इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा । 5 अप्रैल 2022
नयी दिल्ल्ली। सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि पिछले सात साल में विभिन्न भारतीय कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
इस राशि का केवल चार से पांच प्रतिशत हिस्सा ही पीएम केयर्स फंड में दिया गया है।
कार्पोरेट मामलों के मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पिछले सात साल में विभिन्न कंपनियों द्वारा सीएसआर के तहत जो राशि खर्च की गयी है, उसका मात्र चार से पांच प्रतिशत हिस्सा ही पीएम केयर्स फंड में दिया गया है।
उन्होंने यह जानकारी दी है कि यह राशि भी कोविड महामारी के दौरान दी गयी है।
सीएसआर कोष के तहत राशि कुछ राज्यों में ज्यादा खर्च हुई है और पूर्वोत्तर राज्यों में इस कोष के अंतगर्त खर्च की गई राशि काफी कम है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर नगालैंड मे केवल आठ करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।
सिंह ने कहा कि सीएसआर कोष खर्च करने के लिए क्षेत्र की कोई बाध्यता नहीं है और यह देश में कहीं भी खर्च किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में कंपनियों को निर्देश नहीं दे सकती कि वह राशि कहां खर्च करें।
आर्थिक रूप से पिछले जिलों में ध्यान
उन्होंने हालांकि कहा कि सरकार का जोर है कि सार्वनजिक क्षेत्र के उपक्रम सीएसआर के अंतर्गत अपनी 60 प्रतिशत राशि पिछड़े व आकांक्षी जिलों में खर्च किया जाये।
उन्होंने कहा कि मौजूदा कंपनी कानून में इस बात का प्रावधान है कि कंपनी स्थानीय क्षेत्र तथा अपने परिचालन के आस-पास के क्षेत्रों को वरीयता प्रदान करेगी, तथापि स्थानीय क्षेत्र पर जोर देना सिर्फ निर्देशात्मक स्वरूप का है और यह आदेशात्मक नहीं है क्योंकि कंपनियों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ ही स्थानीय क्षेत्र की प्राथमिकता को संतुलित करने की आवश्यकता होती है।
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