उदयपुर। देश की एकमात्र और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक-सीसा-चांदी उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक को 34वें खान पर्यावरण और खनिज संरक्षण में विभिन्न श्रेणियों में 24 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारतीय खान ब्यूरो, अजमेर क्षेत्र के तत्वावधान में निम्बाहेड़ा में आयोजित पुरस्कार समारोह के दौरान सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया।
हिंदुस्तान जिंक की रामपुरा आगुचा खदान को अपशिष्ट डंप मैनेजमेंट, सस्टेनेबल डवलपमेंट, सिस्टमैटिक एण्ड साइंटिफिक डवलपमेंट, हेतु एवं भूमिगत श्रेणी में समग्र रूप से प्रथम स्थान हासिल हुआ। कायड माइन को रिक्लेमेशन एवं रिहेबिलेशन, मिनरल कन्सर्वेशन एण्ड सस्टेनेबल डवलपमेंट और समग्र रूप से दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। सिंदेसर खुर्द खदान ने सिस्टमैटिक एवं साइंटिफिक डवलपमेंट, मिनरल बेनिफिकेशन, पोस्टर प्रतियोगिता, डिजिटलीकरण के लिए पुरस्कार प्राप्त किया और समग्र रूप से दूसरा स्थान हासिल किया। राजपुरा दरीबा माइंस को वनीकरण, अपशिष्ट डंप प्रबंधन और खनिज लाभकारी के लिए पुरस्कार मिला।
मोचिया खदान को पुनर्ग्रहण एवं पुनर्वास, खनिज लाभकारी और पर्यावरण निगरानी के लिए पुरस्कार प्राप्त हुए। बलारिआ खदान को वनरोपण और प्रचार-प्रसार के लिए पुरस्कार प्राप्त हुए। बरोई खदान को सिस्टमैटिक एवं साइंटिफिक डवलपमेंट, खनिज संरक्षण और पर्यावरण निगरानी के लिए पुरस्कार प्राप्त हुए। जवारमाला खदान को पुनर्ग्रहण एवं पुनर्वास और वनीकरण के लिए पुरस्कार प्राप्त हुए।
नेट जीरो 2050 के लिए प्रतिबद्ध होने वाली पहली खनन कंपनियों में, हिंदुस्तान जिंक उच्च ईएसजी मानकों को बनाए रखने, जलवायु परिवर्तन, जल और ऊर्जा के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है। हिंदुस्तान जिंक भारत की पहली खनन कंपनी है जिसकी खदान भारत में ग्रीनको रेटेड प्रमाणित है।