प्रदेश में ऊर्जा सरंक्षण हेतु अपनी प्रतिबद्धता और सरंक्षण के संकल्प के अनुरूप विश्व की अग्रणी और देश की एक मात्र सीसा जस्ता और चांदी उत्पादक हिंदुस्तान जिंक अपने परिचालन और आस पास के क्षेत्रों में नवाचार कर इस ओर अग्रसर है। कंपनी के मुख्य कार्यालय यशद भवन में 100 किलोवाट अक्षय ऊर्जा तथा ऊर्जा निष्पादन के ट्रेक नियंत्रण के लिए आनलाइन व्यवस्था की गयी है जिससे भवन की वातानुकूलित तथा वाटर रिकार्ड के लिए वाटर मीटर्स स्थापित है। कंपनी का प्रधान कार्यालय पूर्ण रूप से सोलर ऊर्जा से संचालित है।
अक्षय ऊर्जा के स्रोतों में लगातार बढ़ोतरी करने के साथ ही हरित ऊर्जा में निवेश किया जा रहा है। वर्तमान में पवन ऊर्जा क्षमता 273.5 मेगावाट और सौर ऊर्जा 39.6 मेगावाट है जिससे कार्बन उत्सर्जन में 5,80,995 मीट्रिक टन की वार्षिक कमी हुई है। संसाधनों की कमजोर प्रकृति के प्रति सचेत हैं और संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी द्वारा पानी के भंडारण, नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा के कैप्टिव उपयोग और नए तरीकों के माध्यम से पर्यावरण के फुटप्रिंट को लगातार कम किया जा रहा हैं।
ऊर्जा संरक्षण जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसके लिए कंपनी को हाल ही में विश्व स्तर पर पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली गैरलाभकारी संस्था सीडीपी द्वारा कार्पोरेट सस्टेनेबिलिटी में नेतृत्व कर कुशल पर्यावरण संरक्षण हेतु ए स्कोर से सम्मानित किया गया है। हिंदुस्तान जिंक द्वारा अपने संचालन में उपभोग की जाने वाली ऊर्जा की मात्रा को कम कर, ऊर्जा सेवाओं की कम खपत से एवं ऊर्जा के कुशल प्रयोग द्वारा संरक्षित की जा रही है। कार्यकारी अधिकारी अरूण मिश्रा ने बताया कि सस्टेनेबिलिटी कंपनी के मूल में है।
पर्यावरण सरंक्षण प्रमुखता के साथ ही हम सभी के स्वास्थ्य की सुरक्षा और दीर्घ कालिक सतत् आर्थिक विकास में विश्वास करते हैं। उद्योगों में ग्रीन टेक्नोलॉजी में नेतृत्व हमारा लक्ष्य है और इसके लिए जल प्रबंधन, स्त्रोतों से ऊर्जा का कैप्टिव इस्तेमाल, वेस्ट रिसाइकलिंग हेतु नई पद्धतियों को अपना रहे हैं। वर्ष 2025 तक सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों को पुरा करने के लिए हम समग्र दृष्टिकोण पर कार्य कर रहे हैं और अगलें पांच वर्षों में हम इस हेतु सकारात्मक परिवर्तर के लिए सभी पहलुओं पर कार्य करेंगे।
ऊर्जा उपभोग के नियमित निरीक्षण व जाँच से ऊर्जा का संरक्षण हुआ है। संशोधन प्रक्रिया यानि पुरानी व अधिक ऊर्जा की खपत करने वाली प्रक्रियाओं को नई ऊर्जा कुशल प्रक्रियाओं से प्रतिस्थापित कर नवाचार किये गये हैं। उन्नत माप उपकरण से ऊर्जा संरक्षण हेतु नई तकनीकों व ऊर्जा कुशल उपकरणों व प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जा रहा है। बिजली का उपयोग कम करके उल्लेखनीय मात्रा में ऊर्जा की बचत की जा सकती है। बल्बों को एलइडी, आटोआफ एवं सौर लाइट से प्रतिस्थापित कर दिया गया है। यातायात क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण के लिए सभी संयत्रों और खदानों में परिवहन के साधनों में परिवर्तन किया गया है। ईंधन की खपत में कमी के लिए संचालन क्षेत्र में स्ववाहनों के स्थान पर अधिक से अधिक सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग किया जाता है। संयत्रों, खदानों और कालोनी में कार की गति सीमा निर्धारित है।
कंपनी द्वारा प्रमुख रूप से ऊर्जा संरक्षण के लिए अक्षय ऊर्जा हेतु कायड माइंस में 1 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना भूमि पर स्थापित की है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 1500 टन कार्बनआक्साईड उत्सर्जन में कमी आती है। स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से अपने कार्यालयों और उपयोगिताओं को चलाने के लिए पहल करते हुए 1.7 मेगावाट रूफटाप सौर परियोजना की स्थापना की है जिससे प्रति वर्ष 2350 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आयी है। चंदेरिया लेड जिंक स्मेलटर में कैप्टिव पावर प्रोजेक्ट में वर्ष 2019 में पूर्ण हुए प्रथम और द्वितीय वेरिएबल फ्रिक्वेंसी ड्राईव में पंखो की स्थापना के परिणामस्वरूप 2.6 मेगा यूनिट प्रति वर्ष ऊर्जा की बचत होती है।
इसी तरह यहां सर्दियों के मौसम में अपनी सिंगल सर्कुलेटिंग पानी पंप को चलाने की पहल की है, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 20 में 0.7 एमयू की बिजली की बचत हुइ है। चंदेरिया सीपीपी ने दक्षता निगरानी के आधार पर बॉयलर फीड पंप में ऑटोमैटिक रीसर्कुलेशन वाल्व इंसर्ट और कार्टि्रज को बदलने के लिए पहल की है, जिसके परिणामस्वरूप दक्षता में सुधार हुआ है और 0.88 एमयू की बिजली की बचत हुई है। एश हैंडलिंग पावर में 10 प्रतिशत तक बिजली की खपत से राख को कम करने हेतु विभिन्न पहल से बिजली की बचत का 0.63 मेगा यूनिट हासिल किया।
जावर सीपीपी ने अपनी टर्बाइन का पुनरीक्षण 80 मेगावाट से 91.5 मेगावाट करने के लिए अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए किया है, जिसके परिणामस्वरूप टर्बाइन की ऊष्मा दर में कमी 2365 किलो कैलोरी से 2145 किलो कैलोरी और 0.8 प्रतिशत बिजली की खपत में कमी आई है। यहां कूलिंग टॉवर में परिचालन में सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप 17500 किलोवाट प्रति माह की बिजली की बचत होती है। जावर सीपीपी द्वारा ऐश हैंडलिंग प्लांट में परिचालन में सुधार किया गया है, जिससे बिजली की बचत पर परिणाम 25 प्रतिशत यानि 18600 किलोवाट प्रति माह है।
दरीबा सीपीपी ने वैरिएबल फ्रिक्वेंसी ड्राइव स्थापित की है, दोनों यूनिटों में ड्राफ्ट फैन लगाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 1.6 मेगावाट प्रति वर्ष की बिजली की बचत हो रही है। दरीबा सीपीपी ने सर्कुलेटिंग वॉटर पंप में कोरो कोटिंग से पंप की दक्षता में वृद्धि हुई है और 0.13 मेगावाट वर्ष की ऊर्जा की बचत हुई है। दरीबा में ही कूलिंग टॉवर फैन ब्लेड को अत्यधिक कुशल फैन ब्लेड में बदलने से 0.5 मेगावाट प्रति वर्ष की बिजली बचत होती है। हिंदुस्तान जिंक के सस्टेनेबिलिटी विजन 2025 में 0.5 मिलियन टन कार्बन ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करने, वाटर पाजिटिव, अपशिष्ट उपयोग , कार्यस्थल पर सुरक्षा और विविधता, समुदायों की समृद्धि एवं जैव विविध्ता प्रमुख लक्ष्य है जिसके लिए लगातार प्रयास एवं नवाचार किये जा रहे है।
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