सेंगोल का अर्थ
सेंगोल एक प्राचीन भारतीय वास्तुविज्ञान और संस्कृति का हिस्सा है, जिसका उपयोग अधिकार, धर्म और न्याय के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह एक प्रकार की छड़ी होती है जिसको प्राचीन समय में राजा या अधिकारी हस्तांतरण के समय उठाते थे। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र संस्कार माना जाता है, जिसके द्वारा अधिकार का सूचना किया जाता है।
सेंगोल एक सजावटी छड़ी है। इसे शासकों द्वारा औपचारिक अवसरों पर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। इसे तमिल में सेंगोल कहते हैं। इस शब्द का अर्थ है – धन से भरा हुआ। सेम्मई का अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। यह सेंगोल इन्ही तीन चीजो का प्रतीक माना गया है। साथ ही यह बहुत ही पवित्र माना जाता है।
सेंगोल की प्रक्रिया को चोल साम्राज्य से संबंधित माना जाता है। ऐसा कहा जाता है 8वीं से 13वीं सदी के मध्य में प्रमुखता प्राप्त करने वाला एक प्राचीन हिंदू साम्राज्य था। सेंगोल के मुहर पर नंदी की मूर्ति होती है, जो लॉर्ड शिव के परिवार के संकेत है।
नए संसद भवन में सेंगोल
सेंगोल एक प्राचीन भारतीय वास्तुविज्ञान और संस्कृति का हिस्सा है, जिसका उपयोग अधिकार, धर्म और न्याय के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह एक प्रकार की छड़ी होती है जिसको प्राचीन समय में राजा या अधिकारी हस्तांतरण के समय उठाते थे। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र संस्कार माना जाता है, जिसके द्वारा अधिकार का सूचना किया जाता है।
नवनिर्मित संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सेंगोल की स्थापना उनके द्वारा भारत के प्राचीन संस्कृति और धर्म के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह संसद भवन को भारत की प्राचीन संस्कृति और अधिकार संस्थाओं की अनुवादित इकाई के रूप में प्रस्तुत करता है।
प्रधानमंत्री ने इस नवनिर्मित संसद भवन को 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब बताया और यह विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देगा। यह भारत के आत्मनिर्भरता का साक्षी और विकसित भारत के निर्माण की ओर एक शानदार कदम है।
चर्चा में रहने का कारण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई 2023 के दिन नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ सेंगोल को स्थापित किया। उन्होंने दीया भी प्रज्वलित किया और सेंगोल को पुष्प अर्पित किए।
सेंगोल के बारे में प्रधानमंत्री का वक्तव्य
प्रधानमंत्री ने पवित्र सेंगोल की स्थापना का उल्लेख करते समय कहा – महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को सेवा कर्तव्य और राष्ट्र के पथ के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक बन गया। यह हमारा सौभाग्य है कि हम इस पवित्र सेंगोल की गरिमा को बहाल कर सके। जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा।
प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ इस प्रकार से है –
“आज इस ऐतिहासिक अवसर पर, कुछ देर पहले संसद की इस नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को, कर्तव्यपथ का, सेवापथ का, राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और आदीनम् के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदीनम् के संत आज सुबह संसद भवन में हमें आशीर्वाद देने उपस्थित हुए थे। मैं उन्हें पुन: श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। उनके ही मार्गदर्शन में लोकसभा में ये पवित्र सेंगोल स्थापित हुआ है। पिछले दिनों मीडिया में इसके इतिहास से जुड़ी बहुत सारी जानकारी उजागर हुई है। मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। लेकिन मैं मानता हूं, ये हमारा सौभाग्य है कि इस पवित्र सेंगोल को हम उसकी गरिमा लौटा सके हैं, उसकी मान-मर्यादा लौटा सके हैं। जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, ये सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा।”
स्त्रोतः Press Information Bureau (pib.gov.in)