इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा
हाल में अधिसूचित कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियमों के मुताबिक अब कंपनियों को सीएसआर धन के माध्यम से जुटाई गई किसी पूंजीगत संपत्ति को परियोजना के लाभार्थियों, चैरिटेबल कंपनी या लोक प्राधिकारी को हस्तांतरित करना होगा।
अगर इस तरह का पूंजीगत व्यय सीएसआर व्यय के रूप में पहले किया गया है तो ऐसी संपत्तियों को अगले 6 महीने के भीतर स्थानांतरित करना होगा। यह अंतिम तिथि बोर्ड की मंजूरी के बाद अधिकतम 90 दिन बढ़ाई जा सकती है, जिसके लिए उचित कारण बताना होगा।
एसआर बाटलीबोई ऐंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर सुधीर सोनी ने कहा, ‘कंपनियों को पहले खर्च किए गए पूंजीगत व्यय की समीक्षा करने की जरूरत होगी। इसमें अचल संपत्ति या साझा में इस्तेमाल की गई संपत्ति को लेकर कुछ जटिलता हो सकती है। अगर इस तरह की संपत्तियां बही खाते में दिखाई गई हैं, इसके मूल्य को छोडऩे की जरूरत होगी।’
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सीएसआर गतिविधियों के प्रावधानों और परिचालन मॉडल में अहम बदलाव किए हैं, जो कंपनियों द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के मुताबिक किया जाता है।
नियम 7 में जोड़ा गया है कि ‘कंपनी द्वारा सीएसआर राशि को पूंजीगत संपत्ति के सृजन या अधिग्रहण पर खर्च किया जा सकता है, जो अधिनियम की धारा 8 के तहत स्थापित एक कंपनी, पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट या पंजीकृत सोसाइटी के अधीन होगा, जिसका लोक कल्याणकारी मकसद और सीएसआर पंजीकरण संख्या होगी। इस तरह की संपत्तियां उस सीएसआर परियोजना के लाभार्थियों के अधीन भी स्वयं सहायता समूह, इकाई या लोक प्राधिकरण के माध्यम से हो सकती है।’
शार्दूल अमरचंद मंगलदास एण्ड कंपनी के पार्टनर अरविंद शर्मा का कहना है कि अगर संशोधनों की व्याख्या की जाए तो इसका मतलब यह है कि पूंजीगत संपत्ति का मालिकाना कंपनी के पास हो सकता है और इस तरह की पूंजीगत संपत्ति के इस्तेमाल का अधिकार चिह्नित समूहों या लाभार्थियों को दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह सीएसआर के हिसाब से बेहतर मॉडल है और इससे बड़े समूह को लाभ मिल सकेगा और पूंजीगत संपत्ति कका सही इस्तेमाल कर ज्यादा लाभार्थियों के लिए इसका अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित हो सकेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों द्वारा कुछ प्रमुख पहलुओं पर विचार किया जा सकता है कि कैसे पूंजीगत संपत्ति के रखरखाव और अनधिकृत इस्तेमाल पर काबू पाया जाए। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर मधुसूदन कनकानी ने कहा, ‘इस धारा की तार्किक व्याख्या का मतलब है कि सिर्फ वह राशि, जिसे पूंजीगत व्यय में खर्च किया गया है और सीएसआर व्यय के रूप में इसका दावा किया गया है, उसे स्थानांतरित करने की जरूरत है। अगर कंपनी द्वारा किसी पूंजीगत संपत्ति का इस्तेमाल सीएसआर के लिए किया गया है, लेकिन उसे सीएसआर व्यय के रूप में दावा नहीं किया गया है तो ऐसी इकाइयों को स्थानांतरित करने की जरूरत नहीं होगी।’
कानून के जानकारों ने कहा कि नए नियमों की वजह से पहले अधिग्रहीत की गई संपत्तियों, जिन्हें अब स्थानांतरित करने की जरूरत होगी, के मामले में कंपनियों को वित्तीय रिपोर्टिंग के पहलुओं से भी देखने की जरूरत होगी, जिसमें फिक्स्ड असेट रजिस्टर में बदलाव, मूल्य में कमी के दावे के अलावा अन्य चीजें शामिल हैं। (बिजनेस स्टैंडर्ड के सौजन्य से)