NEW DELHI (India CSR): फरीदकोट के छोटे से गांव मानीसिंहवाला के किसान प्रदीप सिंह की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर (Strawberry farming) में हाथ आजमाया और केवल छह महीनों में ही लाखों रुपये कमाए। उनकी इस सफलता में उनकी पत्नी का भी बड़ा योगदान रहा। यह कहानी अन्य किसानों के लिए एक मिसाल है जो नए तरीकों से खेती कर अपनी आय बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
पारंपरिक खेती छोड़ नए तरीके अपनाए
पंजाब और हरियाणा के अधिकतर किसान गेहूं और धान की परंपरागत खेती पर निर्भर हैं, लेकिन प्रदीप सिंह ने इस धारणा को बदला। पढ़े-लिखे किसानों की तरह, उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर (Strawberry farming for profit) का रास्ता चुना। प्रदीप बताते हैं कि उन्हें खेती में कुछ नया करने का विचार आया और इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे से उच्च गुणवत्ता वाले स्ट्रॉबेरी पौधे मंगवाए। इन पौधों को उन्होंने अपने खेत के एक हिस्से में उगाना शुरू किया, और परिणामस्वरूप शानदार उत्पादन हुआ। यह (agricultural success with non-traditional crops) का एक बेहतरीन उदाहरण है।
पत्नी के साथ साझेदारी में खेती
प्रदीप सिंह के इस नए उद्यम में उनकी पत्नी कुलविंदर कौर का भी अहम योगदान रहा। कुलविंदर खेती के काम में बराबरी से हाथ बटाती हैं, (strawberry farming success) में उन्होंने हर कदम पर अपने पति का साथ दिया। प्रदीप बताते हैं, “मेरी पत्नी का साथ होने से हमारा काम आसान हो गया और हमने अधिक मुनाफा कमाया।” यह (rural employment) को बढ़ावा देने का भी एक बेहतरीन तरीका है, जहां महिलाओं को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
खर्च और मुनाफा: कैसे छह महीनों में कमाए 5 लाख रुपये
प्रदीप सिंह बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की फसल की देखभाल और मार्केटिंग में जो भी खर्च हुआ, उसे निकालने के बाद भी उन्हें 5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ। अन्य फसलों की तुलना में यह कहीं अधिक लाभकारी साबित हुआ। यह (earning profits through strawberry farming) का एक आदर्श उदाहरण है। उन्होंने अपने खेत में स्ट्रॉबेरी के साथ मिर्च और प्याज की भी खेती की, जिससे अतिरिक्त आय हो गई।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा: नई फसलें अपनाएं, मुनाफा बढ़ाएं
प्रदीप सिंह का मानना है कि पारंपरिक खेती में बदलाव लाना जरूरी है। वे अन्य किसानों को सलाह देते हैं कि वे भी मुनाफे वाली फसलों की जानकारी लें और अपनी खेती में बदलाव लाएं। उनका कहना है कि इस नए विचार के माध्यम से किसानों के बच्चे भी विदेश जाने के बजाय खेती में रुचि लेकर घर पर ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यह (best profitable crops in Punjab agriculture) के तहत आने वाले किसानों के लिए एक प्रेरणा हो सकती है।
ग्रामीण महिलाओं को रोजगार का अवसर
स्ट्रॉबेरी की खेती न केवल प्रदीप सिंह और उनकी पत्नी के लिए लाभकारी साबित हुई, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी रोजगार का साधन बनी। कुलविंदर कौर बताती हैं, “मैं बचपन से ही खेतों में रही हूं, इसलिए मुझे खेती में काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती। अब हमारे गांव की अन्य महिलाएं भी इस काम में जुड़कर आमदनी कमा रही हैं।” यह (women’s involvement in rural farming success) की एक सच्ची कहानी है।
भविष्य की योजनाएं
प्रदीप सिंह और कुलविंदर कौर ने अपनी इस सफलता से प्रेरित होकर आगे और अधिक नई फसलों पर काम करने की योजना बनाई है। वे अब और बेहतर तकनीकों और नए पौधों की खोज में लगे हैं, जिससे उनकी खेती और भी लाभकारी बने। उनका मानना है कि मेहनत और सही जानकारी से खेती में बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। यह (increasing income through modern farming techniques) के तहत सभी किसानों के लिए एक मार्गदर्शक हो सकता है।
यह कहानी अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा है जो कृषि में बदलाव लाकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारना चाहते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:-
1. स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने के लिए क्या आवश्यक है?
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी, और उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। पौधों को ठंडे वातावरण में उगाना बेहतर होता है।
2. स्ट्रॉबेरी की फसल में कितनी लागत आती है?
शुरूआत में स्ट्रॉबेरी की खेती में प्रति एकड़ लगभग 50,000 से 1 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है, जिसमें पौधे और सिंचाई शामिल हैं।
3. स्ट्रॉबेरी की खेती से कितनी कमाई हो सकती है?
सही देखभाल और बाजार में बिक्री के आधार पर एक किसान 6 महीने में 4 से 5 लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है।
4. स्ट्रॉबेरी के पौधे कहां से खरीद सकते हैं?
उच्च गुणवत्ता वाले स्ट्रॉबेरी पौधे महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश या अन्य कृषि अनुसंधान केंद्रों से खरीदे जा सकते हैं।
5. क्या स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए विशेष ज्ञान की आवश्यकता है?
हां, स्ट्रॉबेरी की खेती में पौधों की देखभाल, सही सिंचाई, और कीट प्रबंधन का ज्ञान होना जरूरी है। नए किसान किसी विशेषज्ञ से मार्गदर्शन ले सकते हैं।
(India CSR)