रुसेन कुमार द्वारा
भूमिका
‘संतुष्टि’ एक बड़ा ही उपयोगी और आनंदित कर जाने वाला शब्द है। संतुष्टि मस्तिष्क की उस अवस्था को दर्शाता है, जब अंतसमन से खुशी होती है और लगने लगता है – इससे मुझे लाभ हुआ है। संतुष्टि मिलने पर व्यक्ति को उसका वर्तमान और निकट भविष्य सुखद प्रतीत होने लगता है। परंतु एक प्रश्न लगातार हमारे जीवन से जुड़ा रहता है कि जीवन के सफर में क्या कभी संतुष्टि मिलती है? क्या यह एक अस्थाई अवस्था है? कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) क्षेत्र में इसका क्या महत्व है, आइए जानने का प्रयास करते हैंः
संतुष्टि या सेटिस्फेक्शन क्या है
किसी कार्य की सफलता को मापने के लिए यह देखा जाता है कि कितनी मात्रा में संतुष्टि मिली। संतुष्टि मिलने का अर्थ है कितनी मात्रा में हितों की पूर्ति हुई है और कितने स्तर तक आवश्यकताओं को पूरा किया गया है। लोग और समुदाय की कुछ सुनिश्चित आवश्यकताएँ होती हैं। किसी भी कार्य के पूरा होने के उपरान्त हो आनंद की अनुभूति होती है उसी का नाम संतुष्टि है। प्रतिदिन के क्रियाकलापों में संतुष्टि का विशेष महत्व है। किसी भी कार्य का अंतिम परिणाम संतुष्टि है। किसी एक व्यक्ति की संतुष्टि को जानना बहुत सरल है, लेकिन समूह में रहने वाले लोगों की संतुष्टि को जानना बहुत कठिन होता है, क्योंकि वहाँ सबकी आवश्यकताएँ और मान्यताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। संतुष्टि नहीं मिलने की स्थिति में मन में अशान्ति और अस्थिरता बढ़ने की आशंका रहती है।
सोशल सेटिस्फेक्शन या सामाजिक संतुष्टि क्या है
सोशल सेटिस्फेक्शन या सामाजिक संतुष्टि एक विशेष शब्द है। यह माना गया है कि सोशल सेटिस्फेक्शन या सामाजिक संतुष्टि का उपयोग समुदाय की सामान्य मान्यताओं को मापने के लिए किया जाता है। सोशल सेटिस्फेक्शन या सामाजिक संतुष्टि शब्द औद्योगिकीकरण के कारण उत्पन्न हुआ है। औद्योगिकीकरण में बहुत ज्यादा मात्रा में जमीन की आवश्यकता होती है। भारत में औद्योगिक प्रयोजनों के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरे गाँव के गाँव को विस्थापित करना पड़ा है। उद्योग लगाने के लिए उपयुक्त स्थान पर जमीन की आवश्यकता होती है।
सफलतापूर्वक विस्थापित होने के बाद समुदाय की संतुष्टि को मापने के लिए सोशल सेटिस्फेक्शन या सामाजिक संतुष्टि टर्म का उपयोग किया जाता है। समुदाय को कितनी सुविधा मिली, क्या वे उन सुविधाओं का समुचित लाभ ले पा रहे हैं, क्या समुदाय को दिए संसाधन उनकी बुनियादी आवश्यकताओं के अनुकूल है आदि बातों को जानने के लिए सामाजिक संतुष्टि जैसे शब्द का प्रयोग किया जाता है।
हम कह सकते हैं कि औद्योगिक विस्थापन के बाद समाज और समुदाय की संतुष्टि का परीक्षण करना आवश्यक है। सामाजिक संतुष्टि का ध्यान नहीं रखने पर यह बातें समाज में असंतोष और रोष पैदा करने में सहायक की भूमिका निभाते हैं। कोई भी औद्योगिक संगठन नहीं चाहेगा कि उसके आस-पास का समुदाय रुष्ट और असंतुष्ट हो।
वास्तव में, जहाँ पर औद्योगिक विकास होता है, तो वहाँ का समुदाय की वहाँ के औद्योगिक संगठनों से कुछ अपेक्षाएँ रखती हैं। समुदाय की मंशा रहती है कि उनके समीप का उद्योग संगठन उनके समुदाय की आवश्यकताओं को समझ कर उसकी आपूर्ति कर दे। भारत में स्थानीय समुदाय में सामाजिक संतुष्टि बढ़ाने के लिए औद्योगिक संगठनों द्वारा धन राशि खर्च करने की परंपरा है।
सीएसआर में सामाजिक संतुष्टि का महत्व
कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के कार्यक्रमों के बाद यह जान लेना आवश्यक है कि उन सामाजिक कार्यक्रमों से समुदाय को क्या लाभ मिला, कितना लाभ मिला और उन समुदाय में विकास कायर्क्रमों के बारे में क्या आम राय है। इसलिए यह आवश्यक है कि कारपोरेट घरानों को सामाजिक संतुष्टि के स्तर का परीक्षण करने के लिए सर्वे करना चाहिए ताकि उन्हें समाज के कल्याण के लिए किए गए कार्यों के बारे में उसके प्रभाव के बारे में जानकारी मिल सके।
सीएसआर में सामाजिक संतुष्टि रिपोर्ट की अनिवार्यता
कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के कार्यक्रमों के बाद उसका प्रभाव जानने के लिए उसका रिपोर्ट तैयार करना आवश्यक है। यह आवश्यकता उन परियोजनाओं के लिए अनिवार्य है जिनमें 1 करोड़ तथा उससे अधिक की राशि खर्च किया गया है।
सामाजिक संतुष्टि को जानने के लिए क्या करना चाहिए
1. सामाजिक संतुष्टि को जानने-समझने के लिए समुदाय के साथ प्रत्यक्ष वार्तालाप करना चाहिए। छोटे-छोटे समूहों में बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए और यह परोक्ष रूप से पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि कार्यक्रमों का प्रभाव क्या पड़ा और उनमें संतुष्टि का स्तर किस दर्जे का है।
2. सामाजिक संतुष्टि को जानने और परखने के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए। यह सर्वेक्षण निरंतर चलते रहना चाहिए। सर्वेक्षण का अंतराल सुनिश्चित करना चाहिए। जैसे छह माह के बाद सर्वेक्षण किया जा सकता है। कुछ सर्वेक्षण वार्षिक किया जा सकता है। किसी विशेष उद्देश्य के लिए सामाजिक संतुष्टि सर्वेक्षण किया जा सकता है।
3. सामाजिक संतुष्टि सर्वेक्षण की सूचनाओं को संरक्षित करने के लिए उसे अध्ययन दस्तावेज के रूप में तैयार करके उसका प्रकाशन किया जा सकता है, ताकि उसका उपयोग भविष्य में संदर्भ के रूप में किया जा सके।
(रुसेन कुमार इंडिया सीएसआर के प्रबंध संपादक हैं।)