उदयपुर। भारत की सबसे बड़ी और एकमात्र एकीकृत जस्ता, सीसा और चांदी उत्पादक, हिन्दुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) ने परिचालन के 59 वर्ष पूरे कर लिए हैं। 1966 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में शामिल, कंपनी ने तब से कंपनी ने उल्लेखनीय विकास किया है और देश और दुनिया को बड़े पैमाने पर जिंक उपलब्ध करायाहै। एकीकृत उत्पादक के रूप में, हिंदुस्तान जिंक राजस्थान में भूमिगत जिंक लेड खदानों, स्मेल्टर्स और कैप्टिव पावर प्लांट्स का संचालन करता है।
हिन्दुस्तान जिंक की स्थापना देश के विकास में महत्वपूर्ण धातु की उपलब्धता हेतु की गयी थी। जिसमें 1966 में उदयपुर में 18,000 टन प्रति वर्ष की क्षमता वाला स्मेल्टर था। तब से लेकर सरकारी विनिवेश के समय तक, हिंदुस्तान जिंक का उत्पादन लगभग 2 लाख टन प्रति वर्ष हो गया। 2002 में सरकारी विनिवेश और वेदांता समूह द्वारा अधिग्रहण के बाद, धातु उत्पादन 4 गुना बढ़कर 1 मिलियन टन प्रति वर्ष से अधिक हो गया।
वेदांता के नेतृत्व में हिन्दुस्तान जिंक राजस्थान के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का पर्याय बन गया है। पिछले दो दशकों में, कंपनी ने न केवल धातु और खनन उद्योग में अग्रणी कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि राज्य के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सामुदायिक विकास, राजस्व और आर्थिक समृद्धि में रणनीतिक निवेश के माध्यम से, हिंदुस्तान जिंक ने राजस्थान को न केवल खनन, बल्कि खेल, कृषि और समग्र सतत विकास के केंद्र के रूप में आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा राजस्थान से 5 जिंक और लेड खदानों और 3 स्मेल्टरों का संचालन किया जा रहा है। 5 मशीनीकृत जिंक-लेड खदानों और 3 अत्याधुनिक स्मेल्टरों से युक्त एकीकृत संचालन के साथ जिंक, लेड और सिल्वर उत्पादों में दुनिया के सबसे बड़े पोर्टफोलियो में से एक है। चित्तौड़गढ़ के चंदेरिया में दुनिया का सबसे बड़ा एकमात्र जिंक-लेड स्मेल्टर है। भीलवाड़ा के रामपुरा आगुचा में दुनिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउण्ड माइंस है। राजसमंद के सिंदेसर खुर्द में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक माइंस है वहीं हिन्दुस्तान ज़िं़क में भारत की पहली महिला अंडर ग्राउण्ड माइंस रेस्क्यू टीम होने का गौरव प्राप्त है। कंपनी ने हाल ही में कुल बिजली आवश्यकता के 70 प्रतिशत की पूर्ति के लिए 530 मेगावाट चैबीसों घंटे रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध कराने हेतु पाॅवर डिलिवरी एग्रीमेंट किया है। रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कंपनी द्वारा परिचालन में लगभग 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है।
राजस्थान, खनिजों, धातुओं और अवसरों की भूमि जिंक और चांदी के साथ विकास की ओर अग्रसर है, जिसने राज्य को धातु निर्माण के वैश्विक मानचित्र पर रखा है। न केवल धातु, बल्कि राज्य ने कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में भी परिवर्तन देखा है जिसमें हिन्दुस्तान जिंक द्वारा समुदाय के लिए किए गए अभिनव कृषि नवाचार शामिल हैं। करों के माध्यम से हिन्दुस्तान जिंक 40 हजार करोड़ रुपये का योगदान कर राज्य की समृद्धि में योगदान दे रहा है। जिससे कंपनी राज्य के खजाने में प्रतिदिन लगभग 5 करोड़ रुपये दे रही है। दूसरी ओर, कंपनी ने छह जिलों के 3,700 गांवों के समुदायों के लिए 1,700 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जिससे लगभग 20 लाख लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। हिन्दुस्तान जिंक राजस्थान के लोगों के लिए सुविधाओं की कमी, सामाजिक बाधाओं और वित्तीय समस्याओं जैसी चुनौतियों का समाधान करते हुए, हिन्दुस्तान जिंक ने सामुदायिक उत्थान के प्रमुख स्तंभों के रूप में शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता दी है।
पिछले कुछ वर्षों में, राजस्थान ने सीखने की कमी को दूर करने और ड्रॉपआउट दरों को कम करने के उद्देश्य से कंपनी की शिक्षा केंद्रित सामाजिक प्रभाव पहल के माध्यम से कक्षा 10 उत्तीर्ण प्रतिशत में 2007 में 45 प्रतिशत से 2024 में 93 प्रतिशत तक उल्लेखनीय सुधार देखा है। जिंक फुटबॉल अकादमी के माध्यम से, हिंदुस्तान जिंक ने 2018 से 8,000 से अधिक प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाडियों को तैयार किया है।
कुछ वर्षो पूर्व यह क्षेत्र अमरूद, स्ट्रॉबेरी आदि फलों की खेती के लिए उपयुक्त नहीं था, हिन्दुस्तान जिंक की कृषि केंद्रित सामाजिक प्रभाव पहल, समाधान राजस्थान के कृषि वातावरण को बदल रही है। हिन्दुस्तान जिंक द्वारा स्थापित किसान उपज संगठनों के समर्थन से, समाधान किसानों ने 5 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न किया। इसी पहल के तहत, हिंदुस्तान जिंक ने श्वेत क्रांति शुरू की है, जिसके तहत 4 लाख लीटर से अधिक दूध का प्रसंस्करण किया गया है, जिससे 2.5 करोड़ रुपये का संचयी राजस्व प्राप्त हुआ है।
कर और सामुदायिक विकास योगदान के अलावा, हिन्दुस्तान जिंक ने अपने शेयरधारकों को लगातार मजबूत वित्तीय रिटर्न दिया है। मूल्य सृजन दीर्घकालिक निवेशों तक भी फैला हुआ है, वित्त वर्ष 2004 में Rs 1.4 प्रति शेयर निवेश बढ़कर 2024 के अंत में Rs 444 प्रति शेयर हो गया, साथ ही प्रति शेयर Rs 275.55 का कुल लाभांश मिला, जो 500 से अधिक गुना का उल्लेखनीय कुल शेयरधारक रिटर्न है। विकास के लिए हिंदुस्तान जिंक का बहुआयामी दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता प्रदेश का सतत विकास हो। आर्थिक समृद्धि को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ एकीकृत कर, कंपनी न केवल राजस्थान को धातुओं और खनन के लिए वैश्विक केंद्र बना रही है, बल्कि ऐसे भविष्य को भी बढ़ावा दे रही है जहां खेल, कृषि और सामुदायिक कल्याण प्रमुखता में हों।
जैसे-जैसे हिंदुस्तान जिंक आगे बढ़ रहा है, राज्य समग्र विकास के लिए मॉडल बनने की ओर बढ़ रह है। खनन से लेकर विविध अर्थव्यवस्था तक का मार्ग राजस्थान की प्रगति के लिए हिंदुस्तान जिंक की रणनीतिक दृष्टि और स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
(India CSR)