उदयपुर। हिंदुस्तान जिंक द्वारा उठोरी अभियान के माध्यम से प्रदेश के 6 जिलों उदयपुर, सलुंबर, राजसमंद, चित्तौडगढ़, भीलवाड़ा और अजमेंर सहित उत्तराखण्ड के पंतनगर में महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों पर महिलाओं एवं छात्राओं सहित ग्रामीण क्षेत्र में लोागो को जागरूक किया गया है। परिचालन के आस पास के 120 गांवों में 1 लाख से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए है।
सखी परियोजना की महत्वपूर्ण पहल में से एक उठोरी अभियान ग्रामीण समुदायों में घरेलू हिंसा, कन्या भू्रण हत्या और बाल विवाह जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता एवं लैंगिक समावेशन को आगे बढ़ाने हेतु समर्पित है। उठोरी के तहत् 180 स्कूलों में 11 हजार से अधिक विद्यार्थियों सहित 1 लाख से अधिक महिलाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य, मिथकों को खत्म करने और पूर्व-किशोरों और किशोरों के बीच खुले संवाद को प्रोत्साहित करने जैसे विषयों पर आवश्यक बातचीत को बढ़ावा दिया है।
सखी परियोजना महिला सशक्तिरण हेतु उनमें वित्तीय और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। सखी संघों, ग्राम संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और लघू उद्यमों जैसे स्थायी बुनियादी स्तर के मंच प्रदान कर सशक्तिरण हेतु आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। नेतृत्व मंच के माध्यम से महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर, सखी ने परिधानों के लिए उपाया और खाद्य पदार्थों के लिए दाईची जैसे ब्रांडों के माध्यम से स्वामित्व और उद्यमशीलता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
उठोरी अभियान की सफलता हिंदुस्तान जिंक की सखी पहल के बड़े प्रभाव का हिस्सा है। सखी के तहत सूक्ष्म उद्यमों और एसएचजी सहित विभिन्न कार्यक्रमों से लगभग 25 हजार महिलाओं को लाभ हुआ है, इस पहल ने 200 गांवों में एक ठोस बदलाव किया है। सखी की उपलब्धियों में लगभग 2,050 एसएचजी का गठन, 12 सूक्ष्म उद्यमों का विकास और उठोरी जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ शामिल है, जो 1 लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुंच चुका है। ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ साथ हिंदुस्तान जिंक के सीएसआर प्रयासों ने लगभग 3,700 गांवों के लगभग 20 लाख लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
नंद घर, जिंक के शिक्षा संबल और ऊंची उड़ान जैसे कार्यक्रम के साथ ही हिंदुस्तान जिंक की सीएसआर पहल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और स्थायी आजीविका को बढ़ाने पर केंद्रित है। कंपनी के प्रयासों का उद्देश्य समग्र सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना है, जिसमें महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया गया है।
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