इंडिया सीएसआर न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। विश्व की सबसे बड़ी आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता कंपनी, डाबर इंडिया लिमिटेड सदियों पुरानी परंपरागत जानकारी में विज्ञान का समावेश करके आयुर्वेद को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। डाबर दुर्लभ मेडिसिनल जड़ी-बूटियों का बड़े स्तर पर विकसित करने की दिशा में बढ़ गई है। कंपनी द्वारा फिलहाल 2,700 एकड़ जमीन पर दुर्लभ जड़ी-बूटियों के पौधे विकसित किये गये हैं। वित्तवर्ष 2016-17 के अंत तक 3800 एकड़ क्षेत्र में दुलर्भ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को उगाया जायेगा।
इस कदम के द्वारा डाबर इंडिया द्वारा देश में दुर्लभ जड़ीबूटियों की खेती के लिए प्रयोग करने वाली जमीन लगभग दोगुनी हो जाएगी। लेह-लद्दाख की मुश्किल घाटियों सहित, देश के 10 राज्यों में फैले इस अभियान में पूरे देश के किसान एवं आदिवासी शामिल होंगे और लगभग 2500 किसान इससे लाभान्वित होंगे।
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कोलकाता में आयुर्वेदिक दवाई निर्माता के रूप में शुरुआत करके आज डाबर एक ट्रांसनेशनल एफएमसीजी कंपनी बन गई है। मौलिकता कंपनी के डीएनए में है। यह कंपनी न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है, बल्कि उनका विकास करके उनकी वृद्धि में योगदान भी देती है। डाबर की बदलाव की यात्रा आयुर्वेद की संपन्न विरासत एवं प्रकृति की गहन जानकारी से मजबूत हुई है। डाबर ने आयुर्वेदिक ग्रंथों के इस परंपरागत ज्ञान का प्रयोग आधुनिक विज्ञान के साथ करके ऐसे उत्पाद विकसित किए, जिसे हर पीढ़ी के ग्राहक पसंद करते हैं।
डाबर इंडिया लि. के हेड- बीआरडी, डॉ. बद्री नारायन ने बताया कि विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माता डाबर जिम्मेदारीपूर्ण पर्यावरण प्रबंधन में भरोसा करती है और यह अपने बायो रिसोर्सेस डेवलपमेंट (बीआरडी) अभियान के द्वारा पर्यावरण की समस्याओं का समाधान करने के लिए काम कर रही है।
कंपनी ने पंतनगर (उत्तराखंड) में पूर्णतः स्वचालित अत्याधुनिक ग्रीन-हाउस स्थापित किया है। अपनी तरह का यह पहला ग्रीनहाउस अपनी उत्कृष्टता एवं परिचालन के स्तर के साथ पूरी तरह से जड़ी-बूटियों एवं औषधीय पौधों के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि यह सुविधा किसानों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए सामग्री उपलब्ध कराएगी और किसान बड़े पैमाने पर उच्च गुणवत्ता के औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे।
हमने लगभग 100 दुर्लभ एवं उपयोगी जड़ी-बूटियों की पहचान की है। हम फिलहाल इनमें से 23 जड़ी-बूटियां उगा रहे हैं और 27 अन्य जड़ी-बूटियों की खेती प्रारंभ करने का खाका बना लिया है।
इस अभियान के साथ डाबर देश में विशलतम औषधीय जड़ी-बूटी उत्पादक के रूप में विकसित हो रही है। कंपनी लगातार बढ़ रही है और इसने सन 2015-16 में अपने ग्रीनहाउस से दुर्लभ औषधियों की लगभग 7.5 लाख सैपलिंग किसानों को मुफ्त वितरित कीं। समाज के साथ डाबर की निरंतर संलग्नता से जड़ी-बूटियों की कई विलुप्त होती प्रजातियों को पुर्नजीवित करने और जंगलो में रहने वाले समुदायों के लिए सतत आजीविका के निर्माण में मदद मिली है।
इससे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग प्रोजेक्टों के तहत एक पारदर्शी प्रक्रिया का निर्माण भी हुआ है। इससे बड़े स्तर पर गरीब किसानों को रोजगार के आर्थिक अवसर मिले हैं और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद भी मिली है। डाबर के ग्र्रीनहाउस में विकसित उच्च गुणवत्ता की प्लांटिंग सामग्री किसानों को खेती के लिए दी जाती है और बाद में पारस्परिक सहमति की शर्तों पर कंपनी द्वारा वापस खरीद ली जाती है।
इस मिशन में आगे बढ़ते हुए, डाबर द्वारा अब भारत के आयुर्वेदिक कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में हर्बल गार्डन स्थापित किया जा रहा है। डाबर च्यवन वाटिका नामक ये हर्बल गार्डन आने वाली पीढि़यों के लिए दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां उपलब्ध कराएगे। इस अभियान के तहत कंपनी अपनी ग्रीनहाउस से दुर्लभ औषधीय पौधों के नमूने आयुर्वेदिक कॉलेजों को प्रदान करेगी, जिन्हें वो फिर अपने हर्बल गार्डन में उगाएंगे। भारत के सर्वोच्च 50 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को ये जड़ीबूटियां प्रदान की जाएंगी और फिर ये डाबर च्यवन वाटिका नाम के इन हर्बल गार्डन्स में उगाई जाएंगी। इस साल डाबर ने डायबिटीज के इलाज में उपयोगी जड़ी-बूटियां उगाने के लिए इनका उपयोग किया।