रायपुर। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के सहयोग से दृष्टिहीन और श्रवणबाधित युवाओं के लिए छत्तीसगढ़ राज्य का पहला कौशल प्रशिक्षण केंद्र कोरबा में प्रारंभ किया गया। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर 3 दिसंबर को इसे जनता को समर्पित किया गया।
‘वेदांता कॉलेज एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर फॉर डेफ एंड ब्लाइंड’ इनरव्हील एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित की जाएगी। यहां पर दिव्यांगजन ब्यूटीशियन, हॉस्पिटैलिटी, कंप्यूटर और सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वावलंबी बन सकेंगे।
कोरबा के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह मीणा ने कहा कि केंद्र की मदद से दिव्यांग कौशल अर्जित कर अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। प्रशिक्षित दिव्यांग युवा दूसरे दिव्यांगों को भी प्रेरित कर सकेंगे। दिव्यांगों का आह्वान किया कि वे इस सुविधा का भरपूर लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि सोसाइटी की मेहनत से दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जुड़ने में मदद मिल रही है और समाज की प्रतिस्पर्धा के बीच वे कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के प्रति हमें अपना नजरिया व्यापक और समावेशी बनाने की जरूरत है। अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफेन हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिकों का उदाहरण देते हुए कहा कि न सिर्फ समाज बल्कि पूरी दुनिया को दिशा देने का काम अनेक दिव्यांगों ने किया है।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने कहा कि बालको की मदद से इनरव्हील एजुकेशन सोसाइटी दिव्यांगों के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही है। ऐसे कार्यों के लिए सकारात्मक मानसिकता की आवश्यकता है। तकनीक और संसाधनों की मदद से दिव्यांगों को ऐसे अवसर उपलब्ध कराएं जिससे वे दूसरों पर निर्भर न रहें। हम सब मिलकर ‘वेदांता कॉलेज एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर फॉर डेफ एंड ब्लाइंड’ को श्रेष्ठ प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर विकसित करें।
इस केंद्र में देखने, बोलने और सुनने में अक्षम तथा मानसिक निःशक्त बच्चों के लिए फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी तथा बिहैवियर थैरेपी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वेदांता थैरेपी एंड रिहैब्लिटेशन सेंटर पूर्णतः गैर लाभकारी उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है। बालको ने दिव्य ज्योति छात्रावास परिसर में 50 बच्चों के रहने के लिए वर्ष 2007-08 में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया। स्कूल में अध्ययनरत मूक-बधिर और दृष्टिहीन विद्यार्थियों को उनके स्कूल तक पहुंचाने और वहां से वापस लाने के लिए वाहन संचालन की व्यवस्था भी बालको की ओर से की गई है।