राजस्थान के उदयपुर जिले से मात्र 40 किलोमीटर दूर स्थित है जावर ग्रामीण क्षेत्र। यहाँ संचालित हिन्दुस्तान जिंक Hindustan Zinc की जावर माइंस अपने क्षेत्र के आस-पास ग्रामीण विकास कार्यक्रमों से स्थानीय समुदाय को लाभान्वित कर रहा है। सामाजिक विकास के कार्यक्रमों के तहत् हिन्दुस्तान जिंक के कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) Corporate Social Responsibility – CSR द्वारा संचालित की जा रही सखी परियोजना से जुड़कर परिवार का आर्थिक संबंल बनी तारा देवी और कमला मीणा महिला सशक्तिकरण की मिसाल है।
हिन्दुस्तान जिंक के सखी अभियान से जुडकर स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बन चुकी सखी महिलायें कोराना महामारी के बीच परिवार की आर्थिक स्थिति में कंधे से कंधा मिला कर सहयोग कर रही है। सिलाईं के प्रशिक्षण के बाद वर्तमान समय में मास्क का उत्पादन हो या स्वरोजगार के लिए स्वयं का किराना या चाय की हाॅटल का व्यवसाय जावर के ग्रामीण क्षेत्र में ये महिलाएं कही पीछे नहीं है। इन्हें गर्व है कि अपने कौशल के बलबूते पर परिवार की समृद्ध आर्थिक ईकाई के रूप में अलग पहचान बना रही है।
तारा देवी अब आत्मनिर्भर स्वर में आत्मसम्मान के साथ बताती है कि सखी परियोजना से जुड़ने से पहले परिवार की मासिक आय से परिवार के पालन पोषण और बच्चों की पढाई में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। कई बार पति द्वारा अर्जित की गयी मजदूरी और कर्ज पर निर्भर रहना मजबूरी थी।
लेकिन आज वे किसी अन्य पर आश्रित नहीं है। वर्ष 2016 में हिन्दुस्तान जिंक द्वारा मंजरी फाउण्डेशन के सहयोग से संचालित सखी परियोजना में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर बचत का महत्व समझ आया। समूह से ऋण लेकर घर के समीप ही चाय की दुकान शुरू की।
इस स्वरोजगार से ना सिर्फ जल्द ही समूह का ऋण चुकता किया बल्कि अब तो घर की आवश्यकता की वस्तुएं भी खरीदी जा सकी है। चाय की दुकान के सफल संचालन के साथ उसमें अन्य बिक्री योग्य सामग्री प्रसाद, नारियल अगरबत्ती भी रखना शुरू कर दिया जिससे परिवार की आवश्कता के लिए पर्याप्त आय प्रारंभ होने लगी है। अब तारा देवी गर्व से कहती है कि मैं अपने परिवार की आर्थिक रूप से सबला होने के साथ ही जरूरी मामलों में राय और फैसलों से खुश हूं।
इसी तरह कभी घर से बाहर के कार्यो के प्रति संकोच रखने वाली कमला मीणा हिन्दुस्तान जिंक के सखी समूह से जुड़ने से पूर्व बचत और स्वरोजगार से अनभिज्ञ थी। किसी भी कार्य को करने के लिए स्वंतत्र रूप से निर्णय लेना संभव नही था। समूह से जुड़कर 20 रुपयों से शुरूआत करने वाली कमला मीणा की बचत बढ़ने के बाद उन्होंने समूह से ऋण लेकर स्वयं की कराने की दुकान की शुरूआत की साथ ही सिलाई मशीन भी खरीदी।
कमला देवी वर्तमान में उत्साह के साथ अपनी बात साझा करते हुए कहती है कि सखी अभियान से जुडकर आज वह सुखी और समृद्ध जीवन जीने के बुंलद हौसले के साथ परिवार का सहयोग कर रही है।
सखी अभियान ने महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा
जावर माइंस क्षेत्र में सखी परियोजना विगत 4 वर्षो से हिन्दुस्तान ज़िंक द्वारा मंजरी फाउण्डेषन के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है। वर्तमान में सखी परियोजना जावर माइंस क्षेत्र के आस पास के 12 ग्राम पंचायत के 26 गांवों में संचालित है। इसमें कुल 394 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 5071 ग्रामीण महिलाएँ सम्मिलित हैं। जो आज परिपक्व हो कर 30 ग्राम संगठनों से जुड गयी हैं, फलस्वरूप एक नये स्तर पर इन ग्राम संगठनों को सखी फेडरेशन के रूप में नई पहचान मिली है। अब तक सखी महिलाओं द्वारा 1.35 करोड रुपये की बचत सुनिश्चित हुई है। महिलाओं द्वारा ऋण के रूप में 5.19 करोड़ रुपयों का लेनदेन किया जा चुका है जिसका समय पर पुर्नभुगतान इनके आर्थिक अनुशासन का परिचायक है जिसका मूल उद्धेश्य आजीविका सृजन है।
हिन्दुस्तान जिंक ने सखी अभियान से महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का अनुकरणीय कार्य किया है। हिन्दुस्तान जिंक अपने सामाजिक सरोकार के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विगत 14 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाकर उनकी रुचि एवं आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण देकर समाज में अपनी अलग ही पहचान दिलाने का अनूठा प्रयास कर रहा है। फलस्वरूप इस अभियान से जुडी महिलाओं में अदम्य विश्वास मुखरित हुआ है। आज वे आत्मनिर्भर बनकर परिवार की आर्थिक समृद्धि को निरंतर गति दे रही है।