ऐसा अन्नक्षेत्र कि मन प्रसन्न हो जाए, 51 हजार वर्गफीट से अधिक जगह में निर्मित इस तीन मंजिला भव्य अन्नक्षेत्र में एक दिन में हज़ारों श्रद्धालुओं के लिए सात्विक व शुद्ध भोजन की रहेगी व्यवस्था। देश-विदेश से पधारे भक्त ले सकेंगे लाभ
- 50 वीआईपी और वीवीआईपी सदस्यों के लिए अलग से होगी बैठक व्यवस्था।
- अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से परिपूर्ण इस भवन में दो लिफ्ट और विशेष स्थान पर एयरकंडीशनर युक्त बैठक व्यवस्था भी होगी
इंदौर/ उज्जैन। कहते हैं यदि किसी कार्य को करने की सदिच्छा मन मे हो, तो स्वयं भगवान आपके साथ हो जाते हैं। उसपर बात अगर महाकाल की नगरी में कोई अच्छा काम करने की हो तो कहने ही क्या। भगवान महाकाल के दर्शनों के लिए देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए भव्य नि:शुल्क फाइव स्टार स्तरीय भोजन व्यवस्था का शुभारंभ उज्जैन में किया गया। बालाजी सेवार्थ विनोद अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा निर्मित भव्य श्री महाकालेश्वर मंदिर अन्नक्षेत्र चमेली देवी अग्रवाल भवन को 25 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में मध्य प्रदेश में यह महत्वपूर्ण कार्य हुआ है।
विनोद अग्रवाल
1 लाख लोगों का भोजन तैयार करने की क्षमता
इसकी रसोई में एक बार में करीब 1 लाख लोगों का भोजन तैयार करने की क्षमता है। इसमें एक बार मे 3-5 हजार व एक दिन में 80 हजार से 1 लाख तक भक्त भोजन-प्रसादी ग्रहण कर सकेंगे। भवन का उद्घाटन मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा किया गया।
इस अवसर पर माननीय फाउंडेशन के प्रमुख श्री विनोद अग्रवाल व उनकी अर्धांगिनी श्रीमती नीना अग्रवाल, तपन अग्रवाल, वंशिका अग्रवाल, विभिन मंदिरों के पुजारी, संतगण एवं अन्य प्रतिष्ठित जन उपस्थित थे। अपने निर्माण की शुरुआत से ही यह भवन सबके आकर्षण का केंद्र व चर्चा का विषय बना हुआ है।
अन्नक्षेत्र तकनीक और सुविधाओं के मामले में सबसे उन्नत
देश में यूं कई जगहों पर बड़े अन्नक्षेत्र हैं लेकिन उज्जैन का यह अन्नक्षेत्र तकनीक और सुविधाओं के मामले में सबसे उन्नत है। इसे बनाने से पहले उज्जैन कलेक्टर श्री कुमार पुरषोत्तम तथा मंदिर प्रशासक श्री सन्दीप सोनी ने मिलकर इस विचार के लिए लंबी रिसर्च की।
देश के बड़े अन्नक्षेत्र देखे गए । कोयम्बटूर, चेन्नई और अहमदाबाद सहित देश के 5 भिन्न स्थानों से अलग अलग मशीनें मंगवाई गईं हैं। ये मशीनें सब्जी, रोटी, दाल सब बनाएँगी, आटा भी गूंथेंगीं और मसाले मिलाने, तड़का लगाने का काम भी बखूबी करेंगी।
ऑटोमैटिक भट्टियाँ रोटियाँ सेकेंगी
ऑटोमैटिक भट्टियाँ रोटियाँ सेकेंगी और भोजन के बाद जूठे बर्तनों को धोने का काम भी मशीनें ही करेंगी। खास बात यह कि यहाँ सीएनजी एवं इलेक्ट्रिक का उपयोग भोजन बनाने में किया जाएगा। यानी पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।
भक्ति एवं सेवा की प्रेरणा
असल में महाकाल लोक के निर्माण के दौरान ही मंदिर समिति ने इस बात पर विचार किया था कि महाकाल लोक बनने के पश्चात यहां दर्शन हेतु आने वाले लोगों संख्या में वृद्धि होगी एवं यात्रियों व भक्तों के लिए अन्य व्यवस्थाओं की भी जरूरत होगी। उसी समय इस अन्नक्षेत्र के विचार ने जन्म ले लिया था।
हमारे बड़े बुजुर्गों ने यह संदेश दिया है कि भूखे को भोजन कराना और भक्तों की सेवा करना भी प्रभु भक्ति के समान है। इसी विचार के साथ इस भव्य अन्नक्षेत्र के निर्माण की नींव रखी गई।
51,000 वर्गफीट में निर्माण
उद्घाटन के पश्चात अन्नक्षेत्र को महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन समिति को संचालन हेतु सौंप दिया गया। भवन को पूर्ण सुविधायुक्त बनाने का प्रयास किया है। कुल 51,000 वर्गफीट का निर्माण किया गया है, इसमें दो लिफ्ट्स भी शामिल हैं-जिसमें से एक रसोई की सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए होगी।
साथ ही यहाँ विशेष अतिथियों के लिए एयरकंडीशनर युक्त भोजन स्थल, भी उपलब्ध है। निर्माणकर्ताओं और व्यवस्थापकों का पूरा विश्वास है कि इस सेवाकार्य द्वारा उज्जैन आने वाले दर्शनार्थियों की यात्रा को और अधिक आनंददायक बनाने में योगदान दिया जा सकेगा।
(इंडिया सीएसआर)