भारतीय कारोबार जगत में केशब महिंद्रा का अत्यंत आदरणीय स्थान रहा। उनका सम्पूर्ण जीवन आदर्शों को समर्पित रहा। 99 वर्ष तक जीवित रहने वाले इस महान कारोबारी के जीवन में कितनी सादगी रही होगी, इसका अंदाजा उनके सुर्दीघ जीवन काल से ही लगाया जा सकता है।
इंडिया सीएसआर हिंदी । भारतीय कारोबारी जगत के अग्रणी एवं महिंद्रा समूह (महिंद्रा एंड महिंद्रा) के पूर्व चेयरमैन केशब महिंद्रा का 99 वर्ष की आयु में बुधवार 12 अप्रैल 2023 के दिन देहान्त हो गया। 9 अक्टूबर 1923 को शिमला में उनका जन्म हुआ। केशब महिंद्रा ने अमेरिका के पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल में अध्ययन किया। वह 1947 में महिंद्रा एंड महिंद्रा में शामिल हुए और 1963 में समूह के अध्यक्ष की भूमिका निभाई।
उन्होंने 1990 और 2000 के दशक में महिंद्रा समूह को ऑटोमोबाइल उद्योग में शीर्ष लीग में ले जाने में एक प्रमुख भूमिका निभाकर भारतीय उद्योग जगत में अहम योगदान दिया। उनके नेतृत्व में, कंपनी एक स्टील ट्रेडिंग कंपनी के रूप में अपनी शुरुआत से कंपनियों के अग्रणी समूह में बदल गई थी।
केशब महिंद्रा ने भारत में उद्यमिता के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है।
अगस्त 2012 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, उनके भतीजे आनंद महिंद्रा ने बोर्ड के अध्यक्ष और महिंद्रा समूह के प्रबंध निदेशक की भूमिका निभाई। वह महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के अध्यक्ष एमेरिटस के रूप में बने रहे।
“मिस्टर केशब महिंद्रा मेरे और पूरे महिंद्रा ग्रुप के लिए हमेशा प्रेरणा के स्रोत रहे हैं और रहेंगे। वह सिद्धांतों के व्यक्ति थे और हमारे संस्थापकों की विरासत को संरक्षित करने के लिए सामने से नेतृत्व किया, जिसने यह सुनिश्चित किया है कि संगठन नैतिकता, मूल्यों और अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन में निहित है, महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने मरणोपरान्त बयान में कहा।

उनकी करुणा, और जन-केंद्रित दृष्टिकोण ने उन्हें एक वैश्विक व्यापार आइकन बना दिया, जिसे बहुत प्यार और सम्मान दिया गया था,” उन्होंने कहा। केशब के गुजर जाने के बाद, इसके साथ ही भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक युग का अंत हो गया।
भारत की औद्योगिक प्रगति में केशब महिंद्रा की सराहनीय एवं महत्वपूर्ण भूमिका रही।
“औद्योगिक दुनिया ने आज सबसे बड़ी हस्तियों में से एक को खो दिया है। श्री केशव महिंद्रा का कोई मुकाबला नहीं; भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन प्राधिकरण केंद्र (INSPACe) के अध्यक्ष और महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने ट्विटर पर लिखा। सबसे अच्छे व्यक्ति को जानने का मुझे सौभाग्य मिला, उन्होंने कहा।
महिंद्रा अग्रणी एवं प्रसिद्ध परोपकारी व्यक्ति थे। उन्होंने भारत में अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन को परिभाषित किया। भारत सरकार द्वारा कंपनी कानून और MRTP पर सच्चर आयोग और केंद्रीय उद्योग सलाहकार परिषद सहित कई समितियों में काम करने के लिए नियुक्त किए गए थे। 2004 से 2010 तक, महिंद्रा प्रधान मंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद, नई दिल्ली के सदस्य भी रहे।
वह सिद्धांतवादी व्यक्ति थे। केशब महिंद्रा को उनके निपुण व्यापार कौशल के लिए जाना जाता था।
उन्होंने सेल, टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स, आईएफसी और आईसीआईसीआई सहित निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में कई बोर्डों और परिषदों में भी काम किया। महिंद्रा ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवाएँ दीं। भोपाल गैस त्रासदी, दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा थी। इसमें 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे। यह घटना 1984 में हुई थी। महिंद्रा और सात अन्य को 2010 में गैस रिसाव मामले में दोषी ठहराया गया था।
महिंद्रा हुडको (हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) के संस्थापक अध्यक्ष, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के उपाध्यक्ष, महिंद्रा यूजीन स्टील कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष, बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के निदेशक भी थे।
***
असंभव को हासिल करने का सपना देखें, साहसी लोग ही खुद को बदल सकते हैं
***
ऐसा ही कुछ अटूट विश्वास था केशब महिंद्रा का। उनका बीते 12 अप्रैल 2023 को 99 वर्ष की आयु में इंतकाल हो गया।
केशब महिंद्रा
जन्म : 9-10-1923 – निधनः 12-04-2023
आइए जानते हैं केशब महिंद्रा और उनके विचार तथा उनके जीवन के अनछुए प्रेरणादायी पहलुओं के बारे मेंः
शायद यह बात कम ही लोगों को मालूम हो कि केशब महिंद्रा भोपाल में हुई गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष थे। यह वो घटना थी जिसका उन्हें ताउम्र अफसोस रहा।
फोर्ब्स ने हाल ही में 2023 की अरबपतियों की लिस्ट भी जारी की थी। इसमें केशब महिंद्रा को 9,840 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ देश का सबसे उम्रदराज अरबपति बताया गया था। 12 अप्रैल को केशब का मुंबई में निधन हो गया। अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल से ग्रेजुएट केशब का एक साक्षात्कार 2019 में यूनिवर्सिटी के बिजनेस जर्नल में प्रकाशित हुआ था । इस साक्षात्कार में उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में बातें की थीं। यह लेख उनके उस साक्षात्कार के संपादित अंश के रूप में उन्हीं के शब्दों में प्रस्तुत किया जा रहा है – उनकी शब्दों में ।

मेंटर : जेआरडी टाटा, नाना जी देशमुख
उद्योगपति जेआरडी टाटा और सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख को मैं अपना मेंटर मानता हूँ। ये वो व्यक्तित्व थे जिन्होंने वंचितों के लिए काम किया। उदाहरण के लिए, नानाजी देशमुख, भारतीय जनता पार्टी के एक दिग्गज नेता थे। एक समय जब उन्हें पार्टी में बड़ा पद मिल सकता था, उन्होंने राजनीति छोड़ दी और विकास का मॉडल बनाने के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया। मैंने जीवन भर अलग-अलग गुरु बनाए। उनसे सीखा, लेकिन कभी उनकी नकल नहीं की।
सीख : असंभव काम को करने की सोचें
मैंने अपने बच्चों को हमेशा दो बातें ही समझाई हैं, पहली – असंभव को करने की सोचें क्योंकि असंभव कामों को भी संभव बनाया जा सकता है।
दूसरी – दयालु बनें, दूसरों के बारे में सोचें। पैसा ही सब कुछ नहीं है। दूसरों की खुशी में खुशी ढूंढें।
व्यवहार : सम्मान करें, लोगों को स्वतंत्रता दें
मैंने एक बार कॉलेज के साथियों से कहा था कि आप लोगों को बेहतरीन टेक्नोलॉजी तो सिखा सकते हैं, लेकिन लोगों के साथ व्यवहार कैसे किया जाए, शायद वह तकनीक के जरिए सिखाना संभव नहीं है। यह जाने बिना कि सामने वाला कौन है और वह क्या करता है, उसका सम्मान करें। इंसानी क्षमताएँ असीम हैं। हर व्यक्ति को सोचने और मन का करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
जीवन का उद्देश्य : जरूरतमंदों की हमेशा मदद के लिए तैयार रहना
मेरा उद्देश्य हमेशा जरूरतमंदों की मदद करना रहा है, लेकिन इस बात को द्वंद हमेशा रहा कि एक व्यक्ति कितनी मदद कर सकता है। भले ही महान दानी क्यों न हो। संभवतः राजनीतिक रूप से सक्रिय होकर इसे ज्यादा बेहतर किया जा सकता था, जिसमें मैं चूक गया। 20 साल की युवावस्था में खुद के लिए आदर्श तय कर पाना कठिन होता है। संभवतः 30 साल की उम्र में व्यक्ति पसंद न पसंद को निर्धारित करना शुरू करता है, लेकिन यह वह उम्र में जब खुद को बदल पाना बहुत कठिन हो जाता है, केवल बहुदर लोग ही खुद में बदलाव कर पाते हैं।
इच्छाएँ-मलाल : किसान या सैनिक बनना चाहता था, मंत्री पद ठुकराने का पछतावा
जब मैं 15 या 16 साल का था तब मेरे पिता ने परिवार के बच्चों के बारे में लिखकर देने को कहा। कई वर्षों के बाद पिता जी ने जब हाथ से लिखा हुआ वह पन्ना दिया तो उमें मेरी पहली पसंद किसान और दूसरी सैनिक बनना था। मैं बिजनेसमैन बनना ही नहीं चाहता था। एक बार सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री बनाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन यह सोचकर मना कर दिया कि सरकार ने निकाल दिया तब क्या होगा, लेकिन शायद इस प्रस्ताव को अपनाकर मैं समाज के लिए काफी कुछ कर सकता था। कई बार इसका मलाल होता है।
किताबें : इतिहास, संस्कृति पसंद
मैं एक बार में तीन से चार किताबें पढ़ता था। हालांकि किताबों का चयन माहौल पर निर्भर करता था। 15वीं और 16वीं शताब्दी का इतिहास और संस्कृति पर आधारित किताबें पसंद है। आधुनिक लेखकों में युवाल नोआ हरारी मेरे पसंदीदा लेखक हैं। मानव विकास पर आधारित उनकी किताब होमो सेपियंस ने काफी प्रभावित किया, जिसने आजादी के 70 साल बाद भी देश में गरीबी, पिछड़ापन और लोगों के अभावों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
बेहद सादगी पसंद
घर से ही थी की बेटी की शादी, मेहमान भी सीमित
देश के नामी उद्योगपति होने के बावजूद केशब बेहद सादगी पसंद थे। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव इससे जुड़ा एक किस्सा बताते हैं। ‘1986 में केशब की बेटी लीना की शादी संजय लबरू से हो रही थी । मैं संजय के मेहमान के तौर पर शादी में शामिल हुआ था। मैं यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि शादी के सभी समारोह केशब के घर से ही हो रहे थे। सबकुछ बेहद ही सामान्य तरीके से संपन्न हुआ था, जबकि वे चाहते तो देश के किसी भी पांच सितारा होटल से शादी का कार्यक्रम रख सकते थे। यही नहीं शादी में शामिल होने वाले मेहमानों की सूची भी बहुत छोटी थी। तभी मुझे एहसास हुआ कि यह बिजनेसमैन दिखावे की दुनिया से बहुत दूर है। मैं समझ गया कि केशब बेहद सादगी पसंद हैं।’
केशब महिंद्रा का करियर
केशब महिंद्रा ने महिंद्रा ग्रुप का करीब पांच दशकों तक नेतृत्व किया।
- इस दौरान ग्रुप ने स्टील और कार मैन्युफैक्चरिंग से निकलकर आईटी और रियल्टी जैसे सेक्टरों में पांव पसारे।
- 2004 से 2010 तक वे प्रधानमंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।
- वह हुडको (हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) के संस्थापक अध्यक्ष, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन के वाइस चेयरमैन, बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के निदेशक भी रह चुके हैं।
- केशव महिंद्रा को उनके परोपकार और सहायक कार्यों में योगदान के लिए भी जाना जाता था।

सारांश
केशब महिंद्रा महिंद्रा समूह के एक प्रसिद्ध उद्योगपति थे जिन्होंने भारत में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार की शुरुआत की थी। महिंद्रा समूह, जो 1945 में उनके द्वारा स्थापित किया गया था, आज भारत के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है।
केशब महिंद्रा ने बड़ी मात्रा में संचार, वाहन, परिवहन, वित्तीय सेवाएँ, परिवहन और औद्योगिक उत्पादों जैसे क्षेत्रों में व्यापार की शुरुआत की थी। उन्होंने उद्योग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कीं और वर्तमान में महिंद्रा समूह दुनिया भर में अपने उत्पादों और सेवाओं की श्रृंखला पेशकश कर रहा है।
आज, महिंद्रा समूह बड़ी संख्या में कंपनियों को संचालित करता है। ये कंपनियाँ वाहन, फार्म मशीनरी, रक्षा, संचार, परिवहन और लॉजिस्टिक्स, वित्तीय सेवाएं, आवास, खाद्य और हस्तशिल्प क्षेत्र में अग्रणी हैं।
उम्मीद है यह आलेख आपको पसंद आया होगा।
इसे जानकारीपूर्ण लगने पर अवश्य साझा कीजिए।
📢 Partner with India CSR
Are you looking to publish high-quality blogs or insert relevant backlinks on a leading CSR and sustainability platform? India CSR welcomes business and corporate partnership proposals for guest posting, sponsored content, and contextual link insertions in existing or new articles. Reach our highly engaged audience of business leaders, CSR professionals, NGOs, and policy influencers.
📩 Contact us at: biz@indiacsr.in
🌐 Visit: www.indiacsr.in
Let’s collaborate to amplify your brand’s impact in the CSR and ESG ecosystem.