इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा
सीएसआर पर खर्च करना होगा दो फीसदी, एलआईसी कानून में नहीं है इसका प्रावधान, निगम के पास 440 अरब रुपये से अधिक अतिरिक्त कोष
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत लाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इससे इस दिग्गज सरकारी कंपनी को अपने अतिरिक्त कोष का कम से कम 2 फीसदी सामाजिक गतिविधियों पर खर्च करना पड़ सकता है। सूत्रों ने बताया कि सरकार का मानना है कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी को सामाजिक गतिविधियों में योगदान करना चाहिए।
अभी कंपनी के लिए इस तरह की कोई बाध्यता नहीं है। संसदीय समिति की 25 अप्रैल को मुंबई में हुई बैठक में बैंकों और एलआईसी सहित दूसरे वित्तीय संस्थानों के लिए सीएसआर नियमों के अनुपालन की समीक्षा की गई। समिति ने पाया कि एलआईसी कानून में सीएसआर के लिए कोई प्रावधान नहीं है जबकि कंपनी कानून के मुतबिक कंपनियों के लिए अपने शुद्ध लाभ का कम से कम दो फीसदी हिस्सा सीएसआर पर खर्च करना अनिवार्य है।
सूत्रों ने कहा कि समिति ने एलआईसी से उसके अतिरिक्त कोष के बारे में जानकारी मांगी और बैठक में मौजूद निगम के अधिकारियों से पूछा कि सामाजिक गतिविधियों के लिए धन के आवंटन को लेकर उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं है। बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि निगम को इस प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार चाहती है कि एलआईसी जैसे वित्तीय संस्थान अपने अतिरिक्त कोष का इस्तेमाल सामाजिक गतिविधियों के लिए करे।
निगम 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति का प्रबंधन करती है और सीएसआर से संबंधित गतिविधियों के लिए सरकार के लिए फंड का बड़ा स्रोत बन सकता है।’
एलआईसी की 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक उसके पास 440 अरब रुपये से अधिक अतिरिक्त कोष है। एलआईसी कानून के मुताबिक उसे अपने अतिरिक्त कोष का 95 फीसदी हिस्सा पॉलिसीधारकों को बोनस के तौर पर देना पड़ता है और बाकी 5 फीसदी सरकार की हिस्सेदारी है।
ऐसे में अगर सरकार के प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो निगम को अपने अतिरिक्त कोष में से कम से कम 8.80 अरब रुपये कल्याणकारी गतिविधियों पर खर्च करने होंगे।
संसदीय समिति ने अतिरिक्त कोष के आवंटन के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने कहा कि समिति अपने सुझाव सरकार को सौंपेगी। आमतौर पर अतिरिक्त कोष रिटर्न होता है जो निगम जीवन बीमा, पेंशन और एन्युटी आदि के कारोबार से जुटाता है।
एलआईसी के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘परोपकारी कामों के लिए एलआईसी का अपना खुद का कोष है जिसे बढ़ाया जा सकता है और इसे सीएसआर कहा जा सकता है।’ वह एलआईसी गोल्डन जुबली फाउंडेशन की बात कर रहे थे जिसकी स्थापना 2006 में की गई थी।
इसका मकसद गरीबों को मदद और शिक्षा को बढ़ावा देना है। मार्च 2017 तक फाउंडेशन के पास 1.60 अरब रुपये का कोष था जो एलआईसी के आकार को देखते हुए मामूली रकम है।
(इंडिया सीएसआर हिंदी)