छत्तीसगढ़ का वित्त मंत्री कौन है । Who is finance Minister of Chhattisgarh 2024
ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ राज्य के तृतीय वित्तीय मंत्री नियुक्त हुए हैं। दो दशकों के बाद किसी मंत्री को सौंपा गया यह विभाग। पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को छत्तीसगढ़ का वित्त मंत्री बनाया गया। वे छत्तीसगढ़ में इस पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे विधायक हैं। बीस वर्षों के उपरांत इस राज्य में किसी मंत्री को वित्त विभाग सौंपा गया है।
ओपी चौधरी का परिचय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा मंत्रिमंडल के विभागों का आवंटन किया गया ।
- पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को छत्तीसगढ़ का तीसरा वित्त मंत्री बनाया गया।
- ओपी चौधरी इस पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे विधायक हैं।
- बीस वर्षों के उपरांत इस राज्य में किसी मंत्री को वित्त विभाग सौंपा गया है।
प्रशासनिक क्षमता में निपुण पूर्व आईएएस ओपी चौधरी रायगढ़ से भाजपा विधायक और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी प्रशासनिक क्षमता में निपुण हैं। वे पहली बार 2023 में विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं। साल 2018 में आईएएस के पद से इस्तीफा देकर उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया था। इसके बाद, उन्होंने साल 2018 में रायगढ़ जिले के खरसिया से विधानसभा चुनाव लड़ा था।
इस दौरान उन्हें कांग्रेस नेता स्व. नंदकुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल से हार का सामना करना पड़ा था। उनके करियर को लेकर विभिन्न चर्चाएँ होने लगी थीं। कुछ आलोचकों ने उनके करियर के समाप्त होने की धारणा बना ली थी। हालांकि, वे भाजपा संगठन के साथ पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण के साथ जुड़े रहे। उन्होंने प्रदेश भाजपा महामंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद, इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने खरसिया की जगह रायगढ़ से चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
ओपी चौधरी का विस्तारपूर्वक जीवन परिचयc उनके पिताजी स्व. दीनानाथ चौधरी शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षक थे। जब वे केवल 8 वर्ष के थे और कक्षा दूसरी में पढ़ते थे, तभी उनके पिताजी का देहांत हो गया था। पिताजी के असामयिक निधन के बाद माँ कौशल्या का जीवन चुनौतियों से भरा हुआ रहा। माँ मात्र चौथी कक्षा तक पढ़ी हुई सामान्य गृहिणी हैं। उन्होंने अपने तीनों बच्चों की परवरिश में अपना सर्वस्व लगा दिया।
ओ.पी. चौधरी ने 5वीं तक की पढ़ाई प्राथमिक शाला बायंग, कक्षा 6वीं से 8वीं तक की पढ़ाई शासकीय मिडिल स्कूल जैमुरा और 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नन्देली में पूरी की। वे बचपन से ही कलेक्टर बनना चाहते थे। कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई कर अत्यंत कम उम्र में 2005 में उनका चयन I.A.S. के लिए हुआ। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ से चयनित होने वाले वे प्रथम I.A.S. बने। उन्होंने I.A.S. में चयन के बाद अपनी कर्मभूमि के रूप में छत्तीसगढ़ को ही चुना।
ओ.पी. चौधरी की जीवनसाथी डॉ. अदिति पटेल की सोच और मानसिकता भी उनके समरूप है। उन्होंने भी अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया है। उन्होंने भी 8 साल की उम्र में अपने पिता को खोया। डॉ. अदिति पटेल, मेडिकल कॉलेज रायपुर से एम.बी.बी.एस. करके डॉक्टर बनी और उसके बाद उन्होंने भी सिविल सेवा का रास्ता चुना और अपने प्रथम प्रयास में ही इण्डियन रेलवे पर्सनल सर्विस के लिए चयनित हुई। ओ.पी. चौधरी ने कलेक्टर के रूप में दंतेवाड़ा, जांजगीर-चांपा और रायपुर में सफलतापूर्वक अपनी भूमिका निभायी।
दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी, लाइवलीहुड कॉलेज, छू लो आसमान, तमन्ना, नन्हे परिन्दे जैसी नवीन परियोजनाओं से नयी शिक्षा क्रांति लाकर नक्सलवाद की जड़ों पर प्रहार किया। उन्हें वर्ष 2011-12 में व्यक्तिगत श्रेणी में ‘‘ प्रधानमंत्री एक्सीलेंस‘‘ अवार्ड से सम्मानित किया गया। राजधानी रायपुर में युवाओं के लिए श्री ओ.पी. चौधरी ने नालंदा परिसर जैसी अद्वितीय और देश की प्रथम परियोजना को साकार किया। उन्होंने 13 वर्ष तक I.A.S.में सेवा देने के बाद अपनी 24 वर्ष की शेष बची नौकरी को छोड़कर राजनीति में आने का निर्णय लिया। वे आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के निर्माण को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हैं।
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क्या आप जानना चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्तीय मंत्री कौन थे?
पूर्ववर्ती वित्त मंत्री कोरिया के राजा रामचंद्र सिंहदेव थे। वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में राज्य के प्रथम वित्त मंत्री थे। उनके पश्चात् चौधरी को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पंद्रह वर्ष के शासनकाल और भूपेश बघेल के पांच वर्ष के कार्यकाल में यह विभाग उन्हीं के पास था। पहली बार, छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल के विभागों के आवंटन में यह विभाग मुख्यमंत्री के प्रोफ़ाइल से हटाकर किसी मंत्री को सौंपा गया है।
कोरिया कुमार के नाम से प्रसिद्ध थे डॉ. रामचंद्र सिंहदेव कोरिया कुमार के नाम से प्रसिद्ध स्वर्गीय डॉ. रामचंद्र सिंहदेव का जन्म 13 फरवरी 1930 को बैकुंठपुर में हुआ था। वे 1967 से 2000 तक अविभाजित मध्य प्रदेश में विधानसभा के सदस्य, मंत्री और राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। छत्तीसगढ़ के गठन के पश्चात् वे राज्य के प्रथम वित्त मंत्री बने। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर के राजकुमार कॉलेज से और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी, जहां से उन्होंने रसायन विज्ञान में एमएससी और समाजशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।
उन्हें अर्थशास्त्र का विशेषज्ञ माना जाता था। उनके सहपाठी में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी शामिल थे। साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह उनके जूनियर थे। उनकी रुचि फोटोग्राफी और पुस्तक लेखन में थी। उन्होंने सिंचाई, योजना, और अर्थशास्त्र के उन्नत स्वरूपों पर निरंतर चिंतन किया और जनहित के मुद्दों पर आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय सेमिनारों में सक्रिय भागीदारी निभाई। जर्मनी की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने उन्हें कुशल जल प्रबंधन के लिए सम्मानित भी किया था। 88 वर्ष की आयु में 20 जुलाई 2018 को उनका निधन हो गया।
लगातार छह बार चुनाव जीते कोरिया राजघराने के रामचंद्र सिंहदेव ने 1967 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और विजयी हुए। अविभाजित मध्यप्रदेश में वे ऐसे दौर में थे जब उन्होंने 1967 में चुनाव जीतने के बाद एक साथ सोलह विभाग संभाले थे। यह उस समय का एक रिकॉर्ड था। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि मंत्रालय के एक कमरे से निकलकर दूसरे कमरे में जाना और बैठकें लेना उनकी आदत में शामिल था। लगभग छह महीने तक ये सभी विभाग उनकी जिम्मेदारी में रहे।
(इंडिया सीएसआर)