इस योजना को जनमन इसलिए कहा गया, क्योंकि ‘जन’ का अर्थ है लोग और ‘मन’ का अर्थ है उनके ‘मन की बात’ या उनकी ‘आंतरिक आवाज’। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, 15 जनवरी 2024
नई दिल्ली (इंडिया सीएसआर)। प्रधानमंत्री जनमन योजना (PM Janman Yojana) भारत सरकार द्वारा आदिवासी विशेष कमजोर जनजाति समूह के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इसका उद्देश्य उनके जीवन को सुधारना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
PM Janman Yojana के अंतर्गत केंद्र सरकार आदिवासी समाज के लोगों को बेहतर और आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधा और जरूरत को सुनिश्चित करने का काम करती है। इस योजना के तहत स्वास्थ्य, पोषण, और टिकाऊ रहन-सहन के मौके जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
इस योजना के तहत प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर 2023 को लगभग 24,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान को लॉन्च किया है। इस योजना के माध्यम से आदिवासी समाज के लोगों का पूरा विकास सुनिश्चित किया जा रहा है।
ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि यह योजना आदिवासी समूह और आदिम जनजातियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और उन्हें बेहतर जीवन की सुविधाएं प्रदान करेगी।
पीएम-जनमन योजना, जिसके लिए लगभग 24,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, 9 मंत्रालयों के सहयोग से 11 प्रमुख विकास पहलों के माध्यम से विशेष रूप से वंचित जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की बस्तियों और परिवारों की बेहतरी के लिए केंद्रित है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास की योजनाओं को तेजी से क्रियान्वन किया जा रहा है।

इस योजना का मुख्य लक्ष्य उन्हें सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करना है, ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, बिजली, सड़क सुविधाएं, दूरसंचार कनेक्टिविटी, और स्थायी आजीविका के अवसरों तक उनकी पहुँच को सुगम बनाया जा सके। इस प्रकार, पीवीटीजी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
योजना के क्रियान्वयन का उदाहरण
उदाहरण के रूप में, 15 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के 1 लाख लाभार्थियों को पहली किस्त जारी की गई। प्रधानमंत्री ने पीएम-जनमन के लाभार्थियों से बातचीत भी की।
प्रत्येक सदस्य को सरकारी योजनाओं का लाभ
प्रधानमंत्री ने 15 जनवरी 2024 को कहा कि पीएम-जनमन महाअभियान का लक्ष्य आदिवासी समुदाय के प्रत्येक सदस्य को सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करना है। दो महीने के भीतर, पीएम-जनमन मेगा अभियान ने ऐसे परिणाम हासिल किए हैं जिनका अन्य लोग केवल सपना देख सकते हैं।
चुनौतियाँ
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर पीएम-जनमन के उद्घाटन के दौरान चुनौतियों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने आदिवासी समुदायों का घर- देश के दूर-दराज, सुदूर और सीमावर्ती क्षेत्रों तक लाभ पहुंचाने में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने बताते हुए इस बात पर बल दिया कि यह वर्तमान सरकार ही थी, जिसने बहुत बड़ा काम किया और दूषित पानी, बिजली, गैस कनेक्शन की पहुंच न होने और ऐसे क्षेत्रों में सड़कों और कनेक्टिविटी की कमी की चुनौतियों पर कार्य किया। इस योजना को जनमन इसलिए कहा गया, क्योंकि ‘जन’ का अर्थ है लोग और ‘मन’ का अर्थ है उनके ‘मन की बात’ या उनकी ‘आंतरिक आवाज’। आदिवासी समुदायों की सभी इच्छाएँ अब पूर्ण होंगी। सरकार ने पीएम-जनमन मेगा अभियान पर 23,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की योजना बनाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश तभी विकसित हो सकता है जब समाज में कोई भी पीछे न छूटे और सरकारी योजनाओं का लाभ सभी तक पहुँचे। देश के लगभग 190 जिलों में सर्वाधिक पिछड़े आदिवासी समुदाय निवास करते हैं। दो महीने के भीतर 80,000 से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किये गये हैं।
सरकार ने अत्यंत पिछड़े आदिवासी समुदाय के लगभग 30,000 किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि से जोड़ा है, और 40,000 ऐसे लाभार्थियों के बैंकों में एकाउंट खोले गए हैं। 30,000 से अधिक वंचितों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। लगभग 11,000 लोगों को वन-अधिकार अधिनियम के तहत भूमि के पट्टे दिए गए हैं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अपना पूरा प्रयास कर रही है कि सरकार की हर योजना जल्द से जल्द हमारे सबसे पिछड़े आदिवासी समुदायों तक पहुंँचे।
खाते में पैसों का स्थानांतरण
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) को पक्के घर उपलब्ध कराने के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पैसा सीधे जनजातीय लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्हें पक्के घर के लिए 2.5 लाख रुपये मिलेंगे जो बिजली, गैस कनेक्शन, पाइप जल और शौचालय के साथ सम्मानजनक जीवन का स्रोत होगा। एक लाख लाभार्थी सिर्फ शुरुआत हैं और सरकार प्रत्येक योग्य उम्मीदवार तक पहुंचेगी। प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों को आश्वासन दिया और सख्ती से कहा कि वे इन लाभों के लिए किसी को भी रिश्वत न दें।
चर्चा में क्यों? प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) योजना
हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने महत्त्वाकांक्षी प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) योजना पर प्रकाश डाला। विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के उत्थान के उद्देश्य से यह पहल उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने तथा उज्जवल भविष्य के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करने की क्षमता रखती है।
पीएम-जनमन- संक्षिप्त जानकारी
- पीएम-जनमन एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाना है।
- यह योजना (केंद्रीय क्षेत्र तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के एकीकरण) जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों एवं PVTG समुदायों के सहयोग से कार्यान्वित की जाएगी।
- यह योजना 9 संबंधित मंत्रालयों द्वारा देख-रेख किये जाने वाले 11 महत्त्वपूर्ण कार्यप्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो PVTG वाले गाँवों में मौजूदा योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
- इसमें पीएम-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
- इस योजना में वन उपज के व्यापार के लिये वन धन विकास केंद्रों की स्थापना, 1 लाख घरों के लिये ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली तथा सौर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शामिल है।
- इस योजना से PVTG के साथ भेदभाव एवं उनके बहिष्कार के विविध व प्रतिच्छेदन रूपों का समाधान कर राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकास में उनके अद्वितीय व मूल्यवान योगदान को मान्यता और महत्त्व देकर PVTG के जीवन की गुणवत्ता तथा कल्याण में वृद्धि होने की उम्मीद है।
कार्यान्वयन में चुनौतियाँ
PVTG पर अद्यतन डेटा की कमी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि PVTG के लिये अंतिम उपलब्ध जनगणना डेटा वर्ष 2001 का है, जिसके अनुसार इन समुदायों से संबंधित लोगों की कुल संख्या लगभग 27.6 लाख थी।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आधारभूत सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन PVTG आबादी का एक सटीक और वर्तमान डेटासेट संकलित किया जाना बाकी है।
वर्ष 2022 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति को प्रस्तुत जनसंख्या डेटा, वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित था और इसमें महाराष्ट्र, मणिपुर एवं राजस्थान की PVTG जनसंख्या शामिल नहीं थी।
वर्तमान डेटा की कमी PVTG समुदायों की ज़रूरतों और प्रगति के सटीक मूल्यांकन में बाधा डालती है।
वर्ष 2013 में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा अनुशंसित PVTG समुदायों के लिये एक विशिष्ट जनगणना की अनुपस्थिति उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की स्थिति पर व्यापक जानकारी इकट्ठा करने की चुनौती को और बढ़ा देती है।
विभिन्न क्षेत्रों-राज्यों में PVTG की ज़रूरतों एवं क्षमताओं को लेकर जटिलता एवं विविधता तथा अनुकूलित और लचीले दृष्टिकोण व हस्तक्षेप की आवश्यकता।
मुख्यधारा के समाज और राज्य में PVTG द्वारा सामना किये जाने वाले कलंक और भेदभाव तथा हितधारकों एवं जनता के बीच संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता।
केंद्र और राज्य सरकारों की मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ योजना का समन्वय, अभिसरण तथा संसाधनों व सेवाओं के प्रभावी एवं कुशल वितरण और उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) कौन हैं?
वर्ष 1973 में ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PVTG) को एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में स्थापित किया, जिसमें घटती या स्थिर आबादी, पूर्व-कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग, आर्थिक पिछड़ेपन और कम साक्षरता वाले जनजातीय समुदायों को शामिल किया गया।
इन समूहों को जनजातीय समुदायों के बीच कम विकसित के रूप में पहचाना जाता है।
वर्ष 2006 में भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया। वे दूरदराज़ और दुर्गम इलाकों में रहते हैं तथा खराब बुनियादी ढाँचे और प्रशासनिक सहायता के कारण चुनौतियों का सामना करते हैं।
भारत में 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 75 PVTG समुदाय रहते हैं।
ओडिशा में PVTG (15) की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद आंध्र प्रदेश (12), बिहार और झारखंड (9), मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (7), तमिलनाडु (6) तथा केरल एवं गुजरात (5 प्रत्येक) हैं।
शेष समुदाय महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में फैले हुए हैं।
अंडमान में सभी चार और निकोबार द्वीप समूह में एक जनजातीय समूह को PVTG के रूप में मान्यता प्राप्त है।
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(India CSR)