रोहिणी नीलेकणि ने अपने परोपकार कार्यक्रम के द्वारा पांच प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य विकारों के अनुसंधान और उपचार में तेजी लाने के लिए NIMHANS और NCBS को 100 करोड़ रुपये के अनुदान देने की घोषणा की है।
यह अनुदान ‘सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड’ की स्थापना में मदद करेगा, जो सिज़ोफ्रेनिया, बाईपोलर डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर, डिमेंशिया और एडिक्शन से पीड़ित रोगियों को राहत प्रदान करने के लिए लंबी अवधि की रिसर्च और प्रैक्टिस में मदद करेगा।
बेंगलुरु (इंडिया सीएसआर हिंदी) : गैरलाभकारी सामाजिक संगठन रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (निम्हान्स) NIMHANS और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) NCBS को ‘सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड’ स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की है। यह केंद्र पाँच प्रमुख बीमारियों – सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर, डिमेंशिया और एडिक्शन के कारणों, सहसंबंधों और पाठ्यक्रम को समझने के लिए अत्याधुनिक शोध करेगा और उनके लिए संभावित प्रयास और उपचार की जानकारी प्रदान करेगा। रोहिणी नीलेकणि, रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज की चेयरपर्सन। रोहिणी नीलेकणि नंदन निलेकणि की पत्नि है। नंदन नीलेकणि इन्फोसिस के सह अध्यक्ष और संस्थापक सदस्य हैं।
सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड की स्थापना
इस एमओयू के तहत परोपकारी रोहिणी नीलेकणि द्वारा स्थापित रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज फाउंडेशन अप्रैल 2023 से अगले पाँच वर्षों के लिए ‘सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड’ (सीबीएम) की गतिविधियों का समर्थन करेगा। पांच साल में सीबीएम दो दिशा में काम करेगा- ये हैं लंबी अवधि में रिसर्च और मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में रिसर्च और प्रैक्टिस दोनों के लिए क्षमता निर्माण।
भारत में बढ़ता मानसिक रोग
भारत में लगभग 193 मिलियन लोग मानसिक बीमारी के विभिन्न स्वरूपों से पीड़ित हैं, और इनमें से कई विकारों के इलाज और क्लीनिकल मैनेजमेंट के बेहतर तरीकों को तलाशने की जरूरत है। निम्हान्स और एनसीबीएस (इनस्टेम के साथ) के बीच यह बहु-विषयक, अंतर-संस्थागत साझेदारी संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा योगदान देगी।
मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों के बड़े समुदाय के लिए इकोसिस्टम
इस अनुदान के बारे में बात करते हुए, रोहिणी नीलेकणि, चेयरपर्सन, रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज ने कहा कि, “मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अधिक ध्यान और समर्थन देने की जरूरत है। हाल की महामारी ने इस गंभीर जरूरत को और भी स्पष्ट रूप से सामने ला दिया है। इस अनुदान के माध्यम से, मुझे उम्मीद है कि इस देश के दो शीर्ष संस्थानों के बीच सहयोग भारत और दुनिया में लाखों लोगों के लिए बेहतर इलाज के लिए विश्वस्तर पर जरूरी जानकारी, एविडेंस और इलाज का सही तरीका प्रदान करेगा।
“सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों के बड़े समुदाय के लिए एक संपूर्ण इकोसिस्टम तैयार करना चाहता है। पाँच गंभीर मानसिक बीमारियों पर इसका शोध, निश्चित रूप से एक अग्रणी भूमिका निभाएगा। साथ ही अकादमिक और अभ्यास दोनों क्षेत्रों नए इनोवेशन की सुविधा प्रदान करेगा। मैं केंद्र की सफलता की कामना करती हूँ और आशा करती हूँ कि यह आने वाले वर्षों में नॉलेज शेयरिंग का एक वैश्विक केंद्र बनेगा।” – उन्होंने कहा।
अनुसंधान को अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयारी
2016 से, एनसीबीएस और इनस्टेम के साथ निम्हान्स, मानसिक बीमारी के लिए बेहतर समाधानों की खोज में मदद करने के लिए एक रिसर्च प्लेटफॉर्म बनाने के लिए एक परियोजना (तब इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग और प्रतीक्षा ट्रस्ट से सहायता प्राप्त हुई) पर काम कर रहा है। रिसर्च प्लेटफॉर्म अब इस क्षेत्र में खोज को अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयार है। इसे सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड में स्थापित किया जाएगा, जो एनसीबीएस और निम्हान्स दोनों जगहों पर मौजूद होगा।
शोध को बढ़ावा देने में बड़ी मदद
यह नया अनुदान मौजूदा तौर तरीकों को बेहतर बनाएगा। इसी के साथ ही डेटाबेस और रिपॉजिटरी को ओपन सोर्स बनने में मदद करेगा, और दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा इसके अधिकतम उपयोग के लिए इसकी क्षमता का पूर्ण उपयोग करेगा। यह सेंटर जहाँ, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को कम करने और आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए गंभीर मानसिक बीमारी को लेकर जनभागीदारी बढ़ाने का प्रयास करेगा, वहीं सीबीएम के कार्यों में शामिल क्षमता-निर्माण घटक आम लोगों को शामिल करने के बेहतर तरीकों को तलाशने की दिशा में काम करेगा।
यह मानसिक बीमारियों को बढ़ाने वाले कारणों का पता लगाकर कार्रवाई योग्य उपाय पेश करेगा, इसी के साथ ही जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उनकी तेज रिकवरी में मदद करेगा। जरूरी तकनीकों और नए तरीकों में कुशल चिकित्सक शोधकर्ताओं और बुनियादी वैज्ञानिकों के एक कोर समूह तैयार करते हुए, केंद्र इस लंबी अवधि की इन्क्वायरी को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में युवा रिसर्चर्स को तैयार करेगा।
बायोलॉजिकल और क्लिनिकल असेसमेंट में सफलता की अपार संभावनाएँ
इस अनुदान की क्षमताओं के बारे में बोलते हुए, निम्हान्स की निदेशक, डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि, “निम्हान्स एनसीबीएस और इनस्टेम के साथ सहयोग कर रहा है ताकि बड़ी संख्या में गंभीर मानसिक बीमारियों वाले रोगियों के परिवारों का अध्ययन किया जा सके और एक विशाल समूह तैयार किया जा सके। इस कॉहोर्ट के गहन बायोलॉजिकल और क्लिनिकल असेसमेंट में सफलता की अपार संभावनाएँ हैं। इस रिसर्च के नतीजों को मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों की बेहतर देखभाल करने में उपयोग किया जा सकता है। हमें निम्हान्स में सेंटर फॉर ब्रेन एंड माइंड स्थापित करने की खुशी है। यह सेंटर हमें इस महत्वपूर्ण रिसर्च को आगे बढ़ाने और विस्तार करने में मदद करेगा। हम इस महत्वपूर्ण पहल में समर्थन करने के लिए रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज के आभारी हैं। उनकी ये पहल लंबी अवधि में लाभदायक साबित होगी।”
वित्तीय सहायता से रोगियों पर लंबी अवधि की रिसर्च करने में मदद मिलेगी
प्रो. एलएस शशिधर, निदेशक, एनसीबीएस-टीआईएफआर ने कहा, “एनसीबीएस-टीआईएफआरने निम्हान्स और इनस्टेम के साथ मिलकर डिस्कवरी साइंस की सुविधा प्रदान करने के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार किया है। यह मानसिक बीमारी के बेहतर समाधान की दिशा में काम करता है। रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज की ओर से मिलने वाली वित्तीय सहायता से हमें रोगियों पर लंबी अवधि की रिसर्च करने में मदद मिलेगी। यह मानसिक बीमारी से जुड़ी जानकारियाँ जुटाने में मदद करेगा और यह बताएगा कि मानसिक बीमारी कैसे विकसित होती है और कैसे यह मस्तिष्क की क्रियाप्रणाली को प्रभावित करता है। इस तरह की जानकारी नई दवाओं के विकास में भी मदद करेगी। हम अपने शोध को बढ़ावा देने के लिए रोहिणी नीलेकणि फिलैंथ्रोपीज के दिल से आभारी हैं।”
अगले कुछ महीनों में केंद्र के शुभारंभ के लिए एक उद्घाटन कार्यक्रम की योजना तैयार की जा रही है।
(इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा)
Read English edition of the story: Rohini Nilekani Philanthropies Grants Rs. 100 Crores for Mental Health Research – India CSR