते हैं।
रंग पंचमी मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
- होली के गीत गाएं और नृत्य करें।
7. शिग्मो फेस्टिवल
शिग्मो फेस्टिवल गोवा में मनाया जाने वाला एक रंगीन और सांस्कृतिक उत्सव है, जो होली के दिन से शुरू होकर 14 दिनों तक चलता है। इस उत्सव में पारंपरिक लोक नृत्य, पौराणिक दृश्यों का चित्रण, और रंग-बिरंगी झांकियां प्रमुख आकर्षण होती हैं। शिग्मो उत्सव के दौरान, गोवा की स्थानीय संस्कृति और लोककथाओं को दर्शाया जाता है, और यह वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। इस साल गोवा में शिग्मोत्सव की शुरुआत 26 मार्च से हो रही है और 8 अप्रैल 2024 तक चलेगी।
शिग्मो उत्सव के दो प्रकार हैं:
- धाक्तो शिग्मो (छोटा शिग्मो), जिसे मुख्य रूप से किसान, मजदूर और ग्रामीण मनाते थे।
- व्हाडलो शिग्मो (बड़ा शिग्मो), जिसे व्यापक रूप से मनाया जाता था, और इसमें सभी शामिल होते थे।
यहां शिग्मो महोत्सव मनाने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- पारंपरिक वेशभूषा पहनें और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचें-गाएं।
- एक-दूसरे पर रंग और पानी फेंकें।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें, जैसे कि लोक नृत्य, संगीत और नाटक।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
8. होला मोहल्ला
होला मोहल्ला एक प्रमुख सिख उत्सव है जो मुख्य रूप से पंजाब के आनंदपुर साहिब में मनाया जाता है। यह उत्सव होली के अगले दिन से शुरू होता है और छह दिनों तक चलता है। इस दौरान, सिख समुदाय के लोग विभिन्न प्रकार के मार्शल आर्ट्स, तलवारबाजी, घुड़सवारी और अन्य शौर्यपूर्ण क्रियाकलापों का प्रदर्शन करते हैं।
इस उत्सव की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने की थी, जिन्होंने समाज के दुर्बल और शोषित वर्ग की प्रगति के लिए इसे प्रोत्साहित किया। होला मोहल्ला के दौरान निहंग सिखों के अखाड़े अपने पारंपरिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं और नगर कीर्तन के साथ रंगों की बरसात भी होती है। इस उत्सव में विशाल लंगर का भी आयोजन होता है, जहाँ सभी लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
अगर आप होला मोहल्ला में भाग लेना चाहते हैं, तो आप:
- श्री आनंदपुर साहिब जा सकते हैं, जहाँ यह त्यौहार मुख्य रूप से मनाया जाता है।
- पारंपरिक वेशभूषा पहन सकते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच सकते हैं।
- एक-दूसरे पर रंग और पानी फेंक सकते हैं।
- निहंगों के प्रदर्शन का आनंद ले सकते हैं।
- नगर कीर्तन में भाग ले सकते हैं।
9. डोला उत्सव
डोला उत्सव, जिसे होली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
डोला उत्सव आमतौर पर फरवरी या मार्च में मनाया जाता है और यह कई दिनों तक चलता है। इस त्योहार के दौरान, लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
डोला उत्सव का एक विशेष आकर्षण डोल या पहला दिन है। इस दिन, लोग श्रीकृष्ण और राधा की मूर्तियों को जुलूस में ले जाते हैं। वे पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।
डोला उत्सव का एक और महत्वपूर्ण पहलू फाग है। फाग होली के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक गीत हैं। ये गीत श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन करते हैं।
डोला उत्सव मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
- डोल या पहला दिन जुलूस में भाग लें।
- फाग गाएं और नृत्य करें।
10. मंजुल कुली
मंजुल कुली होली, जिसे उक्कुली के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दक्षिणी राज्य केरल में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार रंगों से खेलने के बजाय पानी और हल्दी से मनाया जाता है।
मंजुल कुली होली होली के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। वे फिर कोंकणी मंदिरों में जाते हैं और भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, लोग एक-दूसरे पर पानी और हल्दी फेंकना शुरू करते हैं।
मंजुल कुली होली का एक विशेष आकर्षण पोय काली अट्टम है। यह एक पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन है जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन करता है।
मंजुल कुली होली मनाने के कुछ तरीके:
- कोंकणी मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करें।
- एक-दूसरे पर पानी और हल्दी फेंकें।
- पोय काली अट्टम नृत्य प्रदर्शन में भाग लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
11. खालसा होली
खालसा होली, जिसे होला मोहल्ला भी कहा जाता है, सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव है। यह उत्सव खालसा पंथ के जन्मस्थल, तख्त श्री केसगढ़ साहिब में धार्मिक परंपराओं के साथ मनाया जाता है। होला मोहल्ला उत्सव की शुरुआत गुरु गोबिंद सिंह जी ने सन 1700 में की थी, जिसमें वे अपनी सेना की दिखावटी लड़ाइयों का आयोजन करते थे और अभ्यास के रूप में विजेताओं को पुरस्कार देते थे।
होला मोहल्ला खालसा के राष्ट्रीय पर्व का प्रतीक है और इसे ‘अच्छे कामों के लिए लड़ना’ के अर्थ वाले अरबी शब्द ‘होला’ और ‘विजय के बाद बसने का स्थान’ के अर्थ वाले शब्द ‘महल्ला’ से मिलकर बनाया गया है। इस उत्सव में सिख योद्धा अपने मार्शल आर्ट्स का प्रदर्शन करते हैं और यह उत्सव शौर्य और वीरता का प्रतीक है। इस दौरान निहंग सिखों के अखाड़े अपने पारंपरिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं और नगर कीर्तन के साथ रंगों की बरसात भी होती है। विशाल लंगर का भी आयोजन होता है, जहाँ सभी लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
यह उत्सव वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है और इसका आयोजन होली के अगले दिन से शुरू होता है। खालसा पंथ होली नहीं खेलता, बल्कि होला खेलता है और महल्ला खींचता है। इस उत्सव के माध्यम से सिख समुदाय अपने गुरुओं के आदर्शों और शिक्षाओं को याद करते हैं और उन्हें मनाते हैं।
12. डोंगरिया होली
डोंगरिया होली, जिसे बागोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मध्य प्रदेश राज्य में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से डोंगरिया जनजाति द्वारा मनाया जाता है।
डोंगरिया होली, होली के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, डोंगरिया समुदाय के लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
डोंगरिया होली का एक विशेष आकर्षण पहाड़ी होली है। यह होली का एक अनूठा रूप है जिसमें लोग पहाड़ी ढलानों पर रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं।
डोंगरिया होली मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- पहाड़ी होली में भाग लें।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
13. गोरखा होली
गोरखा होली, जिसे होली मोहल्ला के नाम से भी जाना जाता है, नेपाल में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार गोरखा समुदाय द्वारा मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से गोरखा जिले में मनाया जाता है।
गोरखा होली, होली के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, गोरखा समुदाय के लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
गोरखा होली का एक विशेष आकर्षण खु र र ा ह ा है। यह होली का एक अनूठा रूप है जिसमें लोग तलवारों से खेलते हैं और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं।
गोरखा होली मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- खु र र ा ह ा में भाग लें।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
14. मणिपुरी होली
मणिपुरी होली, जिसे यौसांग के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मणिपुर राज्य में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार मणिपुरी समुदाय द्वारा मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से इम्फाल शहर में मनाया जाता है।
मणिपुरी होली, होली के दिन से पांच दिनों तक मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, मणिपुरी समुदाय के लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
मणिपुरी होली का एक विशेष आकर्षण थाबल चोंगबा है। यह होली का एक अनूठा रूप है जिसमें लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं और चांदनी में नृत्य करते हैं।
मणिपुरी होली मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- थाबल चोंगबा में भाग लें।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
15. बिहू होली
बिहू होली, जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है, असम राज्य में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार असमिया समुदाय द्वारा मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से गुवाहाटी शहर में मनाया जाता है।
बिहू होली, होली के दिन से तीन दिनों तक मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, असमिया समुदाय के लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
बिहू होली का एक विशेष आकर्षण उरुका है। यह होली का एक अनूठा रूप है जिसमें लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते हैं।
बिहू होली मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- उरुका में भाग लें।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
16. पोंगल
पोंगल होली, जिसे होली पोंगल भी कहा जाता है, भारत के तमिलनाडु राज्य में मनाया जाने वाला होली का एक अनूठा रूप है। यह त्यौहार तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से चेन्नई शहर में मनाया जाता है।
पोंगल होली, होली के दिन से तीन दिनों तक मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस दिन, तमिल समुदाय के लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकते हैं, और पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
पोंगल होली का एक विशेष आकर्षण कम र ु क ा ह ा है। यह होली का एक अनूठा रूप है जिसमें लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते हैं।
पोंगल होली मनाने के कुछ तरीके:
- रंगों से खेलें और एक-दूसरे पर रंगीन पानी फेंकें।
- कम र ु क ा ह ा में भाग लें।
- पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लें।
- पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लें।
संक्षिप्त निष्कर्ष
होली 2024 भारतीय समाज के लिए एक बहुत ही उत्साहजनक और रंगीन अवसर है, जो रंगों, सांस्कृतिक विविधता, और खुशियों का प्रतीक है। यह त्योहार भारतीय समृद्धि और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो जनसामान्य के बीच एकता और भाईचारे को साझा करता है।
FAQs: Holi 2024
Q1. किस तारीख को मनाई जाएगी होली 2024 में?
उत्तर: 8 मार्च 2024 को होलिका दहन और 9 मार्च 2024 को रंगों की होली मनाई जाएगी।
Q2. भारत में कितने प्रकार की होली मनाई जाती है?
उत्तर: भारत में 10 से अधिक प्रकार की होली मनाई जाती है, जिनमें लठमार होली, फूलों की होली, डोल यात्रा, बसंतोत्सव, शिगमो, याओसांग आदि प्रमुख हैं।
Q3. लठमार होली कहां मनाई जाती है?
उत्तर: लठमार होली उत्तर प्रदेश के बरसाने और नंदगांव में प्रसिद्ध है।
Q4. फूलों की होली कहां मनाई जाती है?
उत्तर: फूलों की होली वृंदावन में प्रसिद्ध है।
Q5. क्या होली भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाई जाती है?
उत्तर: हाँ, होली भारत के अलावा नेपाल, फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी मनाई जाती है।