बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी उत्तराखंड के जमीन कानूनों के उल्लंघन के आरोपों में घिर गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाजपेयी ने 2021 में लमगड़ा क्षेत्र में 15 नाली (करीब 3,600 वर्ग गज) जमीन योग और मेडिटेशन सेंटर के नाम पर खरीदी थी, लेकिन यह जमीन अब तक खाली पड़ी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जमीन घोटालों पर नकेल कसने के लिए व्यापक जांच अभियान शुरू किया है। इसमें 23 मामलों की जांच की जा रही है, जिसमें कई नेता, नौकरशाह और अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल हैं।
रानीखेत में अवैध जमीन खरीद पर कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, रानीखेत तहसील में 50 नाली जमीन के अवैध अधिग्रहण के पांच मामलों में कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अल्मोड़ा जिले के प्लेजेंट वैली और कटारमल क्षेत्र में भी प्रशासनिक जांच में अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
प्रशासन ने इन मामलों पर गंभीरता से ध्यान दिया है और जांच प्रक्रिया जारी है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “11 मामले अदालत में हैं और 10 की जांच चल रही है।”
मनोज बाजपेयी के खिलाफ जांच
मनोज बाजपेयी का जमीन खरीद मामला विवाद का केंद्र है। 2021 में लमगड़ा तहसील के कपकोट गांव में खरीदी गई जमीन राज्य के 1.25 नाली के कानूनी सीमा से अधिक है। यह जमीन वेलनेस सेंटर के लिए खरीदी गई थी, लेकिन कोई विकास कार्य नहीं हुआ, जिससे misuse के संदेह गहराए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जमीन अधिग्रहण कानूनों में खामियां धनाढ्य लोगों के लिए गलत इस्तेमाल का मौका बन जाती हैं।”
उत्तराखंड के जमीन कानून: एक इतिहास
उत्तराखंड के जमीन कानूनों का उद्देश्य राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और जमीन के समान वितरण को सुनिश्चित करना है। लेकिन कमजोर क्रियान्वयन के कारण, अमीर व्यक्तियों, राजनेताओं और नौकरशाहों ने इन कानूनों का फायदा उठाया है।
राज्य सरकार बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीद को रोकने पर जोर दे रही है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और समुदाय प्रभावित होते हैं।
धामी सरकार का कानून सख्त करने का प्रयास
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बजट सत्र में कड़े जमीन कानून लाने का संकल्प लिया है। गैंरिसेन स्थित भराड़ीसैंन विधानसभा भवन में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने मजबूत कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीएम ने कहा, “कड़े नियम राज्य की जमीन को उसके हकदार निवासियों के लिए संरक्षित करेंगे।” प्रस्तावित ढांचा विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करेगा।
भविष्य की योजनाएं: जमीन स्वामित्व पर सख्ती
मौजूदा कानून के तहत, एक व्यक्ति 1.25 नाली से अधिक जमीन नहीं खरीद सकता। लेकिन हाल के मामले बताते हैं कि इन सीमाओं का अक्सर उल्लंघन होता है। रानीखेत एसडीएम राहुल आनंद ने पुष्टि की कि जांच जारी है। उन्होंने कहा, “सभी साक्ष्य एकत्र करने के बाद कार्रवाई की जाएगी।”
सरकार जमीन लेन-देन की पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय तलाश रही है। प्रस्तावित कदमों में उल्लंघन के लिए कड़े जुर्माने, मॉनिटरिंग सिस्टम और लेन-देन की गहन जांच शामिल हैं।
निष्कर्ष: कानूनों में सख्ती की दिशा में अहम कदम
जारी जांच उत्तराखंड के जमीन कानूनों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत देती है। हाई-प्रोफाइल मामलों पर कार्रवाई और कड़े कानून लाकर, धामी सरकार राज्य के संसाधनों की सुरक्षा और समान विकास सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।
इन मामलों का परिणाम, विशेष रूप से मनोज बाजपेयी का मामला, राज्य में जमीन प्रशासन के लिए मिसाल बनेगा। ये प्रयास राज्य की धरोहर को संरक्षित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।