रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने एक गहरे भ्रष्टाचार के जाल को उजागर किया है, जिसने राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। 30 जुलाई 2025 को बीजापुर पुलिस ने गंगालूर-मिरतुर-नेलसनार सड़क परियोजना में ₹73 करोड़ के घोटाले से जुड़े पांच लोक निर्माण विभाग (PWD) अधिकारियों को गिरफ्तार किया। इस परियोजना में अनियमितताओं को उजागर करने वाले मुकेश की हत्या 1 जनवरी 2025 को हुई थी, और उनका शव 3 जनवरी को एक सेप्टिक टैंक में मिला था। उनकी साहसिक पत्रकारिता ने न केवल भ्रष्टाचार की परतें खोलीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था को चुनौती दी, जहां सच बोलने की कीमत जान से चुकानी पड़ती है। यह लेख घोटाले, गिरफ्तारियों और भारत में पत्रकारिता व शासन के लिए इसके निहितार्थों की विस्तृत पड़ताल करता है, साथ ही मुकेश के साहस को सम्मान देता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पत्रकार की जंग
मुकेश चंद्राकर, 33 वर्षीय फ्रीलांस पत्रकार और 1.59 लाख सब्सक्राइबर्स वाले यूट्यूब चैनल बस्तर जंक्शन के संस्थापक, बस्तर क्षेत्र में एक जाना-माना नाम थे। बीजापुर के बसागुड़ा में जन्मे मुकेश ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया—एक साल की उम्र में पिता का निधन और 2013 में मां को कैंसर से खोना। फिर भी, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में निर्भीक पत्रकारिता की मिसाल कायम की। उनकी खोजी पत्रकारिता, जो एनडीटीवी जैसे राष्ट्रीय मंचों पर प्रसारित हुई, नक्सल हिंसा से लेकर भ्रष्टाचार तक के मुद्दों को बेखौफ उजागर करती थी।
25 दिसंबर 2024 को, मुकेश ने बस्तर जंक्शन पर नेलसनार-कोडोली-मिरतुर-गंगालूर सड़क परियोजना में ₹73 करोड़ के घोटाले को उजागर किया। उन्होंने बताया कि ₹56 करोड़ की मूल लागत वाली परियोजना बिना किसी अतिरिक्त काम के ₹120 करोड़ तक पहुंच गई, जिसमें घटिया निर्माण और ठेकेदारों- अधिकारियों की मिलीभगत शामिल थी। इस खुलासे ने राज्य सरकार को जांच के लिए मजबूर किया, लेकिन इसने मुकेश को शक्तिशाली लोगों के निशाने पर ला दिया।
1 जनवरी 2025 की रात, मुकेश को उनके चचेरे भाई, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के चट्टनपारा बस्ती स्थित एक संपत्ति पर बुलाया गया। वहां उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। उनका शव 3 जनवरी को एक सेप्टिक टैंक में मिला, जिसे ताजा कंक्रीट स्लैब से ढका गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने हत्या की भयावहता उजागर की: खोपड़ी में 15 फ्रैक्चर, गर्दन टूटी, पांच पसलियां टूटीं, और हृदय व यकृत में छेद। यह हत्या न केवल एक पत्रकार को चुप कराने की साजिश थी, बल्कि भ्रष्टाचार के गहरे जाल का सबूत थी।
गिरफ्तारियां: भ्रष्टाचार के नेटवर्क का पर्दाफाश
30 जुलाई 2025 को, बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र यादव की देखरेख में, पांच PWD अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें दो सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता (EE), एक वर्तमान EE, एक उप-मंडल अधिकारी (SDO) और एक सब-इंजीनियर शामिल हैं। यह कार्रवाई विशेष जांच दल (SIT) की जांच के आधार पर हुई, जिसका गठन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मयंक गुर्जर के नेतृत्व में हत्याकांड और संबंधित भ्रष्टाचार की जांच के लिए किया गया था।
इससे पहले, 4 और 5 जनवरी 2025 को, हत्या के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था: ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, उनके भाई रितेश और दिनेश चंद्राकर, और सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके। सुरेश, मुख्य आरोपी, को हैदराबाद से पकड़ा गया, जबकि रितेश को रायपुर हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया। SIT की जांच में पता चला कि मुकेश की रिपोर्ट से नाराज सुरेश ने हत्या की साजिश रची। रितेश और रामटेके ने एक नकली डिनर मीटिंग के दौरान लोहे की रॉड से मुकेश की हत्या की, और सबूत नष्ट करने के लिए उनके फोन और हथियार को ठिकाने लगा दिया।
PWD अधिकारियों की गिरफ्तारी ने इस घोटाले की गहराई को उजागर किया। SIT ने 100 कॉल डेटा रिकॉर्ड्स का AI-सहायता से विश्लेषण किया और फोरेंसिक साक्ष्य जुटाए, जिससे अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत साबित हुई। अधिकारियों ने घटिया सामग्री का उपयोग, बिना किए काम के बिल पास करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में मदद की, जिसके बदले उन्हें रिश्वत मिली। प्रशासन ने सुरेश के तीन बैंक खातों को जब्त किया और वन भूमि पर बने उनके अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया, जो ठेकेदार लॉबी के प्रभाव को तोड़ने की दिशा में एक कदम है।
गंगालूर सड़क घोटाला: ₹73 करोड़ की धोखाधड़ी
नेलसनार-कोडोली-मिरतुर-गंगालूर सड़क परियोजना को 2010 में ₹73.08 करोड़ की लागत से मंजूरी मिली थी, जिसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित बीजापुर में कनेक्टिविटी और सुरक्षा बलों की आवाजाही को बेहतर करना था। लेकिन मुकेश की खोजी पत्रकारिता ने खुलासा किया कि परियोजना की लागत बिना किसी औचित्य के ₹120 करोड़ तक बढ़ गई। उनके एनडीटीवी पर प्रसारित वीडियो में गड्ढों वाली सड़कें और अधूरी परियोजनाएं दिखाई गईं, जो क्षेत्र की सुरक्षा और विकास के लिए खतरा थीं। इस खुलासे ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव को 25 दिसंबर 2024 को जांच का आदेश देने के लिए मजबूर किया।
SIT की जांच ने मुकेश के दावों की पुष्टि की, जिसमें ठेकेदारों और PWD अधिकारियों के बीच एक संगठित नेटवर्क का खुलासा हुआ। घटिया सामग्री, फर्जी बिलिंग और रिश्वतखोरी ने परियोजना को खोखला कर दिया था। गिरफ्तार अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, जबकि हत्या के चार मुख्य आरोपियों के खिलाफ पहले से ही 1,200 पेज का आरोप पत्र 18 मार्च 2025 को दाखिल किया जा चुका है।
पत्रकारों के लिए खतरनाक माहौल
मुकेश चंद्राकर की हत्या छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के लिए खतरनाक माहौल को रेखांकित करती है, खासकर बस्तर जैसे क्षेत्र में, जहां भ्रष्टाचार, नक्सलवाद और राजनीतिक टकराव एक जटिल स्थिति बनाते हैं। 2021 में एक CoBRA कमांडो को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाने में भूमिका निभाने वाले मुकेश एक सम्मानित पत्रकार थे। उनकी हत्या ने व्यापक आक्रोश को जन्म दिया, रायपुर प्रेस क्लब ने विरोध प्रदर्शन किए और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने नोट किया कि मुकेश की हत्या भारत में भ्रष्टाचार की खबरें करने वाले पत्रकारों पर होने वाले हमलों का हिस्सा है। 2024 में, छत्तीसगढ़ में चार अन्य पत्रकारों को रेत माफिया की जांच के दौरान उत्पीड़न और हमले का सामना करना पड़ा। 2025 के RSF वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग इन चुनौतियों को दर्शाती है, जहां मीडिया पर बढ़ते खतरे और दमन का सामना करना पड़ रहा है।
राजनीतिक विवाद: BJP बनाम Congress
इस मामले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, जिसमें BJP और Congress एक-दूसरे पर ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के संबंधों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने दावा किया कि सुरेश कांग्रेस का पदाधिकारी था, और उनकी नियुक्ति पत्र को सबूत के रूप में पेश किया। कांग्रेस नेताओं, जिसमें भूपेश बघेल शामिल हैं, ने जवाब दिया कि सुरेश BJP में शामिल हो चुके थे, और मुख्यमंत्री आवास के CCTV फुटेज की मांग की, जहां सुरेश ने कथित तौर पर हत्या से पहले मुलाकात की थी। इस राजनीतिक विवाद ने मुख्य मुद्दे—न्याय और भ्रष्टाचार पर सुधार—को पीछे छोड़ने का खतरा पैदा किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कड़ी कार्रवाई का वादा किया है, और SIT एक पूरक आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी में है। प्रशासन ने ठेकेदार लॉबी के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन इस मामले का समाधान तेजी से सुनवाई पर निर्भर करता है।
मानवीय क्षति: मुकेश का विरासत
मुकेश चंद्राकर का जीवन साहस और समर्पण की कहानी है। अपनी मां, एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, द्वारा पाले गए और नक्सल हिंसा से विस्थापित होने के बावजूद, उन्होंने अपने भाई युकेश से प्रेरणा लेकर पत्रकारिता को अपनाया। 2012 से शुरूआत कर, उन्होंने सहारा समय, नेटवर्क18 और एनडीटीवी के साथ काम किया, और बस्तर जंक्शन के माध्यम से बस्तर के लोगों की आवाज बने। उनकी आखिरी रिपोर्ट उनके जनहित के प्रति समर्पण का प्रतीक थी।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने दोषियों के लिए कड़ी सजा और मुकेश के परिवार के लिए मुआवजे और नौकरी की मांग की। सरकार ने समर्थन का वादा किया है, लेकिन फोकस न्याय पर है। PWD अधिकारियों की गिरफ्तारी और हत्या के आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र इस दिशा में कदम हैं।
आगे की राह: सुधार की पुकार
मुकेश चंद्राकर की हत्या पत्रकारों के लिए जोखिमों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की याद दिलाती है। SIT की खोज और PWD अधिकारियों की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करती है। सरकारी ठेकों की निगरानी, पारदर्शी निविदा प्रक्रियाएं और व्हिसलब्लोअर सुरक्षा जैसे सुधार आवश्यक हैं। मुकेश का बलिदान उन पत्रकारों के लिए प्रेरणा है जो सच के लिए लड़ते हैं, और उनकी विरासत भारत में एक सुरक्षित और जवाबदेह पत्रकारिता के लिए संघर्ष को प्रज्वलित करती है।
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