उच्च गुणवत्ता, न्यूनतम लागत, निरंतर प्रगति कर रहे संतुष्ट कर्मचारी और उनके परिजन। वेदांत समूह की भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है। बालको ने पिछले कुछ अरसे में तीव्र विकास की जो मिसाल कायम की है उससे औद्योगिक बिरादरी चमत्कृत है।
राष्ट्र की आत्मनिर्भरता के लिए जिन शुरूआती उद्योगों की स्थापना की गई, बालको उनमें से एक हैदेश के नीति नियंताओं ने औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन आत्मनिर्भरता का जो विजन बालको जैसे उद्योगों के जरिए रचा था, वह समय की कसौटी पर खरा उतरा।
आज कोरबा, छत्तीसगढ़ का परसाभाठा गांव दुनिया के नक्शे पर एक ऐसी जगह में तब्दील हो चुका है जहाँ एक साल में 5,70,000 टन एल्यूमिनियम बनाने वाली इकाई मौजूद है। देश के एल्यूमिनियम उत्पादन में बालको का योगदान लगभग 15 फीसदी का है। संयंत्र के आसपास बसे लगभग सवा लाख नागरिक इस संयंत्र की प्रगति से जुड़े हुए हैं।
बालको से अब तक हजारों हाथों ने रोजगार पाए हैं। कोरबा और बालको के व्यवसायियों की आमदनी कई गुना बढ़ गई। पिछले एक दशक में वेदांत समूह ने बालको से अर्जित लाभ का लगभग 98 प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक विकास कार्यों में वापस निवेश किया है।
आधी शताब्दी के दौरान बालको ने देश की सामान्य जरूरतों के लिए धातु की आपूर्ति तो सुनिश्चित की ही, वैज्ञानिक एवं रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थित दर्ज कराई। देश में निर्मित लंबी दूरी तक मार करने वाली अनेक मिसाइलों में बालको के एल्यूमिनियम का प्रयोग हुआ तो अंतरिक्ष संबंधी उपकरणों में बालको की कारीगरी मिसाल बनी।
औद्योगिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में बालको प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं वहीं 5-स, क्वालिटी सर्कल, काइजेन जैसे कार्यक्रमों ने कार्यबल की उत्पादकता और दक्षता में बढ़ोत्तरी करने में मदद की है। संयंत्र परिसर में होने वाली प्रत्येक मीटिंग की शुरूआत सुरक्षा विमर्श से होती है।
बालको प्रबंधन के अधिकारी प्रति सप्ताह एवं हर पखवाड़े प्रत्येक इकाई के सुरक्षा मानदंडों का निरीक्षण करते हैं। सुरक्षा प्रशिक्षण ‘चेतना’ के अंतर्गत अब तक 100 प्रतिशत कर्मचारी शामिल हुए हैं। इसके साथ ही शॉप फ्लोर में कार्यरत कर्मचारियों के लिए ‘सुरक्षा के गोठ’ कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बालको ‘शून्य क्षति, शून्य अपशिष्ट और शून्य उत्सर्जन’ की नीति पर कार्य करती है। अनेक स्वयंसेवी, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक संगठनों और नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन कार्यक्रमों में सहयोगी बनाया गया है। व्यवयाय की रणनीति बनाने, क्रियान्वयन, उत्कृष्ट गवर्नेंस आदि अनेक क्षेत्रों में सस्टेनिबिलिटी के विभिन्न आयामों को स्थान दिया गया है।
वायु की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बालको ने अत्याधुनिक फ्यूम ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की है। फ्लाई ऐश के निपटारे के लिए अत्याधुनिक हाई कंसंट्रेशन स्लरी डिस्पोजल सिस्टम (एचसीएसडी) का प्रयोग किया जाता है।
फ्लाई ऐश का 100 फीसदी यूटिलाइजेशन फ्लाई ऐश अधिसूचना के अंतर्गत किया जाता है। टाउनशिप से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट के निपटारे के लिए सॉलिड एंड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर (एसआरएलएम) स्थापित है। इससे जैविक अपशिष्ट को कंपोस्ट में बदलने में मदद मिलती है। संयंत्र और आसपास के क्षेत्रों को हराभरा बनाए रखने की दिशा में साढ़े पाँच लाख से अधिक पौधे रोपे गए हैं। स्मेल्टर के प्रचालन में प्रयोग होने वाले जल का 100 फीसदी रीसाइकल सुनिश्चित किया गया है।
ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण तथा ग्रीन हाउस गैसों को निरंतर कम करने के क्षेत्र में बालको ने अनेक परियोजनाएँ संचालित की हैं।
निरंतर चलने वाली परियोजनाओं के फलस्वरूप ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 27 फीसदी की कमी आई है। देश के एल्यूमिनियम उद्योगों में बालको की विशिष्ट ऊर्जा खपत देश में सबसे कम है। पिछले विशिष्ट जल खपत के स्तर से वर्तमान में बालको का विशिष्ट जल खपत 170 फीसदी कम हो गया है। यह आंकड़े पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में बालको की उत्कृष्टता का द्योतक है।
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में 75 बिस्तरों वाला बालको अस्पताल निरंतर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों का दल बालको के कर्मचारियों, ठेका कर्मचारियों, उनके परिवारजनों और समुदाय के नागरिकों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया करा रहा है। जिला प्रशासन की हरसंभव मदद के लिए अस्पताल कटिबद्ध है। बेहतरीन प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बालको अस्पताल को आई.एस.ओ. 9001-2015 प्रमाणपत्र मिल चुका है।
मानव संसाधन की उत्कृष्टता के लिए प्रति वर्ष बड़ी संख्या में कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। अनेक प्रोत्साहन योजनाएँ उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
बालको में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने की दिशा में अनेक कार्य किए गए हैं। बालको संयंत्र पूरी तरह से मुस्तैद इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा के दायरे में आ गया है।
सेंट्रलाइज्ड सिक्योरिटी ऑपरेशंस सेंटर, एप बेस्ड गार्ड टूर सिस्टम के अलावा महिला कर्मचारियों की सुरक्षा की दृष्टि सेे निर्भया एप और जीपीएस इनेबल्ड क्विक रिस्पॉन्स टीम की तैनाती महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं।
स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन, आधारभूत संरचना विकास आदि संबंधी कार्य बालको के राज्य के 117 गाँवों में संचालित हैं।
परियोजना कनेक्ट, जलग्राम, वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर, दिशा, वेदांता स्किल स्कूल, वेदांता चिकित्सालय, उन्नति जैसी अनेक परियोजनाओं ने विद्यार्थियों, किसानों और गृहिणियों के लिए विकास के रास्ते खोले हैं। वेदांत ने छत्तीसगढ़ में अत्याधुनिक कैंसर चिकित्सालय की स्थापना की है। 170 बिस्तरों वाले बालको मेडिकल सेंटर में कैंसर चिकित्सा की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
कोविड-19 के दौर में भी बालको परिवार के सदस्यों का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। बालको ने समुदाय, संबद्ध साझेदारों, कर्मचारियों और अन्य स्टेकहोल्डरों तथा उनके परिवारजनों को कोरोना के प्रति जागरूक बनाने तथा उनकी सुरक्षा एवं बचाव के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
रायपुर में 100 बिस्तरों वाले बालको फील्ड अस्पताल के अलावा बालकोनगर में 100 बिस्तरों के अस्पताल की स्थापना की गई है जिससे कोविड मरीजों को लाभ मिल रहा है। संयंत्र और टाउनशिप परिसर में स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग सहित सभी मानदंडों का पालन सुनिश्चित किया गया है।
महामारी से निपटने की दिशा में बालको ने स्थानीय नागरिकों की मदद के लिए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, कर्मचारियों और उनके परिजनों, व्यावसायिक साझेदारों और स्वयंसेवी संगठनों की मदद ली है।