नयी दिल्ली। सरकार ने कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की व्यवस्था से संबंधित विभिन्न नियमों में संशोधन किया है। इस संशोधन के अंतर्गत कंपनियों को बहु-वर्षीय परियोजनाएँ शुरू करने और कंपनी की ओर से सीएसआर कार्य करने वाली एजेंसियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
इसके साथ ही, कंपनियों को सीएसआर के अंतर्गत खर्च की गई अतिरिक्त राशि को आगे के तीन वित्तीय वर्षों में समायोजन करने की अनुमति दी गई है और उन्हें लाभार्थियों या एक सार्वजनिक प्राधिकरण या पंजीकृत ट्रस्ट के नाम पर सीएसआर के माध्यम से पूंजीगत संपत्ति बनाने या हासिल करने की अनुमति दी गई है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सीएसआर प्रावधानों के अनुपालन में चूक को संगठीन अपराध की व्याख्या से बाहर कर दिया गया। ऐसी चूक पर केवल जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह 50 लाख रुपये से कम के सीएसआर दायित्व वाली कंपनियों को सीएसआर कमिटी गठित करने से छूट दी गई है।
निगमित मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कुछ बड़ी श्रेणी की कंपनियों को अपने तीन साल के औसत वार्षिक शुद्ध मुनाफे में से कम से कम दो प्रतिशत की राशि को सीएसआर गतिविधियों के लिए खर्च करना आवश्यक है।
संशोधनों का उद्देश्य कारोबार करने में सहुलियत की स्थिति को बेहतर बनाना, सीएसआर प्रावधानों के अनुपालन नहीं होने की स्थिति को अपराध श्रेणी से बाहर करना और साथ-साथ सीएसआर ढांचे को अधिक पारदर्शी बनाना है।
भारत में सीएसआर के नियम 1अप्रैल, 2014 को लागू हुए। वर्ष 2014-15 में कंपनियों ने सीएसआर पर 10,066 करोड़ रुपये, जो 2018-19 में बढ़ कर 18,655 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस मद पर संचयी रुपये से खर्च 79,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व यानी सीएसआर का मतलब कंपनियों को यह बताना है कि उन्होंने अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन किन गतिविधियों में किया। इन गतिविधियों के बारे में सरकार फैसला लेती है।