खबर का सार
बहुत समय से यह अटलकें लगाई जा रही थीं कि राजस्थान के भरतपुर में लुपिन लिमिटेड (लुपिन) अपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) कार्यालय को बंद करने वाली है। दरअसल, लुपिन फाउँडेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के रिटायर होने के बाद कंपनी ने भरतपुर स्थित सीएसआर कार्यालय में ध्यान देना बंद कर दिया था। यह बताना चाहेंगे कि लुपिन लिमिटेड द्वारा भरतपुर क्षेत्र के विकास के लिए पिछले 3 दशकों से सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्य किए जा रहे हैं। रोचक बात यह है कि लुपिन के संस्थापक डा. देशबंधु गुप्ता राजस्थान के रहने वाले थे। उन्हें अलवर और भरतपुर क्षेत्र से विशेष लगाव था।
भरतपुर (इंडिया सीएसआर)। भरतपुर में लुपिन की सीएसआर प्रमुख सुश्री तुषारा शंकर और वाइस प्रेसीडेंट (कॉरपोरेट कम्युनिकेशन) सुश्री स्वेता मुंजाल की प्रेस वार्ता आयोजित की थी।
प्रेस वार्ता में उन्होंने दावा कि भरतपुर में लुपिन की सीएसआर से जुड़ी गतिविधियाँ व कार्यक्रम नहीं बंद होंगे। कल्याणकारी परियोजनाओं को और बेहतर किया जाएगा। अब हेल्थ व आजीविका के लिए काम होगा।
भरतपुर में सीएसआर खर्च कम किया गया
कंपनी ने भरतपुर में चल रही विकास परियोजनाओं को कम कर दिया है।
सीएसआर प्रमुख सुश्री तुषारा शंकर ने कहा – हमने खर्चे कम किये हैं, ऑफिस को बड़े से छोटा किया है, लेकिन हम लोगों का जीवनस्तर बदलने के लिए काम करेंगे।
यह सर्वमान्य तथ्य है कि लुपिन फाउंडेशन ने भरतपुर और अलवर में समुदायों और लोगों के जीवन में बदलाव लाया हैं।
सीएसआर कार्यालय बंद नहीं होगा
लुपिन के वाइस प्रेसीडेंट (कॉरपोरेट कम्युनिकेशन) सुश्री स्वेता मुंजाल ने कहा कि भरतपुर सीएसआर कार्यालय को बंद करने की जानकारी गलत है।
उन्होंने इस बात का खंडन किया कि कुछ लोगों द्वारा इस बारे में जो अफवाह फैलाई जा रही है वह तथ्यहीन है कि लुपिन भरतपुर में बाइन्ड अप कर रहा है।
यहाँ यह बताना उचित प्रतीत होता है कि लुपिन फाउँडेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के सेवानिवृत्त होने के बाद कंपनी ने भरतपुर सीएसआर कार्यालय की ओर ध्यान देना बंद कर दिया था। कंपनी ने सीएसआर परियोजनाओं की धनराशि में भी कटौती कर दी थी।
इन बातों को लेकर लुपिन फाउँडेशन के प्रति स्थानीय जनता और प्रशासन में रोष व्याप्त हो गया था।
यह माना जाना चाहिए कि इसी बात का स्पष्टीकरण देने के लिए कंपनी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भरतपुर भेज कर स्पष्टीकरण दिया है।
बताना चाहेंगे कि विश्व की अग्रणी फार्मा कंपनियों में से एक लुपिन लिमिटेड (लुपिन) की कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) शाखा, लुपिन ह्यूमन वेलफेयर एंड रिसर्च फाउंडेशन (एलएचडब्ल्यूआरएफ) ने 3 दशकों से अधिक समय से भरतपुर और अलवर में परिवारों के लिए सामाजिक और आर्थिक कल्याण की गतिविधियों का संचालन किया हैं।
30 वर्षों से भरतपुर में सेवा और कल्याण की गतिविधियाँ
अग्रणी दवा निर्माता कंपनी लुपिन लिमिटेड (लुपिन) की कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) शाखा, लुपिन ह्यूमन वेलफेयर एंड रिसर्च फाउंडेशन (एलएचडब्ल्यूआरएफ) ने 3 दशकों से अधिक समय से भरतपुर और अलवर में परिवारों के लिए सामाजिक और आर्थिक कल्याण की गतिविधियों का संचालन किया हैं।
खास तौर पर फाउंडेशन ने स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) के जरिये, स्थानीय वैल्यू चेंज को मजबूती प्रदान करने और सामुदायिक नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
भरतपुर और अलवर लुपिन फाउंडेशन के गतिविधियों के केंद्र हैं। फाउंडेशन के कार्यक्रमों में मधुमक्खी पालन, बागवानी क्लस्टर और गैर-कृषि व्यवसाय के आजीविका केंद्र (जैसे, तुलसी माला, पत्थर की नक्काशी, रत्न पॉलिशिंग, मिट्टी के बर्तन और चूड़ी बनाना शामिल हैं।
स्थायी आजीविका समाधान की परियोजनाएँ
लुपिन फाउंडेशन अब आजीविका और स्वास्थ्य पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करने जा रहा है। आजीविका कार्यक्रम का संचालन करते हुए फाउंडेशन गहन दृष्टिकोण लेकर काम करना जारी रखेगा, ताकि भरतपुर और अलवर के चुनिंदा ब्लॉकों में भूमिहीन, कारीगरों, छोटे और सीमांत किसानों के लिए स्थायी आजीविका समाधान प्रदान करने का कार्य कर सके।
वंचित परिवारों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए, फाउंडेशन के लाइफ हेल्थकेयर प्रोग्राम, हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत करते हुए, स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाया जाएगा और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास किये जायेगे। राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों के आधार पर, फाउंडेशन प्रारंभिक रूप से हृदय और दीर्घकालीन सांस की बीमारियों (सीओपीडी) पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
तुषारा शंकर ने कहा कि “वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्धता एवं नजरिये की जरूरत पड़ती है, लुपिन फाउंडेशन 1988 से विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण कार्य पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।”
जैसे ग्रामीण उत्थान, जल एवं स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण, शिक्षा, और कोविड-19 और आपदा राहत. समुदायों के साथ काम करने के अपने समृद्ध अनुभव के साथ, हम भरतपुर और अलवर में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में अपने प्रभाव को तेज करने के लिए उत्साहित हैं, ताकि एक स्थायी और महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकें।
भरतपुर में 25 गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का जो काम एक परियोजना के रूप में शुरू हुआ था। इसका विस्तार होकर आज पूरे भारत के 9 अन्य राज्यों और 23 जिलों के 5000 से अधिक गांवों में फैल गया है।
(इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा)