उदयपुर। वेदांता समूह की कंपनी और विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रामपुरा आगुचा में देश के अपनी तरह के पहले जिंक टेलिंग्स रीप्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना को कंपनी के निदेशक मंडल ने मंजूरी दे दी है। यह बड़ा कदम कंपनी की अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना करने की योजना के तहत उठाया गया है। 10 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाले इस नए संयंत्र का विकास 3,823 करोड़ रूपयें के निवेश से किया जाएगा और इसे अगले 28 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहले से संसाधित टेलिंग्स से जस्ता और चांदी जैसी धातुओं को निकालेगी, जो खनिज निष्कर्षण के बाद बचे हुए बारीक पिसे हुए अवशेष होते हैं, और जो कभी अपशिष्ट माने जाते थे उन्हें एक मूल्यवान संसाधन में बदलेेगी।
रामपुरा आगुचा खदान में टेलिंग्स का रीप्रोसेसिंग कर, हिन्दुस्तान जिंक पारंपरिक गीले टेलिंग्स निपटान से जुड़े प्रभाव को कम कम करने के लिए तैयार है। यह पहल बेहतर सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देगी और सर्कुलर इकोनाॅमी में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
इस पहल पर हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा कि, हमें रामपुरा अगुचा में भारत का पहला टेलिंग्स रीप्रोसेसिंग प्लांट शुरू करने पर गर्व है, जिसे वैश्विक विशेषज्ञों के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है। यह सुविधा हमें पुराने अपशिष्ट का रिप्रोसेसिंग करने और उसे उच्च पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप जिम्मेदारी से संग्रहीत करने में सक्षम बनाती है। यह हमारे अद्वितीय मूल्य प्रस्ताव को मजबूत करता है और हमारी व्यापक सस्टेनेबल प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाते हुए हमारे महत्वाकांक्षी दोगुना विकास दृष्टिकोण में सहायक है। आधुनिक टेलिंग संचालन तकनीकी प्रगति और ऊर्जा परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण धातुओं की विस्तृत श्रृंखला में नवाचार और पुनर्प्राप्ति के अवसर भी हैं।
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड का मुख्यालय उदयपुर में है, राजस्थान और उत्तराखंड राज्यों में जिंक, लेड और चाँदी की भूमिगत खदान और स्मेल्टर का संचालन करती है। इस वर्ष की शुरुआत में, बोर्ड ने कंपनी की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के उद्देश्य से निवेश के पहले चरण को मंजूरी दी थी। इन योजनाओं में लगभग 12,000 करोड़ के निवेश से परिष्कृत धातु क्षमता को 250 किलोटन प्रति वर्ष तक बढ़ाना और विभिन्न स्थानों पर खदानों और मिलिंग के इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना शामिल है। ये विस्तार अगले पाँच से दस वर्षों में भारत में जिंक की मांग के दोगुने होने के अनुमान के अनुरूप हैं, जो इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टील सेक्टर में बड़े निवेश से प्रेरित है।
एक सूचीबद्ध कंपनी के रूप में, हिन्दुस्तान जिंक स्वतंत्र शासन और पारदर्शी सस्टेनेबल रिपोर्टिंग को बढ़ावा देती है। इंटरनेशनल एनवायरमेंटल रिस्पोन्सिबिलिटी प्रोग्राम ने कंपनी के टेलिंग प्रबंधन, डीकार्बोनाइजेशन, सर्कुलर इकोनॉमी पहलों और विविधता, समानता और समावेशन में नेतृत्व को मान्यता दी है।
सस्टेनेबल संचालन में अग्रणी कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए, हिन्दुस्तान जिंक को लगातार दूसरे वर्ष 2024 में एसएंडपी ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट द्वारा विश्व की सबसे सस्टेनेबल मेटल और माइनिंग कंपनी का दर्जा दिया गया। अपने 2030 के सतत लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु, कंपनी 2050 तक या उससे पहले नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, जलवायु कार्रवाई, जैव विविधता, जल संरक्षण, चक्रीयता और समावेशी विकास को आगे बढ़ा रही है। उल्लेखनीय रूप से, हिन्दुस्तान जिंक विज्ञान आधारित लक्ष्य पहल द्वारा प्रमाणित 1.5
डिग्री सेल्सियस संरेखित उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने वाली पहली भारतीय मेटल और माइनिंग कंपनी बन गई, जिसने 2020 के आधार रेखा की तुलना में वित्त वर्ष 25 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता में 15 प्रतिशत की कमी हासिल की, और साथ ही उत्पादन को बढ़ावा दिया।
2024 में, हिन्दुस्तान जिंक ने रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग से उत्पादित एशिया का पहला कम कार्बन वाला ग्रीन जिंक, इकोजेन, लॉन्च किया और पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए एक पर्यावरण उत्पाद घोषणा, ईपीडी सत्यापित जिंक पोर्टफोलियो पेश किया।
इंटरनेशनल कौन्सिल ऑन माइनिंग एण्ड मेटल्स के भारत के प्रथम सदस्य के रूप में, कंपनी उत्तरदायी खनन में नए मानक स्थापित कर रही है और एक स्थायी एवं नैतिक संसाधन भविष्य प्रदान करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को सुदृढ़ कर रही है। आईसीएमएम में शामिल होकर, हिन्दुस्तान जिंक ईएसजी प्रथाओं से जुड़ी 40 प्रमुख प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर रही है, जिससे उत्तरदायी एवं स्थायी खनन में वैश्विक अग्रणी कंपनियों में इसकी स्थिति और मजबूत हुई है।