राज्यों की अनिच्छा के बावजूद केंद्र ने जारी किया छठा मसौदा
नई दिल्ली (इंडिया सीएसआर हिंदी)। केंद्र ने शुक्रवार को पश्चिमी घाट के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) को चिन्हित करने के लिए 56,825 वर्ग किमी क्षेत्र को प्रस्तावित करते हुए छठा मसौदा अधिसूचना जारी किया। यह कदम पर्यावरणीय रूप से खतरनाक मानव गतिविधियों को रोकने/नियंत्रित करने के उद्देश्य से है।
प्रारंभिक प्रावधान और राज्य-वार अधिसूचना की सुविधा
यह मसौदा पहली बार एक प्रावधान करता है जिससे अंतिम ESA अधिसूचना को राज्य-वार या संयुक्त अधिसूचना के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से लिया जा सकता है। यह कदम सभी छह राज्यों के एक साथ आने का इंतजार किए बिना प्रक्रिया को तेज कर सकता है। हालांकि, राज्यों ने इस प्रस्ताव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
प्रस्तावित ESA में केरल के 13 गांव शामिल
प्रस्तावित ESA में केरल के 9,993 वर्ग किमी शामिल हैं, जिसमें वायनाड जिले के दो तालुकों के 13 गांव शामिल हैं। इनमें नूलपुझा भी शामिल है, जो 30 जुलाई को भूस्खलन से प्रभावित हुआ था।
कृषि पर कोई प्रभाव नहीं, मसौदा अधिसूचना
मसौदा अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कृषि, बागान और कम प्रदूषणकारी गतिविधियों पर ESA प्रावधानों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ESA क्षेत्र की वास्तविक सीमा राज्यों की सिफारिशों के आधार पर तय की जाएगी।
मसौदे की विस्तृत जानकारी
2011 में पर्यावरणविद माधव गाडगिल की अध्यक्षता वाली केंद्रीय समिति ने सरकार से छह राज्यों में नाजुक भूभाग को बचाने के लिए इसे प्राथमिकता देने की सिफारिश की थी। इसके बाद से केंद्र द्वारा इस पर कार्रवाई लंबित थी।
पर्यावरण मंत्रालय ने भूस्खलन की त्रासदी के कुछ दिन बाद ही इस मसौदे को जारी किया। मंत्रालय ने इस मसौदे पर आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं और अंतिम अधिसूचना 60 दिनों के भीतर जारी करने का प्रस्ताव है।
विस्तृत मसौदा: प्रतिबंधित और विनियमित गतिविधियाँ
इस मसौदे में खनन, उत्खनन, रेत खनन और उच्च प्रदूषणकारी उद्योगों पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रस्ताव है। सभी मौजूदा खानों को अंतिम अधिसूचना जारी होने के पांच वर्षों के भीतर या मौजूदा खनन पट्टे की समाप्ति तक (जो भी पहले हो) समाप्त करने का प्रावधान है।
इसके अलावा, नए थर्मल पावर प्रोजेक्ट और मौजूदा पावर प्लांट्स के विस्तार पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। 20,000 वर्ग मीटर और उससे बड़े परियोजनाओं का निर्माण, और 50 हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्रफल या 1.5 लाख वर्ग मीटर या उससे अधिक निर्मित क्षेत्र वाली सभी नई और विस्तार टाउनशिप और विकास परियोजनाओं पर भी अंतिम अधिसूचना के बाद प्रतिबंध रहेगा।
छठे मसौदे की आवश्यकता
पहला मसौदा मार्च 2014 में जारी किया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव कागज पर ही रह गया। इसके बाद 2015, 2017, 2018 और 2022 में चार और मसौदे जारी किए गए। केंद्र और विशेषज्ञ समिति ने जुलाई 2022 से मार्च 2024 के दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के साथ नौ बार इस पर चर्चा की, लेकिन राज्यों की आपत्तियों के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।
राज्य सरकारों की आपत्तियाँ और केंद्र की प्रतिक्रिया
केरल, महाराष्ट्र और गोवा के बाद कर्नाटक ने भी इसका विरोध किया। 2022 में कर्नाटक की तत्कालीन सरकार ने केंद्र से मसौदा अधिसूचना वापस लेने का अनुरोध किया था, यह तर्क देते हुए कि ESA राज्य में 20,668 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करेगा जिससे लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
(इंडिया सीएसआर हिंदी)