छग में कोरबा के तीन गांवों की 1700 हेक्टेयर भूमि पर बालको और नाबार्ड का वाटरशेड प्रारंभ किया गया
इंडिया सीएसआर न्यूज नेटवर्क
बालको नगर (कोरबा), छत्तीसगढ़। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) और नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले के सोनगुढ़ा, औंराकछार और दोंदरो गांवों की 1700 एकड़ भूमि पर वाटरशेड परियोजना की शुरूआत की गई है। यह विकास परियोजना बालको द्वारा कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत शुरू की गई है। इसके पहले भी बालको द्वारा कुछ अन्य गांवों में ऐसी ही परियोजना चलाई गई।
खेती-किसानी के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बालको द्वारा नाबार्ड के साथ मिलकर किसानों की सहभागिता से वाटरशेड परियोजना सैकड़ों किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।
बालको के सीएसआर प्रमुख आशीष रंजन ने नई परियोजना के आरंभ होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इंडिया सीएसआर को बताया कि परियोजना पांच वर्षों तक संचालित की जाएगी। वाटरशेड परियोजना के अंतर्गत क्षमता निर्माण चरण की शुरूआत कर दी गई है।
श्री रंजन ने बालको और नाबार्ड द्वारा पूर्व में संचालित वाटरशेड परियोजना के महत्व और उसकी सफलता से सोनगुढ़ा के किसानों को अवगत कराते हुए कहा कि योजना का उद्देश्य किसानों के जीवन और उनके खेती-किसानी के तरीके में बदलाव लाना, इसलिए इसका भरपूर लाभ उठाएं।
श्री रंजन ने विश्वास जताया कि किसान अपनी मेहनत से अपने क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र बनाने में योगदान देंगे।
इसके अंतर्गत क्षमता निर्माण चरण का उद्घाटन नाबार्ड के सीजीएम डॉ. आरएम कुमुर ने ग्राम सोनगुढ़ा में किया। उन्होंने कहा कि ग्रामवासियों की हरसंभव मदद के लिए नाबार्ड तत्पर है।
डॉ. कुमुर ने बालको के साथ परियोजना के क्रियान्वयन पर प्रसन्नता जताते हुए बताया कि यह परियोजना किसानों के लिए बेहद लाभकारी है। परियोजना से लक्षित क्षेत्रों के जल स्तर में बढ़ोत्तरी तो होगी ही आजीविका के दूसरे संसाधन भी विकसित होंगे। उन्होंने किसानों से कहा कि वे उच्च गुणवत्ता के बीज इस्तेमाल करें। इससे उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने स्व सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका निर्माण गतिविधियों में शामिल होने के लिए महिलाओं का आह्वान किया।
कार्यक्रम में उपस्थित ग्राम सोनगुढ़ा सरपंच प्रतिनिधि मानसिंह राठिया, सोनगुढ़ा-दोंदरो वाटरशेड विकास समिति के अध्यक्ष मनहरण श्रीवास, सदस्य छत्तर सिंह, मंगल सिंह, ठंडा राम और भटगांव वाटरशेड विकास समिति के अध्यक्ष बजरंग सिंह राठिया सहित नागरिकों ने बालको-नाबार्ड की परियोजना की प्रशंसा की।
कार्यक्रम में नाबार्ड के कोरबा जिला विकास प्रबंधक व्ही.जी. चांदेकर, प्रबंधक श्री तात्या मार्कड, बालको के कंपनी संवाद प्रबंधक प्राणनाथ मिश्रा, सी.एस.आर. सहायक प्रबंधक राजकृष्ण त्रिवेदी एवं विवेक सिंह ‘स्रोत’ के अध्यक्ष डिक्सन मसीह सहित अनेक बालको अधिकारी और स्थानीय जन प्रतिनिधि उपस्थित हुए।
वाटरशेड परियोजना की पृष्ठभूमि
पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन, हरियाली विकास और सिंचित क्षेत्र के रकबे में वृद्धि के लिए बालको द्वारा नाबार्ड के सहयोग से कोरबा जिले के ग्राम परसाखोला, सरईपाली, भटगांव और रूगबहरी में परियोजना संचालित किया गया। वर्ष 2008 से वर्ष 2014 तक 1499 हेक्टेयर भूमि परियोजना के दायरे में शामिल की गई। स्वयंसेवी संगठन ‘स्त्रोत’ ने परियोजना का क्रियान्वयन किया। परियोजना के दायरे में शामिल गांवों में नए मेढ़ों का निर्माण, कन्टूर खंती, जल अवशोषक खंती, डायसर्वन कैनाल और डबरियों का निर्माण किया गया। स्व सहायता समूहों को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षित समूहों को मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, डिटर्जेंट पाउडर निर्माण आदि कार्यों में संलग्न किया गया।
पांच वर्षों में लक्षित क्षेत्रों के किसानों के फसल उत्पादन में लगभग 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। खेती का रकबा बढ़ गया। 90 फीसदी किसान रोपा पद्धति से खेती करने लगे हैं। परियोजना क्रियान्वयन से पूर्व ग्राम भटगांव के किसान सब्जी का उत्पादन नहीं करते थे। अब पांच वर्षों के बाद भटगांव से प्रति दिन औसतन 300 किलोग्राम सब्जी का उत्पादन होने लगा है। ग्राम भटगांव के 30 किसान ड्रिप पद्धति से खेती करते हैं। यहां के किसानों ने नव किसान बहुउद्देशीय सहकारी समिति का गठन किया है। इस समिति से आसपास के 10 गांवों के 1000 किसानों को जोड़ने की योजना है।
इसके माध्यम से किसानों को सब्सीडी दरों पर उच्च गुणवत्ता के खाद और बीज पाने में आसानी होगी। उन्हें विभिन्न एजेंसियों के जरिए खेती की आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण भी मिल सकेगा।