कई बार कस्टमर पर्सनल लोन लेते समय लोन अवधि को लेकर दुविधा में फंस जाते हैं। वे यह तय नहीं कर पाते कि लोन छोटी अवधि के लिए लिया जाए या फिर लंबी अवधि के लिए। दरअसल, पर्सनल लोन की अवधि के हिसाब से आपके लोन की मासिक किश्त और कुल ब्याज लागत तय होती है। अगर अवधि छोटी है तो आप कम ब्याज भरेंगे, वहीं अगर ये लंबी है, तो आपके लोन की ईएमआई कम हो जाएगी। इसके अलावा, लंबी अवधि चुनने के कई लाभ हैं जैसे- आपके लोन की योग्यता में सुधार होगा, लोन डिफॉल्ट करने की संभावना कम हो जाएगी और आप लोन चुकाने के साथ-साथ अपने खर्चों को मैनेज कर पाएंगे। चलिए थोड़ा विस्तार से जानते हैं पर्सनल लोन के लिए लंबी अवधि चुनने के क्या लाभ और नुकसान हैं।
लंबी अवधि के लिए पर्सनल लोन लेने के क्या फायदें हैं?
- लोन की ईएमआई को कम करता है
लंबी अवधि के लिए पर्सनल लोन लेने पर आपकी ईएमआई कम हो जाएगी। आपको हर महीने अधिक ईएमआई भरने का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। कम ईएमआई होने पर आप अपने पर्सनल खर्चों को अच्छे से मैनेज कर पाएंगे। साथ ही, अतिरिक्त पैसे बचाकर उसे कहीं निवेश कर सकेंगे। वहीं अगर भविष्य में कभी किसी इमरजेंसी का सामना भी करना पड़ता है तो ईएमआई में डिफॉल्ट होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
- अधिक राशि का लोन लेने की संभावना बढ़ जाएगी
जैसा कि हमने पहले बताया लंबी अवधि का पर्सनल लोन लेने से आपकी लोन भुगतान क्षमता बढ़ जाएगी। साथ ही, ऐसा करने पर आपका EMI/NMI रेश्यो भी कम हो जाएगा, जिससे आप अधिक राशि का पर्सनल लोन ले सकेंगे। बैंक और NBFC आवेदकों की भुगतान क्षमता का पता लगाने के लिए EMI/NMI रेश्यो को चेक करते हैं। बैंक आमतौर पर उन आवेदकों को पर्सनल लोन देना पसंद करते हैं जिनका कुल लोन ऑब्लिगेशन (जिस लोन के लिए आवेदन किया गया है उसकी ईएमआई समेत) उनकी नेट मासिक इनकम के 50-55% के भीतर होता है।
जिन लोगों का EMI/NMI रेश्यो इस सीमा से अधिक है, वे अपनी ईएमआई कम करने के लिए लंबी अवधि का पर्सनल लोन ले सकते हैं। इसके अलावा, जिस लोन के लिए आवेदन करने वाले हैं उसकी ईएमआई को कैलकुलेट करना न भूलें। आप पर्सनल लोन ईएमआई कैलकुलेटर की मदद से अपनी भुगतान क्षमता के आधार पर उपयुक्त अवधि और ईएमआई का पता लगा सकते हैं।
- लोन का समय पर भुगतान कर सकेंगे
लोन की ईएमआई कम होने से कस्टमर के ऊपर लोन का बोझ कम हो जाता है और वे अतिरिक्त राशि बचा पाते हैं। इससे इमरजेंसी के मामले में भी लोन डिफॉल्ट की संभावना कम हो जाती है। इस तरह, कस्टमर अपने लोन को समय से चुका पाते हैं जिससे उनके क्रेडिट स्कोर में सुधार होता है।
लंबी अवधि के लिए पर्सनल लोन लेने के नुकसान क्या हैं?
- अधिक ब्याज भरना पड़ता है
लंबी अवधि के लिए पर्सनल लोन लेने पर कस्टमर को अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। पर्सनल लोन की अवधि जितनी लंबी होगी, उतनी ही अधिक उसका ब्याज होगा। ऐसे में जो कस्टमर्स सिर्फ कम ईएमआई के लिए लंबी अवधि चुनते हैं, उन्हें लॉन्ग टर्म के लिए बैंक को अधिक ब्याज देना पड़ता है। कई मामलों में तो ब्याज लोन राशि के 50% तक हो सकती है।
- अन्य लोन के लिए योग्यता कम हो जाती है
लंबे समय के लिए पर्सनल लोन लेने से कस्टमर की भुगतान क्षमता लंबी अवधि के लिए ब्लॉक हो जाती है। आसान शब्दों में, आप लंबी अवधि के लिए लोन लेते हैं तो आपको लंबे समय तक उसकी ईएमआई भरनी पड़ती है। मौजूदा लोन की ईएमआई भरने की वजह से आपकी भुगतान क्षमता कम हो जाती है और नए लोन मिलने की संभावना भी कम हो जाती है।
निष्कर्ष
ऊपर दी गई जानकारी से एक बात तो साफ है कि लोन अवधि का चयन काफी समझदारी से करना चाहिए। अवधि चुनते समय अपने मासिक खर्चों और मौजूदा कर्ज़ का ध्यान रखना ज़रूरी है। इसके अलावा अवधि का चयन करने में मासिक इनकम भी एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है। अगर आपकी इनकम अधिक है और आप अपने खर्चों को मैनेज करते हुए ब्याज के रूप में अधिक रकम दे सकते हैं, तो छोटी अवधि चुनें और अगर इनकम कम है तो लंबी अवधि का चयन करें। ऐसी अवधि चुनें जो आपके मासिक खर्चों, अन्य लोन की ईएमआई, इंवेस्टमेंट आदि को प्रभावित न करती हो। इसके अलावा, लोन के लिए अप्लाई करने से पहले उसकी ईएमआई और ब्याज लागत को कैलकुलेट कर लें। जिससे आपको ठीक-ठीक अंदाज़ा लग सके कि क्या आप इतनी ईएमआई भर सकते हैं या नहीं।
इसी तरह की लोन और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी जानकारी फ़िन-शास्त्र पर पढ़ें।
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