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भारत में डिजिटल इंडिया मुहिम: इतिहास, वृद्धि और उद्देश्य

डिजिटल इंडिया मिशन - नवाचार, उद्यमशीलता और डिजिटल समावेशन की संस्कृति का एक भव्य उत्सव है।

India CSR by India CSR
in हिंदी
Reading Time: 11 mins read
डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया

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इस आलेख में मैं आपको भारत में डिजिटल इंडिया मुहिम के इतिहास, वृद्धि और उद्देश्य के बारे में बताऊँगा। उम्मीद यह लेख आपको उपयोगी लगेगी।


भारत आज विशेष रूप से डिजिटल भुगतान में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। नागरिकों के जीवन और शासन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में भी भारत प्रमुख देश बन कर उभर रहा है। भारत में डिजिटल इंडिया मुहिम एक राष्ट्रीय पहल है। भारत को डिजिटल स्वरूप में उन्नत और सक्षम बनाने के लिए वर्ष 2015 में शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह प्रमुख महत्वाकांक्षी परियोजना है । इस मुहिम का उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में डिजिटल विकास को बढ़ावा देना है ताकि भारत आधुनिक और उन्नत देशों की श्रृंखला में शामिल हो सके। डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग करके सरकारें नागरिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी पहल शुरू करके उसे सफल बना रही हैं।

कुछ रोचक आँकड़े

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)

सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 2013 के बाद से 24.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से हस्तांतरित किए गए हैं। इसमें से अकेले वित्त वर्ष 2021-22 में 6.3 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए, प्रतिदिन (वित्त वर्ष 2021-22 में) औसतन 90 लाख डीबीटी भुगतान से ज्यादा किए गए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 11वीं किस्त के तहत, लगभग 20,000 करोड़ रुपये सीधे 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए (एक दिन में एक बटन के क्लिक पर 10 करोड़ से अधिक लेनदेन)।

डिजिटल भुगतान

जहाँ तक ​​डिजिटल भुगतान का संबंध है, देश में वर्ष 2021-22 के दौरान 8,840 करोड़ रुपये से अधिक और वित्त वर्ष 2022-23 में (24 जुलाई 2022 तक) लगभग 3,300 करोड़ रुपये डिजिटल भुगतान के लेनदेन किए गए हैं। एक दिन में औसतन 28.4 करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन किए गए हैं। सरकारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।

डिजिटल इंडिया का इतिहास

“मैं ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूँ जहाँ विश्व नए विचारों के लिए भारत की ओर देखता है”। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदिरा गाँधी इनडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में “डिजिटल इंडिया” सप्ताह का शुभारंभ करते हुए 1 जुलाई, 2015 को यह बात कही थी।


इस आलेख के विषय वस्तुओं में निम्नलिखित सामग्री शामिल हैंः उनमें डिजिटल इंडिया की शुरूआत, निरंतर नवाचार, निर्बाध समस्या रहित भुगतान से धमाकेदार वृद्धि, समस्त भुगतान इको सिस्टम में लाभ का सृजन, नवाचार में यूपीआई अग्रणी, व्यापारियों और ग्राहकों को यूपीआई के लाभ, ग्राहक के विचार, बैंकों और फिन टेक को यूपीआई का लाभ, यूपीआई की विकास गाथा एवं यूपीआई का वैश्वीकरण भूमंडलीकरण विषय शामिल हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

डिजिटल इंडिया कब शुरू हुआ – वर्ष 2015
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)

डिजिटल इंडिया की शुरूआत

पिछले कुछ वर्षों में भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली में तेजी से विकास हुआ है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में कई प्रकार के विकास तथा भावी विनियामकीय सोच और सरकारी नीतियों से इसे बल मिला है । खातों की सार्वभौम ( ग्लोबल) पहुँच, स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच और कम लागत वाली भुगतान रेल इन तीनों से डिजिटल लेन-देन में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि हुई है ।

उदाहरण स्वरूप, अप्रैल 2016 से यूपीआई तेजी से डिजिटल भुगतान का पर्याय बन गया था और उस समय प्रतिमाह 200 करोड़ से अधिक के लेनदेन वाली गुणात्मक वृद्धि देखी गई है। तब अगले 3 वर्षों में इसके 10 गुना और बढ़ जाने का अनुमान लगाया गया था।

उद्देश्य

डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक पहल है। यह सरकारी विभागों को देश की जनता से जोड़ता है। इसका उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएँ इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुँच सकें। इस योजना का अहम उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है।

डिजिटल इंडिया और विमुद्रीकरण अभियान

31 दिसम्बर, 2016 को ‘डिजिधन मेला‘ के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भीम यूपीआई ऐप (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का शुभारंभ किया था। इस समय उन्होंने जनता से डिजिटल भुगतान को अपनी आदत बनाने का अनुरोध किया था ताकि देश को एक कैशलेस अर्थव्यवस्था में तब्दील किया जा सके ।

यह मेला ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम में बदल गया, जो आगे चलकर राष्ट्र को डिजिटल रूप से सशक्त सोसायटी और नॉलेज अर्थव्यवस्था में बदलने के विजन वाला भारत सरकार का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम बन गया है । “फेसलेस, पेपरलेस, कैशलेस” स्थिति प्राप्त करना डिजिटल इंडिया का प्रमुख लक्ष्य है।

कैश आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के महत्वकांक्षी अभियान को 2016 में हुए विमुद्रीकरण से जबरदस्त समर्थन मिला, जिसने 2-3 वर्ष में इस बदलाव को गति प्रदान की है। तब से, भारत सरकार ने देश को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने पर जोर डालने के लिए कई पहल की है।

प्रथम, डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देने के कार्य को भारत सरकार द्वारा उच्चतम प्राथमिकता प्रदान की गई है ताकि हमारे देश के प्रत्येक क्षेत्र को डिजिटल भुगतान सेवा के औपचारिक दायरे में लाया जा सके। इसका विजन सुविधाजनक, सरल, वहनीय, तीव्र और सुरक्षित तरीके से भारत के सभी नागरिकों को निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान कराना है।

दूसरा, सरकार ग्राहकों और व्यापारियों को विभिन्न प्रकार के कर (टैक्स) और गैर-कर लाभ प्रदान करके डिजिटल लेनदेन से जुड़े कार्यों को प्रोत्साहित करने का कार्य भी कर रही है।

तीसरा, नागरिकों को डिजिटल भुगतान करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं । डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और जागरूकता पैदा करने के लिए सभी स्टेकधारकों के सहयोग और भागीदारी द्वारा कार्यनीति और दृष्टिकोण तैयार करने के उद्देश्य से एक समर्पित ‘डिजिधन मिशन‘ कार्यक्रम की स्थापना की गयी है ।

डिजिटल भुगतान में किए गए कुछ सुधार निम्नानुसार हैं:

  • वित्तीय समावेशन के आधार का विस्तार करते हुए कहीं से भी बैंकिंग
  • अंतिम हितग्राही के खाते में सब्सिडी
  • अगली पीढ़ी की प्रौद्यौगिकी का उपयोग
  • व्यापारी स्वीकरण अवसंरचना को बढावा देना
  • ग्राहक और व्यापारी के लिए प्रोत्साहन योजनाएँ
  • यूपीआई रैफरल और कैशबैक योजनाएँ
  • डिजिटल साक्षरता और जागरूकता

डिजिटल इंडिया के 4 प्रमुख आधार स्तंभ

डिजिटल इंडिया की मुहिम को आगे की ओर ले जाने के प्रयासों में भारत की सरकारें मुख्य रूप से 4 प्रमुख आधार स्तंभों को मजबूत बनाने पर काम कर रही है।
ये आधार स्तंभ हैं –

पहला – डिवाइस की कीमत,
दूसरा – डिजिटल कनेक्टिविटी,
तीसरा – डेटा की कीमत
चौथा – डिजिटल फर्स्ट

निरंतर नवाचार

वर्ष 1980 के दशक से डिजिटल भुगतान क्षेत्र में निरंतर नवाचार संबंधी कार्य हो रहे हैं। भुगतान प्रणाली के विकास की समग्र प्रक्रिया में प्राप्त कतिपय महत्वपूर्ण उपलब्धियों में निम्नलिखित को आरंभ किया जाना शामिल है:

आरंभिक उत्पाद

  • 1980 के दशक की शुरुआत में एमआईसीआर समाशोधन
  • 1990 के दशक में इलेक्ट्रानिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) तथा इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण (ईएफटी)
  • 1990 के दशक में बैंकों द्वारा क्रेडिट तथा डेबिट कार्ड जारी किया जाना
  • 2000 के दशक के आरंभ में एटीएम, मोबाइल तथा इंटरनेट बैंकिंग
  • वर्ष 2003 में राष्ट्रीय वित्तीय स्विच (एनएफएस)
  • वर्ष 2004 में आरटीजीएस तथा एनईएफटी

अगली पीढ़ी के भुगतान प्लेटफार्म

भारत सरकार ने कैशलेस सोसायटी तैयार करने हेतु अनेक कदम उठाकर डिजिटल भुगतान को स्वीकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

वर्ष 2014 के पश्चात इस अभियान में तेजी आई है जिसे निम्नलिखित के आरंभ सहित नवोन्मेषी अगली पीढ़ी के भुगतान उत्पादों तथा प्लेटफार्म को विकसित करने के लिए की गई महत्वपूर्ण पहलों के रूप में देखा जा सकता है:

  • वर्ष 2014 में नेशनल यूनिफाइड यूएसएसडी प्लेटफार्म (एनयूपीपी’ 99रु)
  • वर्ष 2016 में नेशनल इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी)
  • वर्ष 2016 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) तथा भीम ऐप
  • वर्ष 2017 में भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस)
  • वर्ष 2019 में राष्ट्रीय कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) एक देश एक कार्ड

एनपीसीआई द्वारा डिजिटल स्वीकार्यता को बढ़ावा देना

भुगतान उद्योग में नवाचार को समेकित करने हेतु सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), लाभ न कमाने वाले अंब्रेला संगठन जिसे वर्ष 2009 में भारत की खुदरा भुगतान प्रणालियों को प्रबंधित करने हेतु बनाया गया था, की स्थापना की। एनपीसीआई ने परिचालनों में और अधिक दक्षता लाने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करके तथा भुगतान प्रणालियों की पहुंच को व्यापक बनाकर खुदरा भुगतान प्रणालियों में नवाचार को लाने पर ध्यान केन्द्रित किया हैं ।

भारत में खुदरा भुगतान प्रणालियों पर इसके व्यापक प्रभाव के कारण एनपीसीआई को अब अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी जाना जाता है। कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा सरकारें एनपीसीआई को परामर्श कर रही हैं ताकि वे अपने संदर्भ में एनपीसीआई की भुगतान प्रणालियों जैसी सफलता को प्राप्त कर सकें। इसके अतिरिक्त, एनपीसीआई एक सशक्त सहयोगात्मक प्लेटफार्म के रूप में उभरा है जो रियल टाइम भुगतान प्रणाली में भागीदारी करने हेतु न केवल बैंकों को अवसर उपलब्ध कराता है अपितु फिनटैक इकाइयों को भी अवसर उपलब्ध कराता है ।

नकदी आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के सरकार के महत्वकांक्षी अभियान को 2016 में हुए विमुद्रीकरण से जबरदस्त समर्थन मिला। तब से, भारत को नकदी रहित अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाने हेतु भारत सरकार ने कई पहलें की हैं।


निर्बाध ग्राहक अनुभव में धमाकेदार वृद्धि

बढ़ता विकास

यह उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2016- 2017 में कुल डिजिटल लेनदेन जो 1,004 करोड़ रुपये थे, ने यूपीआई के लॉन्च के बाद तेजी से वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, 106 प्रतिशत की वृद्धि गई, जिससे यह आंकड़ा 2,071 करोड़ रुपये स्तर के लेनदेन तक पहुँच गया था।

वित्त वर्ष 2018-19 में, देश में कुल 31 बिलियन डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 17% रही थी। इसके अगले वित्तीय वर्ष में यूपीआई की हिस्सेदारी 27% से अधिक हो गई क्योंकि इसने कुल 46 बिलियन डिजिटल लेनदेन में से 12.5 बिलियन का लेनदेन किया। वित्त वर्ष 2020-21 में, यूपीआई ने कुल 55 बिलियन के डिजिटल लेनदेन में 40% हिस्सेदारी की।

इन संख्यात्मक आंकड़ों के साथ, भीम यूपीआई पर लेनदेन का मूल्य वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 15% था । भीम यूपीआई में भीम का फुलफार्म भारत इंटरफेस फॉर मनी है।

यूपीआई के साथ, ग्राहक अपने मोबाइल उपकरणों के माध्यम से तुरंत भुगतान कर सकते हैं । यह अपने अद्वितीय लाभों के चलते बेहतर ग्राहक अनुभव सुविधाओं के कारण एक लोकप्रिय डिजिटल भुगतान विकल्प बन गया है, इन सुविधाओं में शामिल है:-

उपयोग करने में आसान कार्यक्षमता:

इसमे केवल वर्चुअल भुगतान पता वीपीए की आवश्यकता होती है, अर्थात्: खाता संख्या, आईएफएससी कोड, आदि की आवश्यकता नहीं होती है।

  • इंटरऑपरेबिलिटी – इसके मध्याम से ग्राहक रीयल-टाइम आधार पर ( 24X7 उपलब्ध) और किसी भी यूपीआई ऐप का उपयोग करते हुए कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं ।
  • मर्चेंट स्थानों पर स्थिर यूपीआई क्यूआर और डायनेमिक यूपीआई क्यूआर दोनों के लिए वहनीय मर्चेंट स्वीकार्य अवसंरचना |
  • भुगतान करने / स्वीकार करने का किफायती तरीका
  • उन्नत सुरक्षा
  • यूपीआई पूरी तरह से मुक्त और इंटरऑपरेबल है: किसी भी बैंक के यूपीआई ऐप से लेनदेन शुरू किया जा सकता है
  • तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) प्लेटफॉर्म पर काम करता है
  • भुगतान और संग्रहण दोनों लेनदेन संभव हैं
  • लाभार्थी के पूर्व जोड़ / अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है
  • परिणामस्वरूप, अगस्त 2021 तक, यूपीआई के 22+ करोड़ उपयोगकर्ता हैं, जिन्होंने अगस्त में 3.5 बिलियन वित्तीय लेनदेन किए, जिसका कुल निपटान मूल्य 6.39 लाख करोड़ था ।
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समस्त भुगतान इकोसिस्टम में लाभ का सृजन

यूपीआई की तीव्र वृद्धि ने एक बार फिर से यह दर्शाया है कि छोटे स्तर से भारत विश्व स्तरीय भुगतान अवसंरचना तैयार करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। यूपीआई प्रणाली ने एक राष्ट्रीय मुक्त मानक बनाया है जिसे 200 से अधिक भारतीय बैंकों ने अपनाया है । इस मुक्त सिस्टम ने भारत में तकनीकी और सोशल मीडिया प्रमुख कंपनियों – गूगल, व्हाट्सअप, वॉलमार्ट, ट्रू कॉलर, अमेजन, उबर जैसे वैश्विक प्रतिभागियों को यूपीआई सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाया है।

इसके अलावा, यूपीआई के लाभ समस्त भुगतान इकोसिस्टम में प्राप्त होते हैं:

व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) भुगतान ग्राहकों को भुगतान लेनदेन की 100% पहुँच प्रदान करते हैं।

बैंकों और गैर-बैंक संस्थाओं दोनों की भागीदारी से चौबीसों घंटे कार्य करने वाली वास्तव में अंतर – परिचालनीय भुगतान प्रणाली है ।

केवल पाँच वर्ष में मर्चेन्ट पेमेंट स्वीकार करने के लिए 100 मिलियन यूपीआई क्यूआर लगाए गए हैं, जो इससे पूर्व मर्चेंट भुगतान स्वीकार करने के लिए 2.5 मिलियन की संख्या में ही थे ।

धन के सभी स्रोतों को समर्थन देता है अर्थात् बैंक खाता, प्रीपेड वॉलेट, ओवरड्राफ्ट खाता आदि ।

पूरी तरह से डिजिटल ऑन-बोर्डिंग जिसके लिए किसी बैंक शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है ।

इन-ऐप, वेब और इंटेंट आधारित भुगतानों द्वारा समर्थित कम लागत वाले क्यूआर कोड आधारित वास्तविक स्वीकृति ।

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और प्रमाणपत्रों का पूर्ण अनुपालन ।

भुगतान यूपीआई आईडी आधारित हैं, जो उपयोगकर्ताओं को उच्च सुरक्षा और गोपनीयता प्रदान करते हैं ।

सभी चौनलों पर संपर्क रहित भुगतान सक्षम करता है जैसे – मोबाइल, एटीएम, इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग ।

संक्षेप में, यूपीआई के बड़ी संख्या में लाभों ने देश को नकदी पर निर्भर अर्थव्यवस्था से डिजिटल भुगतान परिदृश्य के लिए जाने जाने वाले देश में बदल दिया है।

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यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) क्या है

यूपीआई जैसी उन्नत तकनीक ने पूरी भुगतान व्यवस्था को बदल दिया है। दुनिया में उच्चतम वास्तविक समय (रियल टाइम) के डिजिटल भुगतान लेनदेन दर्ज किए हैं, जो कुल लेनदेन में 40 प्रतिशत योगदान देता है।

यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) अत्यंत लोकप्रिय व सुविधाजनक त्वरित भुगतान प्रणाली है जो ग्राहकों को किसी भी बैंक खाते में तुरंत धन हस्तांतरित करने की अनुमति देती है। उदाहरण के रूप में भीम यूपीआई अनुभाग स्टेट बैंक आफ इंडिया के योनो पे एप के तहत उपलब्ध है।

आपको अपने बैंक पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करके योनो पर भीम यूपीआई पर पंजीकरण करना होता है और अपने खाते को लिंक करना होता है। एक बार पंजीकृत होने के बाद,आप भीम यूपीआई का उपयोग इसके लिए कर सकते हैं –

  1. यूपीआई आईडी (वीपीए) को भुगतान कर सकते हैं
  2. बैंक खाते में भुगतान कर सकते हैं
  3. किसी संपर्क को भुगतान कर सकते हैं
  4. पैसे का अनुरोध कर सकते हैं
  5. कलेक्ट रिक्वेस्ट को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं
  6. क्यूआर कोड के माध्यम से स्कैन कर सकते हैं और भुगतान भी कर सकते हैं।

नवाचार में सबसे आगे यूपीआई

ग्राहकों और व्यवसायों के लिए विश्वास बढ़ाना

कोविड – 19 महामारी के दौरान यूपीआई के लाभों को पूरी तरह से लाभ पहुँचाता हुआ देखा गया। इस संकट काल मेंं जब यूपीआई ने विशेष रूप से छोटे और सूक्ष्म व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण जीवन रेखा के रूप में कार्य किया था। सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में यूपीआई ने 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 9 बिलियन से अधिक संपर्क रहित व्यापारिक लेनदेन किया था।

यूपीआई ने फिनटेक ऐप सॉल्यूशंस के जरिए खरीदारी और बिक्री को ई-कॉमर्स प्रदाताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए आसान बना दिया है। इसने फिनटेक उद्योग में भारी मांग पैदा कर दी है । व्यापार के सुचारू प्रवाह में अब कोई बाधा नहीं है ।

इसके अलावा, यूपीआई ने स्टार्ट-अप और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए समाधान पेश करने के लिए कई नए अवसर प्रदान किए हैं जो ग्राहक के संतोषजनक अनुभव को बढ़ाते हैं ।

यूपीआइ ने व्यापारियों और छोटे व्यवसायों के अपने ग्राहकों से भुगतान एकत्र करने के तरीके को भी बदल दिया। पहले यह कार्य मैनुअल हुआ करता था। ज्यादातर लेनदेन नकदी-आधारित होता था। यूपीआइ का उपयोग करते हुए व्यापारी अब अपने ग्राहकों को भुगतान करने के लिए याद दिला सकते हैं। यहाँ तक कि ग्राहक द्वारा भुगतान करने के लिए विशिष्ट तिथियाँ भी सेट कर सकते हैं, तथा संग्रहण प्रक्रिया को सरल भी बना सकते हैं ।

डिजिटल इंडिया
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उपयोग के मामलों का दोहन

यूपीआई ने बैंकों को एटीएम और शाखाओं जैसे चैनलों पर नकदी आवश्यकताओं को कम करने में मदद की है जिसके परिणामस्वरूप परिचालन लागत में कमी आई है। परिणाम स्वरूप ग्राहकों के अनुभव में सुधार भी हुआ है। यह माइक्रो-पेंशन, डिजिटल बीमा उत्पादों और लचीले ऋणों जैसे फिनटेक अनुप्रयोगों को व्यापक बनाते है। ये यूपीआई के सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे पर भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा बनाए गए ग्राहक समाधान हैं।

डिजिटल इकोसिस्टम का विस्तार करने के लिए टेक कंपनियां यूपीआई की शक्ति का तेजी से लाभ उठा रही हैं और इससे वित्तीय समावेशन की गति में काफी तेजी आई है ।


व्यापारियों और ग्राहकों के लिए यूपीआई के लाभ

व्यापारियों के लिए

  • सीधे बैंक खाते में भुगतान प्राप्त करने का सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका ।
  • भुगतान प्राप्त करने के लिए कम लागत वाला बुनियादी ढाँचा क्यूआर कोड
  • नकदी साथ रखने की आवश्यकता नहीं
  • शून्य एमडीआर
  • संवेदनशील आंकड़ा संग्रहीत करने का कोई जोखिम नहीं
  • कार्यकुशल बनना
  • ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों व्यापारियों के लिए उपयुक्त
  • रीयल-टाइम भुगतान का एकीकरण
  • यूपीआइ भुगतान माध्यम का उपयोग करने वाले ग्राहकों के बड़े डेटाबेस तक पहुँच
  • ग्राहकों के बैंक या वित्तीय विवरण संग्रहीत करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

ग्राहकों के लिए

  • चौबीसों घंटे उपलब्धता
  • संवेदनशील डेटा साझा नहीं करना
  • शिकायतों को निपटाने में आसानी सहित सरल यूजर इंटरफेस
  • सुविधा और किफायत (कोई लागत नहीं / बहुत कम लागत)
  • सरल इंटरफेस वाले ऐप्स की उपलब्धता
  • खाता विवरण उजागर किए बिना भुगतान के लिए उपयुक्त
  • उच्च आवृत्ति वाले कम मूल्य वाले मर्चेंट भुगतान के लिए सुविधाजनक
  • ग्राहक के लिए कई विकल्प (ऐप्स) उपलब्ध हैं । ग्राहक भीम, व्यक्तिगत बैंक के साथ-साथ गैर-बैंक ऐप्स में से चुन सकते हैं ।
  • कम लागत और संचालन में आसानी के कारण वित्तीय समावेशन
  • उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल वित्तीय पदचिह्न बनाता है जो क्रेडिट और अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाता है ।

बैंकों एवं फिनटेक को यूपीआई का लाभ

बैंकों के लिए:

  • नकद लेनदेन में कम लागत वाला विकल्प |
  • कम व्यापारिक ऑनबोर्डिंग लागत ।
  • लेन-देन संबंधी आकड़ा अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए ग्राहकों को लक्ष्य करने में सक्षम बनाता है ।

भुगतान सेवा प्रदाताओं और फिनटेक के लिए:

  • ओपन आर्किटेक्ट अद्वितीय उत्पादों के नवाचार और विकास को बढ़ावा देता है ।
  • ग्राहक केंद्रित समाधानों के विकास के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के साथ साझेदारी को बढ़ावा देता है ।
  • ऋण और अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए यूपीआई ग्राहकों को लक्षित करने का अवसर ।
डिजिटल इंडिया
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यूपीआई के बारे में क्या कहना है

यूपीआई प्लेटफॉर्म को एक ओपेन सोर्स स्टेक पर बनाया गया है जो सबसे उन्नत ओपेन सोर्स स्टेक में से एक हैं, जिसका अर्थ है कि यूपीआई बहुत कम लागत पर अरबों रुपये के लेन-देन करने में सक्षम है।

  • नन्दन निलकेनी, सह संस्थापक और गैर-कार्यकारी अध्यक्ष, इंफोसिस

2016 में यूपीआई के लॉन्च होने के बाद से हमने जनता के बीच यूपीआई को तेजी से अपनाया जाना देखा है। यूपीआई की सफलता की कहानी को दुनिया भर में स्वीकार किया गया है और अन्य देश भी इसी तरह के समाधानों का अनुकरण करने की कोशिश कर रहे हैं ।

  • रजनीश कुमार (पूर्व अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक)

कई ग्राहकों के संपर्क रहित भुगतान के विकल्प के साथ, यूपीआई देश में डिजिटल भुगतान नवाचार में उनका पसंदीदा तरीका बन गया है, जिससे ग्राहकों को वास्तव में विश्व स्तर का अनुभव मिलता है।

  • हर्षिल माथुर, रेजरपे

यूपीआई ऑटोपे ग्राहकों और व्यवसाय को उनके भुगतानों का पूर्ण नियंत्रण देता है। यह सुविधा व्यवसायों को बिलिंग स्वचालित करने, नकदी प्रवाह में सुधार करने और बेहतर मूल्य निर्धारण प्रदान करने में मदद करती है ।

  • सुधीर सहगल पे यू

यूपीआई ग्राहक सुविधा में एक बड़ा कदम है जो महत्वपूर्ण ग्राहक को मासिक भुगतान भूलने के डर के बिना एक बार आवर्ती भुगतान दर्ज करने की पेशकश करता है।

  • पराग राव, एचडीएफसी बैंक

यूपीआई इकोसिस्टम का विकास


यूपीआई लेनदेनों में वृद्धि

यूपीआई ने कम समय में ही घरेलू बाज़ार में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मान्यता भी प्राप्त की है।


कुल डिजिटल लेनदेन में यूपीआई लेनदेनों का योगदान (करोड़ में)

यूपीआई इकोसिस्टम का विकास
यूपीआई इकोसिस्टम का विकास

डिजिटल इंडिया - यूपीआई
डिजिटल इंडिया – यूपीआई

यूपीआई का वैश्विकरण

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), सरकार और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के सहयोग से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को वैश्विक स्तर पर व्यापक बनाने का कार्य कर रहा है। इस संदर्भ में आरबीआई ने दक्ष और सुरक्षित प्रणाली के रूप में यूपीआई की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ चर्चा की है।

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में यूपीआई की शुरुआत को स्ट्रीमलाइन करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने अपने समर्पित अंतर्राष्ट्रीय आनुषंगी ‘एनपीसीआई इंटरनेशनल’ का शुभारंभ किया।

एनपीसीआई ने एक अनुकरणीय सशक्त भुगतान प्रणाली विकसित करने में सफलता का शिखर हासिल किया है जो कि लागत प्रभावी, सुरक्षित, सुविधाजनक और तात्काल प्रयोग में लायी जाने वाली है। कई देशों ने देश में एनपीसीआई द्वारा अनुकरणीय नई पद्धतियों से प्रेरित एक ‘वास्तविक समय भुगतान प्रणाली‘ या ‘घरेलू कार्ड योजना‘ स्थापित करने की ओर झुकाव प्रदर्शित किया है।

उदाहरण के लिए, सिंगापुर और यूएई में यूपीआई उपलब्ध है और कार्य प्रगति पर है। यूपीआई की स्वीकार्यता के माध्यम से विप्रेषण की स्वीकृति को सक्षम करने के लिए एनपीसीआई 30 से अधिक देशों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है।

इसके अतिरिक्त, विभिन्न देशों के कई अन्य संस्थानों ने कथित तौर पर यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म की स्थापना की खोज कर रहे हैं ।

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) जैसे वैश्विक मंचों पर घरेलू रिअल टाइम कम लागत भुगतान प्रणाली की आवश्यकता और महत्व और रिअल टाइम कम लागत सीमा पार प्रेषण को सुगम बनाने के लिए विभिन्न देशों की भुगतान प्रणालियों को जोड़ने की संभावना पर भी चर्चाएँ हुई हैं ।

यूपीआई के पास अन्य अधिकार-क्षेत्रों के साथ मजबूत द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक साझेदारी के लिए आधार प्रदान करने के लिए अपार संभावनाएँ है और भारत के सॉफ्ट पावर को मजबूत करने में मदद करता है ।


How to harness mobile technology to drive innovation
Image Credit: Adobe Stock

अति विशिष्ट व्यक्तियों के विचार

गूगल भारत में यूपीआई के प्रयोग में एक सफल बाजार भागीदार रहा है और लेन देन की राशि के अनुसार गूगल पे यूपीआई का प्रयोग करने वाले तीन अग्रणी मोबइल ऐप्लिकेशनों से है। गूगल चाहता है की सरकार देश में तेज डिजिटल भुगतान के लिए एक नई इंटरबैंक रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सर्विस (आरटीजीइस) फेड नाउ बनाने के लिए ऐसा ही मोडल अपनाए ।

  • मार्क इशकोविट्ज वि पि गूगल

(UPI) के साथ नए कुछ बेहद में विशेष बनाया है और सूक्ष्म और छोटे व्यवसायों जो भारतीय व्यवस्ता की रीड हैं. के लिए अवसरों की दुनिया खोल रहा है।

  • मार्क झुकबर्रा सीईओ फेसबुक

भारत ने डिजिटल भुक्तान के लिए एक महत्वाकाँक्षी प्लेटफार्म बनाया है जिससे किसी भी बैंक या स्मार्टफोन ऐप के बिच रूपए भेजने की प्रणाली शामिल है।

  • विल गेट्स, सह स्थापक- माइक्रोसॉफ्ट

यूपीआई को सोच समझकर बनाया गया था और इसके डिज़ाइन के महत्वपूर्ण पहलुओं ने इसकी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया। यह एक खुली प्रणाली है जिस पर प्रौद्योगिकी कंपनियाँ ऐसे ऐप बना सकती हैं, जो उपयोगकर्ताओं को सीधे अपने बैंक खातों से दूसरे खातों में प्रबंधन करने में मदद करते हैं।

  • सुंदर पिचाई सीइओ अल्फाबेट

जीएम बीआईएस भारत का एकीकृत भुगतान इंटरफेस घरेलू और वैश्विक दोनों तरह के लोगों को मोबाइल भुगतान एप्लिकेशन विकसित करने की अनुमति देता है। इस प्रकार धन के ट्रान्सफर की यह प्रवेश की बाधाओं को कम करता है – विशेष रूप से छोटी फर्मों के लिये ।

  • अगस्टिन कारस्टेंस, जीएम बीआईएस

भविष्य के कार्यक्रम

देश भर में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने के लिए सभी हितधारकों के समन्वय में 9 फरवरी से 9 अक्टूबर 2023 के दौरान एक व्यापक अभियान “डिजिटल भुगतान उत्सव” की योजना बनाई गई है। इसमें जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह (डीईडब्ल्यूजी) आयोजन शहरों, हैदराबाद, पुणे और बेंगलुरु और लखनऊ पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।

सारंश

इस आलेख को पढ़ने में अपना कीमती समय देने के लिए आपका धन्यवाद। संक्षेप में यह कहना अत्यंत उचित प्रतीत होता हैः

डिजिटल इंडिया मिशन – नवाचार, उद्यमशीलता और डिजिटल समावेशन की संस्कृति का एक भव्य उत्सव है। यह प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ आम आदमी को सशक्त बनाने की दिशा में आगे जाने के लिए सभी बाधाओं और चुनौतियों को हटाने का मार्ग प्रशस्त करता है।


पाठकों से अनुरोध

यह आलेख उपयोगी लगने पर इसे आगे साझा कर दीजिए ताकि प्रामाणिक सूचनाओं के साथ-साथ देश के बारे में प्रमुख जानकारियों के साथ ज्ञान का विस्तार हो सके।


Source: इंडिा सीएसआर हिंदी
Tags: कैश आधारित अर्थव्यवस्थाजी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूहडिजिटल अर्थव्यवस्थाडिजिटल इकोसिस्टमडिजिटल भुगतानडिजिटल भुगतान सेवाविमुद्रीकरण अभियान

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