नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत पंजीकृत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को लेकर नए और सख्त निर्देश जारी किए हैं। गृह मंत्रालय ने सभी एनजीओ से कहा है कि यदि उनके प्रमुख पदाधिकारियों और सदस्यों में कोई बदलाव होता है, तो उन्हें इसकी सूचना 45 दिनों के भीतर मंत्रालय के पोर्टल पर देना अनिवार्य होगा।
प्रमुख पदाधिकारियों में बदलाव पर सूचना देना अनिवार्य
गृह मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया कि एफसीआरए अधिनियम के तहत पंजीकरण प्राप्त किसी भी एसोसिएशन को, चाहे उनका पिछला आवेदन लंबित ही क्यों न हो, अपने संगठन में हुए किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव की सूचना तय समयसीमा के भीतर देनी होगी। मंत्रालय ने यह आदेश एफसीआरए के अंतर्गत पारदर्शिता सुनिश्चित करने और फंडिंग के उचित उपयोग की निगरानी के लिए दिया है।
कई एनजीओ में उच्च पदों पर बदलाव
वर्तमान में कई प्रमुख एनजीओ, जिनका एफसीआरए लाइसेंस रिन्यूअल या नए लाइसेंस के लिए आवेदन लंबित है, ने अपने शीर्ष पदों में बदलाव किए हैं। इनमें सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च जैसे थिंक टैंक शामिल हैं, जिनका लाइसेंस इस वर्ष की शुरुआत में एफसीआरए नियमों के उल्लंघन के आरोपों के चलते रद्द कर दिया गया था। यह संस्था अब इस फैसले को अदालत में चुनौती दे रही है। इसी प्रकार, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ का लाइसेंस भी नियमों का पालन न करने के कारण रद्द कर दिया गया था, जो बाद में उचित दस्तावेज जमा करने पर पुनः बहाल कर दिया गया।
गृह मंत्रालय के नए निर्देशों में क्या है खास?
गृह मंत्रालय के अनुसार, यदि किसी एनजीओ का पुराना आवेदन लंबित है, तो वह नया आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। नया आवेदन करने पर पिछला आवेदन स्वतः ही बंद मान लिया जाएगा। एफसीआरए के नियमों के अनुसार, “कोई भी एसोसिएशन जिसका पंजीकरण रद्द या समाप्त हो चुका है, वह रिन्यूअल तक विदेशी अंशदान प्राप्त या उसका उपयोग नहीं कर सकता है।” इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने सभी एनजीओ को एक निवेश रजिस्टर बनाए रखने का निर्देश दिया है, जो ऑडिट के समय गृह मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।
पारदर्शिता और निगरानी का उद्देश्य
सरकार का यह कदम एनजीओ के कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और फंडिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए है। एनजीओ के पदाधिकारियों में बदलाव के मामले में त्वरित सूचना के निर्देश से सरकार को संगठनों की गतिविधियों और उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखने में सहायता मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशी अंशदान का उपयोग सही उद्देश्यों के लिए हो रहा है।
एनजीओ पर निगरानी का नया चरण
गृह मंत्रालय के इस नए आदेश का उद्देश्य एनजीओ में होने वाले संरचनात्मक बदलावों पर सख्त निगरानी रखना है। पिछले कुछ वर्षों में, कई गैर-सरकारी संगठनों पर विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग और नियमों का पालन न करने के आरोप लगे हैं। इस नई अधिसूचना के जरिए सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब एनजीओ को किसी भी बदलाव के 45 दिनों के भीतर मंत्रालय को सूचित करना अनिवार्य होगा। “यह कदम एनजीओ में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है,” मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
एनजीओ के लिए नए आवेदन और रिन्यूअल प्रक्रिया
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी एनजीओ का पिछला आवेदन प्रक्रिया में है और वह नया आवेदन प्रस्तुत करना चाहता है, तो नया आवेदन करने पर पुराना आवेदन स्वतः बंद मान लिया जाएगा। यह प्रावधान उन एनजीओ के लिए मददगार साबित होगा, जो पुराने आवेदन के कारण प्रक्रिया में देरी का सामना कर रहे हैं। इस तरह के बदलाव से एनजीओ को समय पर लाइसेंस रिन्यूअल में सहायता मिलेगी और फंडिंग प्रक्रिया में भी आसानी होगी।
निवेश रजिस्टर और ऑडिट का नया नियम
गृह मंत्रालय ने एनजीओ के लिए निवेश रजिस्टर बनाए रखने का भी निर्देश दिया है। इस रजिस्टर में विदेशी फंडिंग के सभी लेनदेन और निवेश की जानकारी होनी चाहिए, जिसे आवश्यकता पड़ने पर मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। “इससे फंडिंग का पारदर्शी रिकॉर्ड बनेगा और मंत्रालय को विदेशी फंड के उपयोग पर निगरानी में आसानी होगी,” मंत्रालय ने बताया। यह प्रावधान एनजीओ को अपने फंड का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह बनाएगा।
एनजीओ में प्रमुख बदलावों की जानकारी के लाभ
यह नया आदेश न केवल एनजीओ को पारदर्शी बनाने का प्रयास है, बल्कि सरकार को देश में विदेशी अंशदान की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने में भी मदद करेगा। कई प्रमुख एनजीओ जैसे सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ जैसे संस्थानों के अनुभवों से सीख लेकर सरकार ने यह कदम उठाया है। ऐसे बदलावों से सरकार एनजीओ के फंडिंग सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाने और विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास कर रही है।
एनजीओ समुदाय की प्रतिक्रिया
एनजीओ समुदाय ने इस अधिसूचना पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ संगठनों का मानना है कि यह नियम सख्त हैं लेकिन पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होंगे। वहीं, कुछ एनजीओ इसे सरकारी हस्तक्षेप मानते हुए इसका विरोध भी कर रहे हैं। एक प्रमुख एनजीओ के सदस्य ने कहा, “सरकार का यह कदम हमें नियमों का पालन करने की दिशा में प्रोत्साहित करेगा, लेकिन अत्यधिक सख्ती से हमारी स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।”
गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ये नए निर्देश देश में एनजीओ के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास हैं। पदाधिकारियों के बदलाव पर सूचना देना, नया आवेदन प्रस्तुत करना, और निवेश रजिस्टर का अनिवार्य ऑडिट जैसी प्रक्रियाएं एनजीओ के फंडिंग सिस्टम को अधिक संगठित और जिम्मेदार बनाएंगी। हालांकि, एनजीओ समुदाय को इन नियमों का पालन करते हुए सरकार की अपेक्षाओं को समझना और उनका सम्मान करना होगा, ताकि देश में सामाजिक और आर्थिक विकास को एक सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सके।