सीएसआर एक महत्वपूर्ण अवधारणा है और यह व्यवसायों और समाज दोनों के लिए फायदेमंद है. सीएसआर समाज को बेहतर बनाता है और यह व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाता है.
सीएसआर का मतलब है कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर), यानी कारपोरेट जगत का सामाजिक उत्तरदायित्व. यह एक ऐसी अवधारणा है जिसमें व्यवसायों को अपने लाभ के अलावा समाज के लिए भी कुछ करना होता है. यह समाज के साथ एक समझौता है, जिसमें व्यवसायों को अपने कर्मचारियों, ग्राहकों, समुदाय और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का वादा करना होता है. सीएसआर एक महत्वपूर्ण अवधारणा है और यह व्यवसायों और समाज दोनों के लिए फायदेमंद है. सीएसआर व्यवसायों को बेहतर प्रतिष्ठा, बढ़ी हुई ग्राहक वफादारी, बेहतर कर्मचारी प्रेरणा, कम लागत, बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता, बेहतर समुदाय संबंध और बेहतर पर्यावरण प्रदान करता है.
सीएसआर का इतिहास
सीएसआर की अवधारणा का इतिहास बहुत पुराना है. प्राचीन काल में भी व्यवसायों को सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होता था. उदाहरण के लिए, प्राचीन रोम में व्यवसायों को अपने कर्मचारियों को भोजन और आवास प्रदान करना होता था. वे अपने कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा भी प्रदान करते थे.
आधुनिक काल में सीएसआर की अवधारणा का उदय 20वीं शताब्दी में हुआ. यह एक समय था जब व्यवसायों का आकार और प्रभाव बढ़ रहा था. व्यवसायों को अब यह महसूस होने लगा था कि वे समाज पर एक बड़ा प्रभाव डाल रहे हैं. इसलिए उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने की शुरुआत की.
धर्म खाता
भारत में धर्म खाता एक ऐसा खाता है जिसमें धार्मिक एवं सामाजिक संस्थानों द्वारा सामाजिक सेवा कार्यों के लिए धन जमा किया जाता है. धर्म खाता में दान, अनुदान और अन्य माध्यमों से धन जमा किया जाता था. धर्म खाते से प्राप्त धन का उपयोग धार्मिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया जाता है, जैसे कि मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों का निर्माण और रखरखाव, धार्मिक शिक्षा और प्रचार, और धार्मिक अनुष्ठान और समारोह आदि.
सीएसआर की परिभाषाएँ
कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) की कई परिभाषाएँ हैं, लेकिन इसका सबसे व्यापक अर्थ है कि व्यवसायों को अपने लाभ के अलावा समाज के लिए भी कुछ करना होता है. यह समाज के साथ एक समझौता है, जिसमें व्यवसायों को अपने कर्मचारियों, ग्राहकों, समुदाय और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का वादा करना होता है.
यहां कुछ सीएसआर की परिभाषाएँ दी गई हैं:
यूरोपीय संघ: “सीएसआर का अर्थ है एक व्यवसाय की इच्छा और जिम्मेदारी है कि वह अपने हितधारकों के साथ अपनी गतिविधियों, उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से समाज के साथ सकारात्मक बातचीत करे.”
संयुक्त राष्ट्र: “सीएसआर व्यवसायों के लिए अपने संचालन के माध्यम से सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखना और उनके प्रभावों को कम करना है.”
वर्ल्ड बिजनेस काउंसिल: “सीएसआर व्यवसायों के लिए अपने आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रदर्शन को एकीकृत करने की प्रक्रिया है.”
सीएसआर एक व्यापक अवधारणा है और इसमें कई अलग-अलग पहलू शामिल हैं. कुछ सबसे आम सीएसआर पहलुओं में शामिल हैं:
पर्यावरण संरक्षण: सीएसआर के तहत व्यवसायों को अपने संचालन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों को कम करने या समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए.
सामाजिक न्याय: सीएसआर के तहत व्यवसायों को अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और समुदाय के साथ सामाजिक न्याय का पालन करना चाहिए.
गरीबी उन्मूलन: सीएसआर के तहत व्यवसायों को गरीबी को कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए.
शिक्षा: सीएसआर के तहत व्यवसायों को शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए.
स्वास्थ्य देखभाल: सीएसआर के तहत व्यवसायों को स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना चाहिए.
सीएसआर व्यवसायों को वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद करता है. वे गरीबी, असमानता, पर्यावरणीय प्रदूषण और अन्य सामाजिक समस्याओं को कम करके ऐसा कर सकते हैं.
सीएसआर का बढ़ता महत्व
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का सामाजिक महत्व निम्नलिखित है:
- समाज को बेहतर बनाना: सीएसआर व्यवसायों को समाज को बेहतर बनाने में मदद करता है. यह गरीबी, असमानता, पर्यावरणीय प्रदूषण और अन्य सामाजिक समस्याओं को कम करने में मदद करता है.
- व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाना: सीएसआर व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाता है. यह व्यवसायों को ग्राहकों, कर्मचारियों और समुदायों से अधिक विश्वास और समर्थन प्राप्त करने में मदद करता है.
- व्यवसायों को लाभान्वित करना: सीएसआर व्यवसायों को लाभान्वित करता है. यह व्यवसायों को बेहतर प्रतिष्ठा, बढ़ी हुई ग्राहक वफादारी, बेहतर कर्मचारी प्रेरणा, कम लागत, बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता, बेहतर समुदाय संबंध और बेहतर पर्यावरण प्रदान करता है.
सीएसआर के कुछ सामाजिक लाभ
यहां सीएसआर के कुछ सामाजिक लाभ दिए गए हैं:
- गरीबी उन्मूलन: सीएसआर व्यवसायों को गरीबी उन्मूलन में मदद कर सकता है. वे गरीब समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके ऐसा कर सकते हैं.
- असमानता को कम करना: सीएसआर व्यवसायों को असमानता को कम करने में मदद कर सकता है. वे सभी समुदायों के लिए समान अवसर प्रदान करके ऐसा कर सकते हैं.
- पर्यावरण संरक्षण: सीएसआर व्यवसायों को पर्यावरण संरक्षण में मदद कर सकता है. वे अपने संचालन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों को कम करके ऐसा कर सकते हैं.
- सामाजिक न्याय: सीएसआर व्यवसायों को सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. वे सभी समुदायों के लोगों के साथ समान व्यवहार करके ऐसा कर सकते हैं.
सीएसआर समाज को बेहतर बनाता है और यह गरीबी, असमानता, पर्यावरणीय प्रदूषण और अन्य सामाजिक समस्याओं को कम करने में मदद करता है.
भारत में सीएसआर
भारत में सीएसआर की अवधारणा का उदय 1990 के दशक में हुआ. यह एक समय था जब भारत में उदारीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी. भारतीय व्यवसायों को अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही थी. इसलिए उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने की शुरुआत की.
सीएसआर व्यवसायों को लाभान्वित करता है. वे बेहतर प्रतिष्ठा, बढ़ी हुई ग्राहक वफादारी, बेहतर कर्मचारी प्रेरणा, कम लागत, बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता, बेहतर समुदाय संबंध और बेहतर पर्यावरण प्रदान करता है.
सीएसआर कानून
सरकार ने 2014 में एक सीएसआर कानून बनाया है. भारत सरकार ने भी सीएसआर को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत सरकार ने 2014 में एक सीएसआर कानून बनाया है. इस कानून का नाम “कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) अधिनियम, 2013” है. इस कानून में यह प्रावधान रखा गया है कि सभी बड़े व्यवसायों को अपने कुल लाभ का 2% सीएसआर के लिए खर्च करना होता है. सीएसआर का मतलब है कि व्यवसायों को अपने लाभ के अलावा समाज के लिए भी कुछ करना होता है.
सीएसआर अधिनियम, 2013 के तहत सीएसआर के लिए खर्च किए जाने वाले धन का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा सकता है:
- शिक्षा
- स्वास्थ्य देखभाल
- गरीबी उन्मूलन
- महिला सशक्तिकरण
- बाल अधिकार
- विकलांग अधिकार
- आदिवासी अधिकार
- धार्मिक समुदायों के साथ सहयोग
- पर्यावरण संरक्षण
अन्य सामाजिक और पर्यावरणीय उद्देश्य
सीएसआर अधिनियम, 2013 के तहत व्यवसायों को सीएसआर के अपने कार्यों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है. इस रिपोर्ट में सीएसआर के लिए खर्च किए गए धन का विवरण, सीएसआर के कार्यों के परिणाम और सीएसआर के कार्यों के लिए उपयोग की गई प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए.
सीएसआर अधिनियम, 2013 एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत में सीएसआर को बढ़ावा देगा. यह कानून व्यवसायों को सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और यह समाज को बेहतर बनाएगा.
सीएसआर के व्यावसायिक लाभ
सीएसआर के कई लाभ हैं. यह व्यवसायों को कई तरह से मदद करता है. सीएसआर व्यवसायों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
- बेहतर प्रतिष्ठा
- बढ़ी हुई ग्राहक वफादारी
- बेहतर कर्मचारी प्रेरणा
- कम लागत
- बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता
- बेहतर समुदाय संबंध
- बेहतर पर्यावरण
सीएसआर के प्रकार
सीएसआर के कई प्रकार हैं. व्यवसायों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए इन सभी प्रकारों को अपनाना चाहिए. सीएसआर के कुछ प्रकार इस प्रकार हैं:
- पर्यावरण संरक्षण
- शिक्षा
- स्वास्थ्य देखभाल
- गरीबी उन्मूलन
- महिला सशक्तिकरण
- बाल अधिकार
- विकलांग अधिकार
- आदिवासी अधिकार
- धार्मिक समुदायों के साथ सहयोग
सीएसआर का भविष्य
सीएसआर का भविष्य उज्ज्वल है. भारतीय व्यवसाय भी सीएसआर को अपनाने के लिए अधिक इच्छुक हो रहे हैं. वे सीएसआर को अपने व्यवसाय के लिए फायदेमंद मानते हैं. भारत में सीएसआर को तेजी से अपनाया जा रहा है. भारतीय व्यवसायों को अब यह समझ आ गया है कि सीएसआर उनके लिए फायदेमंद है. वे सीएसआर को अपनी व्यावसायिक रणनीति का एक अभिन्न अंग बना रहे हैं. सीएसआर का भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा. अधिकाधिक कंपनियाँ अपनी सीएसआर राशि समाज के कल्याण के लिए खर्च करने के लिए लगातार प्रेरित हो रही हैं। यह भारत को एक अधिक समृद्ध, न्यायसंगत और समावेशी समाज बनाएगा. सीएसआर व्यवसायों को बेहतर प्रतिष्ठा, बढ़ी हुई ग्राहक वफादारी, बेहतर कर्मचारी प्रेरणा, कम लागत, बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता, बेहतर समुदाय संबंध और बेहतर पर्यावरण प्रदान करता है.सरकार और व्यवसाय दोनों सीएसआर को बढ़ावा दे रहे हैं. सीएसआर भारत को एक अधिक समृद्ध, न्यायसंगत और समावेशी समाज बनाएगा.