हर्षद मेहता चतुर खिलाड़ी था। वह बाजार से खेलना तो जानता ही था, पैसे कैसे जुटाने हैं – इस बात को भी जानता था। वह बहुत ही शातिर और चालाक था। वह शेयर बाजार के बारे में सब कुछ जानता था। वह अवसर का लाभ उठाना जानता था। वह बैंकिंग सिस्टम में खामियों का फायदा उठाता था।
हर्षद मेहता Harshad Mehta 1990 के दशक का सबसे बड़ा घोटालेबाज Scammer था। उन्होंने स्टॉक मार्केट Share Market में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला Scam किया था। उनकी कहानी Story बहुत ही दिलचस्प है। 1954 में गुजराती परिवार में जन्मे हर्षद मेहता ने अपना ज्यादातर समय छत्तीसगढ़ के रायपुर में बिताया। उन्होंने स्टॉक मार्केट में दिलचस्पी बढ़ाई और नौकरी छोड़कर उन्होंने 1981 में ब्रोकरेज फर्म ज्वाइन किया। हर्षद मेहता ने अपने समय में शेयर मार्केट का एक सामान्य ब्रोकर बनकर अपनी पहचान बनाई।
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हर्षद मेहता के बारे में हर भारतीय युवा को जानना चाहिए। खासकर उन युवाओं को जो कम पढ़े-लिखे हैं और वे ऐसा सोचते हैं कि कम पढ़ा-लिखा होना जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबसे बड़ी बाधा है। अगर आप हर्षद मेहता के बारे में जान जाएँगे तो आप ऐसा सोचना अभी से छोड़ देंगे। हर्षद मेहता का जीवन उन निराश युवाओं के लिए प्रेरणादायी पाठ साबित हो सकता है, जो जीवन में बहुत सारा पैसा कामना चाहते हैं, जीवन में बहुत ज्यादा सफल होना चाहते हैं।
आइए, आपको बताता हूँ हर्ष मेहता के बारे में, ताकि आपको भी अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके।
इस लेख के माध्यम से आपको भारत के एक ऐसे और इतने बड़े घोटाले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने आर्थिक जगत में तहलका मचा दिया था।
शेयर बाजार का बादशाह – हर्षद मेहता
यह घोटाला स्टॉक मार्केट से संबंधित था। यह घोटाला स्टॉक मार्केट के बेताज बादशाह हर्षद मेहता (Harshad mehta) से जुड़ा है। यह घटना 1980-90 के दशक की है। इस घटना ने स्टाक मार्केट (Stock Market) की दशा ही बदल डाली थी। 1980-90 के दशक में हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट के महिर खिलाड़ी माने जाते थे।
शेयर होल्डर उन्हें अपनी किस्मत की चाबी समझते थे। यह व्यक्ति इतना प्रभावशाली बन गया था कि वह जिस भी कंपनी के शेयर पर हाथ रख देता था उसका भाव आसमान पर पहुँच जाता था। मार्केट से एक दिन में हर्षद मेहता करोड़ों की कमाई कर लिए थे। हर्षद मेहता किसी भी कंपनी के शेयर की कीमत को कुछ ही दिनों में मिट्टी में मिला दिया करते थे।
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मुंबई का छोराः जन्म
हर्षद मेहता का परिवार गुजरात का रहने वाला था, लेकिन उसका जन्म मुंबई में हुआ था। उसका जन्म 29 जुलाई 1954 को हुआ। उनकी पत्नी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उसका जन्म मुंबई के घाटकोपर में हुआ था। हर्षद मेहता के पिता का नाम शांति लाल मेहता था तथा माता का नाम रासिलाबेन मेहता था। शांतिलाल मेहता एक पारंपरिक कपड़ा व्यापारी थे।
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बचपन एवं पढ़ाई-लिखाई
हर्षद का बचपन मुंबई में गुजरा। वह घाटकोपर में उसकी बाल्यावस्था गुजरी। स्कूल की पारंभिक शिक्षा घाटकोपर में तथा रोस मनोर गार्डन स्कूल सांताक्रुज मुंबई में हुई। यह वर्ष 1954 से 1964 तक की बात है।
मुंबई के बाद 1964 में रायपुर आने पर रायपुर के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से स्कूल की पढ़ाई की। पिता शांतिलाल एवं उनका परिवार हर्षद की पढ़ाई के लिए अत्यंत गंभीर थे। अनेक चुनौतियाँ आने के बाद भी हर्षद मेहता की पढ़ाई पर कोई असर होने नहीं दिया गया।
शांतिलाल मेहता के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण, उनका तत्काल परिवार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थानांतरित हो गया था। आगे बढ़ने पर, उन्होंने पाया कि क्षेत्र में उनका कोई रिश्तेदार या दोस्त नहीं है। हर्षद ने अपने भाइयों के साथ अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए रायपुर के होली क्रॉस हाई स्कूल में दाखिला लिया था।
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व्यावसायिक असफलताएँ और वित्तीय संघर्ष
1964 से 1973 तक
शांतिलाल मेहता की उद्यमशीलता यात्रा बाधाओं से भरी थी, जिसकी परिणति काफी वित्तीय असफलताओं के साथ हुई, जिससे उनका पूरा कारोबार नष्ट हो गया। इन कठिनाइयों ने परिवार के धैर्य की परीक्षा ली, जिससे श्री मेहता को अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए श्रीमती रसीला मेहता के गहने बेचने का दिल दहला देने वाला निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह अवधि मेहता परिवार के लिए एक गंभीर वित्तीय संकट के रूप में चिह्नित हुई। वह इसलिए क्योंकि वे अपने बच्चों के शैक्षिक खर्चों सहित बुनियादी आवश्यकताओं को वहन करने की चुनौती से जूझ रहे थे।
इन विकट चुनौतियों के बावजूद, हर्षद के माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल रहे। वे इसे एक अनमोल उपहार मानते थे – जीवन को बदलने की शिक्षा की शक्ति में उनके दृढ़ विश्वास का प्रतीक। वित्तीय प्रतिकूलताओं का सामना करने के बावजूद यह दृढ़ विश्वास कायम रहा, जिससे यह सुनिश्चित करने के लिए उनका समर्पण प्रदर्शित हुआ कि उनके बच्चों को सर्वोत्तम शिक्षा मिले। मेहता परिवार के जीवन का यह अध्याय परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में शिक्षा में उनके गहन विश्वास को उजागर करता है, एक ऐसा आदर्श जिसे उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण समय में भी कायम रखा।
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व्यावसायिक जीवन
हर्षद की बॉम्बे में यात्रा: क्रिकेट, नौकरियां और प्यार
1973
उज्जवल भविष्य की तलाश में, हर्षद बंबई चला गया। यहाँ वह अपने चाचा और चाची के साथ रहने लगा। उनकी यात्रा उन्हें वर्ली में लाला लाजपतराय कॉलेज ऑफ कॉमर्स तक ले गई, जहां एक क्रिकेटर के रूप में उनके उल्लेखनीय कौशल – बाएं हाथ के स्पिनर और दाएं हाथ के बल्लेबाज होने के कारण उन्हें प्रवेश मिला। हर्षद के लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल से कहीं अधिक था; यह उनका सबसे बड़ा जुनून था।
अपनी बैचलर ऑफ कॉमर्स की डिग्री हासिल करने के दौरान हर्षद खाली बैठने वालों में से नहीं थे। उन्होंने सीमित सफलता के बावजूद, विभिन्न विषम नौकरियों में हाथ आजमाया। उनका प्रयास सीमेंट की आपूर्ति से लेकर हीरों को चमकाने तक था। हर सप्ताहांत, वह हीरों को चमकाने के लिए सूरत जाते थे, और उन्होंने एक रिश्तेदार की होजरी की दुकान में काम करने में भी समय बिताया। इन नौकरियों में आने वाली चुनौतियों के बावजूद, हर्षद की भावना अडिग रही।
पढ़ाई और काम की व्यस्त जिंदगी के बीच हर्षद को प्यार मिला। यह त्योहारी नवरात्रि के मौसम के दौरान था, जब हवा डांडिया-रास की आनंददायक धुनों से भर जाती है, तभी उनकी मुलाकात पड़ोस की एक लड़की सुश्री ज्योति दोशी से हुई। जीवंत लय और रंगीन उत्सवों के बीच उनका प्यार खिल उठा, जिससे बॉम्बे में हर्षद के जीवन में एक नया अध्याय जुड़ गया।
हर्षद की बीएसई यात्रा और जीवन परिवर्तन
1976-77
हर्षद ने फोर्ट मुबंई में अपने प्रधान कार्यालय में न्यू इंडिया एश्योरेंस में शामिल होकर, विशेष रूप से हल विभाग में काम करके अपने करियर की शुरूआत की। अपना घर न होने और मामूली आय अर्जित करने के बावजूद, हर्षद हमेशा अपनी संभावनाओं को बेहतर बनाने के अवसरों की तलाश में रहता था। इस महत्वाकांक्षा ने उन्हें न्यू इंडिया एश्योरेंस के निवेश विभाग में स्थानांतरण का अनुरोध करने के लिए प्रेरित किया। अपनी नई भूमिका के अलावा, उन्होंने अपने लंच ब्रेक के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का दौरा करना शुरू कर दिया, एक ऐसा कदम जिसने जल्द ही उनके करियर की दिशा बदल दी।
हर्षद मेहता के दृढ़ संकल्प और नेटवर्किंग कौशल का तुरंत फल मिला क्योंकि वह बीएसई के प्रतिबंधित क्लब और ट्रेडिंग हॉल तक पहुँच हासिल करने में कामयाब रहा। ये क्षेत्र आम तौर पर कई लोगों के लिए सीमा से बाहर होते हैं। उन्होंने एक बुजुर्ग ब्रोकर श्री पी. अंबालाल को भी एक बैज और एक ब्लॉक प्रदान करने के लिए राजी किया, जो एक्सचेंज के फर्श पर व्यापार निष्पादित करने के लिए आवश्यक उपकरण थे।
लगभग उसी समय, हर्षद का परिवार, जिसमें उनके माता-पिता और अन्य रिश्तेदार भी शामिल थे, वे सभी बंबई जा पहुँचे। शुरुआत में घाटकोपर में बसने के बाद, अंततः उन्हें कन्नमवार नगर, विक्रोली में एक छोटी-सी किराए की जगह मिल गई। यह अवधि उनके जीवन में एक चुनौतीपूर्ण चरण थी, फिर भी यह महत्वपूर्ण परिवर्तन और आशा का समय भी था।
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जीवन शैली और संपत्ति
हर्षद मेहता को “बिग बुल” के नाम से भी जाना जाता था। वह अपने समय का प्रमुख स्टॉक ब्रोकर और व्यापारी था। उनकी संपत्ति की गिनती लाखों करोड़ रुपये में होती थी।
उनके पास कई बड़े संपत्तियां थीं, जिनमें शामिल था एक 15,000 वर्ग फीट का पेंटहाउस। इसके अलावा, उनकी जीवनशैली भी शानदार थी, और उन्होंने अपने परिवार के साथ एक आरामदायक जीवन बिताया।
सी-फेसिंग पेंटहाउस
उनकी कमाई बढ़ती जा रही थी और उन्होंने मुंबई के वर्ली में 12 हजार स्कॉयर फीट का सी-फेसिंग पेंटहाउस खरीदा था। उनके पास लग्जरी गाड़ियों का पूरा काफिला था।
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स्टॉक मार्केट के हर पैंतरे पर महारथ
हर्षद मेहता ने अपने गुरु के साथ साथ काम करते हुए स्टॉक मार्केट के हर पैंतरे सीखे और 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी की शुरूआत की। इसके बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप वे ली। यहीं से फिर शुरू हुआ स्टॉक मार्केट के उस बेताज बादशाह का सफर। इस व्यक्ति को आगे चलकर स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन और रेजिंग बुल कहा जाने लगा।
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स्टॉक मार्केट में हर्षद मेहता का नाम एवं सम्मान
1990 के दशक में हर्षद मेहता की कंपनी में बड़े इवेस्टर पैसा लगाने लगे थे। उस समय उसका बड़ी मान और प्रतिष्ठा थी। मगर जिस वजह से हर्षद मेहता का नाम स्टॉक मार्केट में छाया वो ACC यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में उनका पैसा लगाना शुरू किया।
हर्षद मेहता के एसीसी के पैसा लगाने के बाद मानो एसीसी कंपनी के भाग्य ही बदल गए। वह ऐसा इसलिए क्योंकि एसीसी कंपनी का जो शेयर 200 रुपये कीमत का था उसकी कीमत एक वर्ष के भीतर तेजी से बढ़कर 9000 रुपये हो गई। हर्षद मेहता के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 तक आते-आते हर्षद मेहता का नाम हर बड़े अखबार, मैगजीन के कवर पेज पर आए दिन आने लगे थे। स्टॉक मार्केट में हर्षद मेहता का नाम बड़े अदब से लिया जाने लगा – क्योंकि वह चीजों को कंट्रोल करने लगा था।
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सवाल था कि आखिर हर्षद मेहता इतना पैसा कहाँ से ला रहा है?
हर्षद मेहता चतुर खिलाड़ी था। वह बाजार से खेलना तो जानता ही था, पैसे कैसे जुटाने हैं – इस बात को भी जानता था। वह बहुत ही शातिर और चालाक था।
उन्होंने बैंकों से पैसा उठाकर स्टॉक मार्केट में लगाया और उनकी कमाई बढ़ती जा रही थी। हर्षद मेहता किसी भी बैंक से एक 15 दिनों का लोन लेता था और उसे स्टॉक मार्केट में लगा देता था । साथ ही वह 15 दिनों के भीतर रकम बैंक को मुनाफे के साथ पैसा लौटा देता था। मगर कोई भी 15 दिन के लिए लोन नहीं देता, मगर हर्षद मेहता बैंक से दिन का लोन लेता था – बैंकों से उसकी तगड़ी सेटिंग थी। हर्षद मेहता एक बैंक से फेक BR बनावाता जिसके बाद उसे दूसरे बैंक से भी आराम से पैसा मिल जाता था। जब इसका खुलासा होने लगा तो बाद में सभी बैंक ने उससे अपने पैसे वापस मागने शुरू कर दिए। यह बात जाहिर होने के बाद मेहता के ऊपर क्रमिनर चार्ज लगाए गए और अनेक सिविल केस फाइल हुए।
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हर्षद मेहता को 1992 में क्यों गिरफ्तार किया?
हर्षद मेहता, जिन्होंने 1992 में शेयर मार्केट में बड़ा घोटाला किया था, वास्तविक बैंकिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर लोन लेकर अपने पैसे शेयर मार्केट में लगा दिए थे। उनके घोटाले की गिरफ्तारी के बाद, उनपर 72 क्रिमिनल चार्जेज लगाए गए और करीब 600 सिविल केसेस भी उनके खिलाफ दायर किए गए थे।
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जेल में कितना समय बिताया
हर्षद मेहता को उनके घोटाले के बाद जेल में 5 साल की सजा हुई थी। 25,000 रुपये का जुर्माना किया गया था। वह थाणे जेल में बंदी था। सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
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कितना बड़ा था घोटाला
हर्षद मेहता का यह घोटाला करीब 4000-5000 करोड़ रुपए का था, जिसे आज के संदर्भ में आप करीब 50,000 करोड़ रुपए का मान सकते हैं। सरल शब्दों में कहूँ तो इस व्यक्ति ने देश के लाखों शेयर होल्डरस (शेयर धारकों) के सपनों और उनके चार हजार करोड़ रुपये का गबन कर दिया था। उनकी यादें आज भी बहुत से लोगों के जेहन में हैं।
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मौत
उन पर कई सारे केस चल रहे थे। 31 दिसंबर 2001 को देर रात उसे सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उसे ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उसकी मौत हो गई। जब मौत हुई तक उसकी उम्र लगभग 47 वर्ष थी। कुल मिलाकर वह युवा अवस्था में ही चल बसा।
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घटना से मिली सबक
इस घटना के बाद, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को शेयर मार्केट में गड़बड़ी की पहचान करने और रोकने की बातों को गंभीरता से लेने का अवसर मिला ।
इस घटना के बाद ही सेबी को शेयर मार्केट के गलत प्रथाओं की जानकारी मिली।
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हर्षद मेहता से जुड़े प्रसिद्ध वाक्य
हर्षद मेहता, जिन्हें “बिग बुल” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख स्टॉक ब्रोकर और व्यापारी थे। उनके जीवन में कुछ प्रसिद्ध वाक्य भी हैं:
- “बिग बुल”: यह उनका उपनाम था, जिससे वे स्टॉक मार्केट में प्रसिद्ध हुए।
- “अपने समय के अमिताभ बच्चन”: इस उपनाम से भी उन्हें जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने व्यापारी कौशल के साथ बड़े नाम कमाया।
- “घोटाला किंग”: उनके घोटाले के बाद उन्हें इस उपनाम से जाना जाने लगा।
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युवाओं के लिए प्रेरणा और सीखने के अवसर
जो लोग अपने जीवन में शेयर बाजार से पैसा कमाना चाहते हैं, उनके लिए हर्षद मेहता का जीवन प्रेरणाओं से भरा हुआ हो सकता है। हम यहाँ आपको कोई घोटाला करने के लिए ऐसा नहीं कह रहे हैं बल्कि हम यह सलाह दे रहे हैं कि आपको अपने सपनों को पूरा करने और उसका पीछा करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
जीवन में कोई भी बात भली या बुरी नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि आप आगे बढ़ने के लिए कितनी मेहतन करते हैं और योजनाओं पर अमल करते हैं। शेयर बाजार आगे बढ़ने का बहुत बड़ा अवसर है।
हर्षद मेहता, जिन्होंने अपने समय में शेयर मार्केट का ब्रोकर किंग बनने के बाद, 1992 में शेयर मार्केट में मैनिपुलेशन (पंप एंड डंप) किया था, उसका जीवन दिलचस्प और जीवन संघर्ष उपयोगी है।
उनकी कहानी से युवाओं को कुछ महत्वपूर्ण सिखने के अवसर मिलते हैं:
संघर्ष और संघर्षशीलता: हर्षद मेहता ने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया। उन्होंने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और अपनी संघर्षशीलता को साबित किया।
वित्तीय जागरूकता: हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट में अपनी जानकारी और वित्तीय बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। युवाओं को वित्तीय जागरूकता और निवेश की महत्वपूर्णता समझाने के लिए उनकी कहानी एक प्रेरणास्त्रोत हो सकती है।
सपनों की पूर्ति: हर्षद मेहता ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना किया। युवाओं को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत करने की महत्वपूर्णता समझाने के लिए उनकी कहानी एक उत्तेजना स्रोत हो सकती है।
इस तरह, हर्षद मेहता की जीवनी से हमें युवाओं को संघर्ष, वित्तीय जागरूकता, और सपनों की पूर्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल सकती है।
परामर्शः घोटाले और अपराधिक कार्यों से सीखने का एक महत्वपूर्ण पहलू है कि हम उन्हें नकारात्मक रूप से नहीं देखें, बल्कि उनकी गलतियों से सीखें और उन्हें दोबारा नहीं दोहराने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। अपराध करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जीवन और जीवन का उद्देश्य संकट में पड़ सकता है।
(कापीराइट – इंडिया सीएसआर)