Adani Group Donation: एशिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी अपनी कुल संपत्ति का 8 फीसदी दान करने का फैसला किया है. यह भारतीय कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े दान में से एक है और इसके साथ ही वह अजीम प्रेमजी, मार्क जुकरबर्ग और वॉरेन बफेट जैसे वैश्विक अरबपतियों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं.
इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा । 24 जून 2022
अहमदाबाद। एशिया के सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडाणी (Gautam Adani) 60 वर्ष के हो गए। अडाणी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। अडाणी के 60वें जन्मदिन और उनके पिता शांतिलाल अडाणी की 100वीं जयंती पर 60,000 करोड़ रुपये दान में देने का ऐलान किया है।
अडाणी ग्रुप ने एक बयान में कहा कि यह दान स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में दिया जाएगा. दान का प्रबंधन अडाणी फाउंडेशन (Adani Foundation) द्वारा किया जाएगा। दान के लिए दी गई राशि अडाणी की 92 अरब डॉलर की संपत्ति का महज 8 फीसदी है।
अडाणी पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं और उन्होंने एक छोटी सी कृषि व्यापारिक फर्म को एक विशाल कारोबारी साम्राज्य में बदल दिया। समूह का कारोबार कोयला व्यापार और खनन, बंदरगाहों और हवाई अड्डों, बिजली उत्पादन, गैस वितरण, ग्रीन एनर्जी, डेटा सेंटर और सीमेंट तक फैला है।
भारतीय कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े दान में से एक
यह भारतीय कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े दान में से एक है और इसके साथ ही वह अजीम प्रेमजी (Azim Premji), मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) और वॉरेन बफेट (Warren Buffett) जैसे वैश्विक अरबपतियों की श्रेणी में शामिल हो गया है। गौतम अडाणी के पिता शांतिलाल अडाणी की जयंती और गौतम अडाणी के 60वें जन्मदिन पर, अडाणी परिवार ने कई सामाजिक कार्यों के लिए 60,000 करोड़ रुपये का दान की घोषणा की है।
इस साल 16.2 अरब डॉलर बढ़ी संपत्ति
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, लगभग 92.7 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ अडाणी ने इस साल अपनी संपत्ति में 16.2 अरब डॉलर जोड़ा है। इंडेक्स के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर अडाणी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।
अजीम प्रेमजी ने तारीफ की
इस अवसर पर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के चेयरमैन और विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd) के फाउंडर चेयरमैन और अजीम प्रेमजी ने कहा, गौतम अडाणी और उनके परिवार की परोपकार के प्रति प्रतिबद्धता एक उदाहरण स्थापित करती है। इसके लिए हम सभी कोशिश कर सकते हैं। हम सभी महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को अपनाने की कोशिश करते हैं और इसके लिए हमें अपने अंतिम वर्षों का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
गौतम अडाणी का सफर
डायमंड इंडस्ट्री में आजमाई किस्मत
24 जून 1962 को जन्मे कॉलेज ड्रॉपआउट गौतम अडाणी गुजरात से हैं। उन्होंने अपने भाई के प्लास्टिक बिजनेस को चलाने में मदद करने के लिए गुजरात लौटने से पहले 1980 के दशक की शुरुआत में मुंबई की डायमंड इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाई थी। इसके बाद 1988 में एक छोटी एग्री ट्रेडिंग फर्म के साथ अडाणी ग्रुप की शुरुआत की।
ये अब एक ऐसे ग्रुप में बदल गया है जो कोल ट्रेडिंग, माइनिंग, लॉजिस्टिक्स, पावर जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन तक फैला हुआ है। हाल ही में अडाणी ग्रुप ने ग्रीन एनर्जी, एयरपोर्ट्स, डेटा सेंटर्स और सीमेंट इंडस्ट्री में एंट्री की है। गौतम अडाणी ने अपने ग्रुप को दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्रोड्यूसर बनाने के लिए 2030 तक कुल 70 अरब डॉलर का निवेश करने का कमिटमेंट किया है।
1996 में बनाई अडाणी फाउंडेशन
उनकी पत्नी प्रीति अडाणी के नेतृत्व में अडाणी फाउंडेशन की स्थापना 1996 में हुई थी। इसने भारत के ग्रामीण इलाकों में सोशल प्रोगाम्स पर काम किया है। अडाणी ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में ये फाउंडेशन देश के 18 राज्यों में सालाना 34 लाख लोगों के उत्थान में मदद कर रहा है। प्रीति अडाणी पेशे से डॉक्टर हैं, जिन्होंने डेंटल सर्जरी (BDS) में ग्रेजुएशन किया है।
अडाणी की सफलता के सूत्र
पिता ने कहा था- 5 अंगुलियों की सीख याद रखना; लंच परिवार के साथ करते हैं, वहीं हर मामले हल कर लेते हैं।
दुनिया के नौवें सबसे अमीर शख्स और शीर्ष उद्योगपति गौतम अडाणी लगातार सफलता के शिखर छू रहे हैं। वे कहते हैं- हमारे यहां नियम है कि तमाम व्यस्तताओं के बीच भी परिवार के सभी लोग लंच की टेबल पर साथ बैठते हैं। जो भी मुद्दे हों, वहीं हल कर लेते हैं। संदेश स्पष्ट है- व्यस्तता जीवन का अंग है, लेकिन परिवार के लिए समय निकालना भी जरूरी है।
एक अखबार को दिए साक्षात्कार में यह बात सामने आई है। साक्षात्कार के कुछ अँश यहां प्रस्तुत हैं-
अडाणी समूह का कारोबार दुनियाभर में है, मुख्यालय अहमदाबाद में ही रखने की वजह?
अहमदाबाद मेरी जन्मभूमि है। इसी शहर ने व्यापार-धंधे में मुझे पाला-पोसा। गुजरात मेरा परिवार है। परिवार से दूर कौन जाता है। शेख आदम आबुवाला के शेर के जरिए लगाव जताऊं तो कहूंगा,‘आप बुलाएंगे तो जरूर आऊंगा, शर्त इतनी है कि वतन की मिट्टी का ढेला चाहिए होगा।’
1995 के बाद से उद्यमिता के सफर में ऐसा पल भी आया कि परिवार से असहमति रही?
पिताजी ने बचपन में समझाया था कि हमारे हाथ की पांचों अंगुलियां भगवान ने एक समान नहीं दी हैं, लेकिन जब इन्हें एकजुट कर मुट्ठी बांधते हैं तो प्रचंड ताकत बनती है। ये सीख और समझाइश परिवार में आज भी समाहित है। सालों से परिवार के सदस्य हर दिन लंच ऑफिस में साथ करते हैं। सभी विषयों पर चर्चा से संवाद बना रहता है। लगातार मजबूत होता है।
उद्योग संचालन में परिवार किस तरह जुड़ा है?
अडाणी परिवार प्रोफेशनल्स का मार्गदर्शन करता है। इसके अनुसार प्रोफेशनल्स अच्छा काम कर रहे हैं। फैमिली और प्रोफेशनल्स के बीच अच्छे सहयोग से अडाणी समूह का कारोबार चलता है।
आपका लक्ष्य ग्रीन एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन है?
आज दुनिया जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सामना कर रही है। पेरिस कॉन्फ्रेंस में ग्रीन एनर्जी के लिए योजना बनाई गई है। अडाणी समूह ने इसमें 2030 तक 70 अरब डॉलर निवेश का संकल्प किया है। दूसरी बात, भौगोलिक विशेषता के चलते देश में सूर्य की रोशनी प्रचुर मात्रा में है। इसके भरपूर उपयोग के उद्देश्य से हमने क्लीन और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में कदम रखा है। हम सोलर एनर्जी और संबद्ध उपकरणों के उत्पादन में भी प्रवेश कर चुके हैं। इन उपकरणों में लगने वाला ‘सिलिका’ देश में बहुत मात्रा में है। ऐसे में एनर्जी और संबंधित सामग्री आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अडाणी परिवार का औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश और विकास कैसे हुआ?
राष्ट्र निर्माण की भावना अडाणी समूह की नींव में है। एक गुजराती के रूप में साहस के संस्कार हैं ही। साल 1992 में अडाणी एक्सपोर्ट नाम से आयात-निर्यात के रूप में शुरुआत की। तब एक अंग्रेजी वाक्य दिल को छू गया, ‘Growth with Goodness.’ इसी विजन के साथ हम देश के 20 बंदरगाहों के जरिए कारोबार करते थे।
1995 में भारत सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निजी क्षेत्र आकर्षित करने की घोषणा की। मुंद्रा पोर्ट विकसित हुआ और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में समूह का प्रवेश हुआ। पोर्ट के आसपास हमारे पास बड़े पैमाने पर जमीन थी। साल 2006-07 में बड़ा विद्युत संकट पैदा हुआ। सरकार ने विद्युत कानूनों में संशोधन किए। तब मुंद्रा पोर्ट के पास अडाणी पावर प्लांट लगाया।
इस तरह पावर सेक्टर में प्रवेश हुआ। चार-पांच साल बाद ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी शुरू किया। इस तरह एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में दाखिल हुए। नेचुरल गैस संबंधी नीतियां बनने पर एनर्जी सेक्टर भी हमारे पोर्टफोलियो में जुड़ा।
समूह डेटा सेंटर और डिफेंस जैसे नए सेक्टर में भी बढ़त बना रहा है?
देश की सुरक्षा हर भारतीय की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी हमारा देश रक्षा क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है। इस मामले में भारत आत्मनिर्भर बने और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित कर स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़े। इस पथ पर योगदान देने के लिए अडाणी समूह समर्पित है।
अडाणी फाउंडेशन का कामकाज?
अडाणी फाउंडेशन 16 राज्यों के लगभग 2400 से अधिक गांवों की 40 लाख आबादी की गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा, जन स्वास्थ्य, स्वरोजगार और कुपोषण उन्मूलन के लिए काम कर रहा है। स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 11 राज्यों के एक लाख लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। महामारी के समय पैदा हुई ऑक्सीजन तंगी में अडाणी फाउंडेशन ने लॉजिस्टिक चैनल के जरिए ऑक्सीजन आयात कर कई राज्यों में ऑक्सीजन आपूर्ति की।
(इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा)