कोयला खनन प्रभावित क्षेत्र तमनार व घरघोड़ा में सीएसआर राशि खर्च नहीं की जा रही। ऐसे में सीएसआर अपने मूल उद्देश्यों से भटका प्रतीत हो रहा है।
रायगढ़ (इंडिया सीएसआर हिंदी)। कोयला खुदाई करने वाली सरकारी कंपनी एसईसीएल की कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व राशि का उपयोग छत्तीसगढ़ में सड़क बनाने में किया जा रहा है। अधिकांश सीएसआर राशि परियोजना से प्रभावित क्षेत्र से बाहर की जा रही हैं। स्थानीय विधायक एवं मंत्री द्वारा राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके सीएसआर राशि का उपयोग अपने क्षेत्र के विकास के लिए क्या जा रहा है। एक स्थानीय ने बताया धरमजयढ़ आदि क्षेत्र में सड़कें खराब स्थिति में हैं। वहाँ सड़क बनाने की आवश्यकता है।
ताजा जानकारी के अनुसार, एसईसीएल ने 4.37 करोड़ रुपए की सीएसआर राशि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया विधानसभा क्षेत्र में गाँवों तक पहुंच मार्ग बनाने के लिए स्वीकृत की है। इस राशि से मोहल्लों में सीसी पद्धति से सड़क बनाने का काम 26 गाँवों में किया जाएगा। राज्य के शिक्षा मंत्री एवं खरसिया के विधायक उमेश पटेल ने बारे में पहल की थी। रायगढ़ जिला प्रशासन के माध्यम से गाँवों में सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया था। सड़क बनाने का काम जिला प्रशासन रायगढ़ द्वारा किया जाएगा।
इसके पहले भी वर्ष 2020 में खरसिया ब्लाक के 8 गाँवो में 18 सीमेंट काक्रीट के रोड बनाने के लिए एसईसीएल ने 2.01 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी। इससे बररा, काफरमार, फरकानार, नागोई, डोमनारा, जोबी, पुचियापल्ली एवं ताडापारा में निर्मित होने वाली इन सड़कों का निमार्ण जिला प्रशासन, रायगढ़ द्वारा किए जाने का प्रस्ताव था। रायगढ़ क्षेत्र के सीएसआर मद से किये जा रहे इस कार्य से सभी को आवागमन में सुविधा होती है, ऐसा कहा गया था।
प्रस्तावित योजना अनुसार, स्वीकृत राशि से खरसिया ब्लॉक के ग्राम खड़गांव के सिदार मोहल्ला में 13.40 लाख, राठिया मोहल्ला में 10.43 लाख, महंत मोहल्ला में 11.32 लाख, डनसेना मोहल्ला में 8.94 लाख, ग्राम मीनगांव के महंत मोहल्ला में 5.38 लाख, गबेल मोहल्ला में 5.98 लाख, यादव मोहल्ला में 2.41 लाख, ग्राम मीनगी के खेड़ियापारा मोहल्ला में 8.95 लाख, ग्राम कसाईपाली के भाटापारा मोहल्ला में 8.65 लाख, मुख्य बस्ती में 4.79 लाख, ग्राम गोरपार के ठाकुर मोहल्ला में 8.95 लाख, ग्राम बोतल्दा के कुधरीपारा मोहल्ला फेस-1 में 16.10 लाख, कुधरीपारा मोहल्ला फेस-2 में 13.53 लाख, ग्राम बिंजकोट के मुख्य बस्ती में 6 लाख, बस्ती तालाब से स्कूल में 4.41 लाख, कोहारडीपा में 14.63 लाख, ग्राम भगोराडीह में 8.79 लाख, ग्राम दर्रामुड़ा बाजार चौक से गिन्डोला मार्ग में 14.63 लाख, ग्राम तेंदूमुड़ी में डोरीलाल के घर राजन के घर तक एवं आंगनबाड़ी नंबर-2 मोहल्ला में 7.33 लाख, ग्राम तेंदूमुड़ी में आंगनबाड़ी नंबर-2 में 2.95 लाख, कन्या आश्रम मोहल्ला पार्ट-1 में 17.55 लाख, कन्या आश्रम मोहल्ला पार्ट-2 में 8.79 लाख, जबलपुर बस्ती में 13.17 लाख, ग्राम ठुसेकेला सक्ति मार्ग से पुलिस कॉलोनी तक 11.71 लाख, ग्राम सूती के शिव मंदिर मोहल्ला में 7.32 लाख, स्कूल पारा मोहल्ला में 6 लाख, ग्राम बगबुड़वा के भाटापारा मोहल्ला में 11.72 लाख की लागत से सड़क बनेगा।
इसी प्रकार, बगबुड़वा बस्ती में 5.87 लाख, ग्राम तेलीकोट के हमारपारा रोड में 10.24 लाख, ग्राम बांसमुड़ा आंगनवाड़ी मोहल्ला में 5.86 लाख, ग्राम मदनपुर के चौहान मोहल्ला में 5.87 लाख, ग्राम मदनपुर के बस्ती से नदी 14.63 लाख, ग्राम भेलवाडीह के बस्ती से मुक्तिधाम 11.70 लाख, ग्राम भेलवाडीह के कन्हैया मोहल्ला में 7.32 लाख, ग्राम पामगढ़ के बस्ती से नावाघाट तक 14.63, ग्राम देहजरी के बस्ती में 14.63 लाख, ग्राम चोढ़ा के फिटिंगपारा में 5.87 लाख, ग्राम चोढ़ा के राजगर्ग से सिदार बस्ती 17.55 लाख, ग्राम नवागांव के नवागांव से चोढ़ा मार्ग 14.63 लाख, ग्राम बरगढ़ के भाठागांव मोहल्ला 9.27 लाख, ग्राम पतरापाली के सिदारपारा नया मोहल्ला में 14.63 लाख, ग्राम सरवानी के इंदिरा आवास मोहल्ला में 14.63 लाख, ग्राम छोटे मुड़पार से कलमी पहुँच मार्ग भेनापारा ग्राम पंचायत 16.15 लाख।
एसईसीएल की सीएसआर परियोजनाएँ
कंपनी ने हाल ही में यह जानकारी दी थी कि सीएसआर के जरिए एसईसीएल कोयलांचल के समाज को और सामर्थवान बनाने की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है। एसईसीएल ने अपने संचालन क्षेत्रों के लगभग 1000 युवाओं के स्किल डेव्हलपमेंट ट्रेनिंग के लिए सीपेट रायपुर से अनुबंध किया है। लगभग 500 युवाओं का प्रशिक्षण आरंभ हो चुका है। कोरबा,रायगढ़ तथा मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में सरकारी स्कूलों में, एसईसीएल की मदद से लगभग 800 स्मार्ट क्लास रूम बनाए गए हैं।
सीएसआर राशि का दुरुपयोग – प्रभावित क्षेत्र की अनदेखी
सीएसआर राशि के उपयोग को लेकर प्रभावित क्षेत्र की अनदेखी की जाती रही है। कुछ वर्ष पहले एक स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि रायगढ़ जिले तमनार में स्थित कोल ब्लॉक से मिली सीएसआर राशि का उपयोग, तराईमाल, कुनकुनी, सम्बलपुरी, सराईपाली, गौरमुड़ी, टेण्डा नावापारा, जामगांव, बरमकेला ब्लॉक के डोलोमाइट उत्खनन वाले प्रभावित क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र नहरपाली, तमनार क्षेत्र, छोटे हरदी, कटंगपाली आदि क्षेत्र से मिली राशि का उपयोग ऐसे क्षेत्रों में न के बराबर हुआ है। बता दें कि तमनार क्षेत्र में अनेक कोयला खदानें हैं।
जिस तरह प्रभावितों व प्रभावित क्षेत्र को छोड़कर जिला मुख्यालय के अन्य क्षेत्र में सीएसआर की अधिकांश राशि खर्च की जा रही है, इससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। सबसे ज्यादा कोयला खनन प्रभावित क्षेत्र जैसे तमनार व घरघोड़ा में सीएसआर राशि खर्च नहीं की जा रही। ऐसे में सीएसआर अपने मूल उद्देश्यों से भटका प्रतीत हो रहा है।
स्थानीय लोग दर-दर की ठोकर खाने मजबूर
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने कहा कि जिन लोगों ने अपने जल जंगल जमीन को खोया है उनके उत्थान के लिए एसईसीएल के पास कुछ नहीं है, कोई योजना नहीं है। स्थानीय लोग जीवन जीने के लिए दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैं। बात चाहे बरोध हो या छाल जामपाली हो या सरसमाल हों, प्रभावित क्षेत्र में एसईसीएल द्वारा सीएसआर राशि से कोई काम नहीं किया गया है।
इंडिया सीएसआर की टिप्प्णी
सीएसआर फंड का उपयोग लोगों के जीवन स्तर सुधारने में किए जाने की आवश्यकता है। ग्रामीण अधोसंरचना का विकास सरकार एवं प्रशासनिक राशि से किया जाना चाहिए। सीएसआर फंड सार्वजनिक संपत्ति है। इसे विशेष रूप से अत्यंत पिछड़े लोगों के जीवन के उत्थान की स्थायी एवं सुदीर्घ परियोजनाओं में करना चाहिए।