दक्षिण कोरिया की POSCO ने सज्जन जिंदल की नेतृत्व वाली JSW समूह के साथ गठजोड़ करके, दो दशक से लंबित अपनी मेगा स्टील परियोजना को पुनर्जीवित कर उसे आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

रुसेन कुमार द्वारा
मुम्बई/भुवनेश्वर (इंडिया सीएसआर): स्टील उत्पादन एवं कारोबार के लिए ओडिशा राज्य अग्रणी गंतव्य स्थल के रूप में उभर रहा है। दक्षिण कोरिया की POSCO और भारत की JSW Steel ने ओडिशा को अनुकूल स्थल बताते हुए भारत में 6 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) क्षमता वाले एक ग्रीनफ़ील्ड, एकीकृत स्टील प्लांट के लिए नॉन-बाइंडिंग हेड्स ऑफ़ एग्रीमेंट (HoA) पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनियों का फोकस एक ऐसे प्रोजेक्ट पर है जो खनन से लेकर फ़िनिश्ड स्टील तक पूरी वैल्यू-चेन को जोड़ सके। लोकेशन पर औपचारिक मुहर बाकी है लेकिन ओडिशा को पसंदीदा स्थल चुना गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा—विशेषकर केओंझार—की खनिज-समृद्धि, रेल–पोर्ट नेटवर्क और स्टील क्लस्टर इकोसिस्टम इस परियोजना का सर्वोत्तम विकल्प हो सकता है।
यह समझौता प्रारंभिक चरण में है, इसलिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), समय-सारिणी और विस्तृत तकनीकी कॉन्फ़िगरेशन पर निर्णय आगे की जांच-पड़ताल और अनुमति प्रक्रियाओं के बाद होंगे। 18 अगस्त को समझौते पर मुंबई में पॉस्को होल्डिंग्स के प्रतिनिधि निदेशक और अध्यक्ष ली जू-ताए और जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं सीईओ जयंत आचार्य की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
यह समझौता अक्टूबर 2024 में दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आधारित है। हालिया समझौता प्रस्तावित 50:50 संयुक्त उद्यम के लिए व्यापक ढांचे की प्रारंभिक रूपरेखा की तरह है। ली ने अपने बयान में वैश्विक स्टील मांग परिदृश्य में भारत की रणनीतिक महत्वता पर प्रकाश डाला, साझेदारी की नींव को पारस्परिक विश्वास और साझा दीर्घकालिक दृष्टि पर रेखांकित किया।
उल्लेखनीय है कि यह भारत में स्टील मिल बनाने की दिशा में पोस्को का दूसरा प्रयास है। 2005 में कंपनी ने $12 बिलियन की परियोजना की योजना बनाई थी, लेकिन 2017 में स्थानीय विरोध के चलते उसे छोड़ना पड़ा। पाँच साल बाद, पोस्को ने इसी तरह के एक प्लांट के लिए अदाणी समूह के साथ समझौता किया था। हालाँकि बाद में योजना बदली और परियोजना की सफलता की संभावनाएँ बढ़ाने के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील को साझेदार चुना गया।
इन कंपनियों ने कहा है कि प्लांट के स्थान, निवेश शर्तों, संसाधनों की उपलब्धता और अन्य महत्वपूर्ण कारकों को अंतिम रूप देने के लिए दक्षिण कोरियाई POSCO और देशी JSW समूह विस्तृत अध्ययन करेगी।
ओडिशा मुख्यमंत्री ने निवेश की पुष्टि
उधर, ओडिशा राज्य के मुख्यमंत्री मोहन चरण मज़ी ने सोमवार को पीटीई के हवाले से पुष्टि की कि जेएसडब्ल्यू के सीईओ ने उनसे मुलाकात की कि यह संयंत्र केउझर में ही लगेगा। माझी ने कहा, “यह मेरा सपना था कि मेरे जिले में एक बड़ा स्टील प्रोजेक्ट आए। आज यह सपना साकार होने जा रहा है।”
ओडिशा के उद्योग मंत्री सम्पद चंद्र स्वाईं ने कहा कि राज्य सरकार पॉस्को और अन्य निवेशकों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि नवंबर तक एल्युमिनियम पार्क, अंगुल में ल्यूमिनस कंपनी अपनी बैटरी निर्माण इकाई स्थापित करेगी।
***
6 MTPA की “इंटीग्रेटेड” सोच
आधिकारिक रूप से, प्रस्तावित संयंत्र को “इंटीग्रेटेड” रखा गया है। यानी कच्चे माल की हैंडलिंग से लेकर हॉट/कोल्ड रोलिंग, गैल्वनाइजिंग और वैल्यू-ऐडेड ग्रेड तक उत्पादन की एक सतत श्रंखला होगी। उद्योग मानकों के अनुरूप ऐसी परियोजनाओं में कोक-ओवन, सिण्टर/पेलेट प्लांट, ब्लास्ट फ़र्नेस या DRI-EAF रूट, बेसिक ऑक्सीजन फ़र्नेस, कंटिन्युअस कास्टिंग, हॉट स्ट्रिप मिल/प्लेट मिल, कोल्ड रॉलिंग मिल और फिनिशिंग लाइनों जैसे यूनिट शामिल होते हैं।
कंपनियाँ आगे चलकर बाज़ार-आवश्यकताओं के अनुसार ऑटो-ग्रेड, इलेक्ट्रिकल स्टील, पाइप/ट्यूब, कोटेड स्टील जैसे उत्पादों का पोर्टफ़ोलियो तय करेंगी। उद्देश्य स्पष्ट है—उच्च गुणवत्ता के साथ लागत-प्रतिस्पर्धी उत्पादन, और घरेलू मांग के साथ निर्यात अवसरों का लाभ उठाना।
***
निवेश कितना होगा: घोषणा बाकी
कंपनियों ने कैपेक्स का औपचारिक आंकड़ा अभी जारी नहीं किया है। बड़े, 6 MTPA पैमाने के एकीकृत स्टील प्लांट की जटिलताओं—भूमि, R&R, पर्यावरण-अनुपालन, यूटिलिटी टाई-अप, प्लांट व मशीनरी, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, कैप्टिव पावर/वॉटर, टाउनशिप/सपोर्ट सुविधाएँ, और शुरुआती वर्किंग कैपिटल—को ध्यान में रखते हुए, उद्योग परिप्रेक्ष्य में इसका यथार्थवादी दायरा रुपये 70,000–रुपये 80,000 करोड़ माना जाता है।
यह रेंज किसी आधिकारिक उद्घोषणा का विकल्प नहीं है; अंतिम कैपेक्स JV संरचना, तकनीकी रूट, चरणबद्धता और बाज़ार परिस्थितियों के आधार पर तय होगा। साथ ही, नीति-प्रोत्साहन, कर-ढांचा और वित्त-लागत भी कुल निवेश का रूप-रंग बदल सकते हैं।
***
पसंदीदा स्थल ओडिशा
ओडिशा का केओंझार जिला लौह-अयस्क बेल्ट, पेलेट/सिण्टर क्षमता और स्टील क्लस्टर इकोसिस्टम के लिए प्रसिद्ध है। जखपुरा–बंसपानी रेल कनेक्टिविटी, पारादीप व धामरा जैसे पोर्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क और खनन-आधारित सप्लाई-चेन इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। जल-स्रोत, ऊर्जा-टाई-अप और कच्चे माल की निकटता से लॉजिस्टिक लागत घटती है और परियोजना की प्रतिस्पर्धा-क्षमता बढ़ती है। अंतिम साइट-चयन, हालांकि, भू-उपलब्धता, पर्यावरणीय संवेदनशीलता, सामाजिक स्वीकृति और सरकारी अनुमतियों के व्यावहारिक आकलन पर निर्भर करेगा।
***
माँग, तकनीक और निर्यात क्षमता
भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों की दीर्घकालीन मांग स्टील उपभोग को आगे बढ़ा रही है। POSCO की उन्नत तकनीक और JSW की निष्पादन-क्षमता मिलकर उच्च-ग्रेड, वैल्यू-ऐडेड स्टील का उत्पादन संभव बनाएंगी। इससे आयात-निर्भरता घटेगी, निर्यात-क्षमता बढ़ेगी और “मेक इन इंडिया/आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्यों को बल मिलेगा। यदि परियोजना विशेष-स्टील श्रेणियों पर ध्यान देती है तो PLI जैसी नीतियाँ भी लागत-अर्थशास्त्र और स्केल-अप में सहायक हो सकती हैं।
***
चुनौतियाँ
समझौता परिपक्वता के साथ आगे बढ़ती है तो इस विशाल औद्योगिक परियोजना में बड़े पैमाने पर रोजगार एवं स्वरोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है। भूमि-अधिग्रहण और पुनर्वास–पुनर्स्थापन (R&R) इस महत्वकांक्षी औद्योगिक परियोजना के सबसे संवेदनशील आयाम हो सकते हैं। पारदर्शी मुआवज़ा, समय पर भुगतान, और वैकल्पिक आजीविका योजनाएँ समुदाय-सहमति के लिए आवश्यक तत्व हो सकते हैं।
***
उत्पादन क्षमताएँ
जेएसडब्ल्यू स्टील, $23 बिलियन जेएसडब्ल्यू ग्रुप का प्रमुख व्यवसाय, भारत का प्रमुख एकीकृत स्टील उत्पादक है जिसकी समेकित क्षमता 35.7 एमटीपीए है, जिसमें यूएसए में 1.5 एमटीपीए शामिल है। कंपनी अगले तीन वर्षों में अपनी क्षमता को 43.4 एमटीपीए तक विस्तारित करने की राह पर है। पॉस्को की वार्षिक कच्चे स्टील उत्पादन क्षमता लगभग 42 मिलियन टन है। कोरिया में पोहांग और ग्वांगयांग में अपने एकीकृत स्टीलवर्क्स के साथ, पॉस्को दुनिया भर में एक मजबूत उत्पादन, प्रसंस्करण और बिक्री नेटवर्क संचालित करता है, जो विविध उद्योगों को उच्च-गुणवत्ता वाले स्टील उत्पाद प्रदान करता है।
भारत में, पोस्को वर्तमान में महाराष्ट्र में एक स्टील मिल संचालित करती है, जहाँ से मारुति सुज़ुकी इंडिया, ह्युंडई मोटर और किआ कॉर्प जैसी ऑटो कंपनियों के लिए कोल्ड-रोल्ड स्टील शीट्स बनती हैं।
(India CSR Hindi)
***