बीते दिनों में शहरों में कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े हैं जिसके कारण वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद तनाव भरे पलों से गुजरी है। संक्रमण के मामले इस तेज़ गति से बढ़े हैं कि देश के सबसे बड़े शहरों में शुमार राजधानी नई दिल्ली जैसी जगहों पर अस्तपालों में मरीज़ों की संख्या अचानक बढ़ी है और मेडिकल ऑक्सीजन की कमी और अस्पतालों में बेड की कमी जैसी समस्याएं सामने आई है।
अब कोरोना वायरस तेज़ी से गांवों में भी पैर पसार रहा है जहां शहरों की अपेक्षा स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पहले से ही नाजुक है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है। स्थिति इसलिए भी चिंताजनक हो जाती है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कोरोना की परीक्षण दर कम है और दूसरा स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों अधिक मजबूत नहीं है। इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो ग्रामीण भारत की मदद के लिए कई हाथ सामने आए हैं।
एस एम सहगल फाउंडेशन (सहगल फाउंडेशन) ग्रामीणों भारत में समुदाय आधारित विकास मॉडलों के माध्यम से उनके जीवन में सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिवर्तन लाने में निरंतर कार्यरत है । इस महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में सहगल फाउंडेशन अपने सहयोगियों (पार्टनर्स) जैसे मोज़ेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुरुकृपा फाउंडेशन- अमेरिका, इंडिया एसोसिएशन ऑफ मिनेसोटा-अमेरिका और व्यक्तिगत दानदाताओं के सहयोग से कोविड 19 राहत सामग्री को भारत के नौ राज्यों में जहां संस्था कार्यरत है वहां पंहुचाने कार्य कर रही है।
सभी सहयोगियों और व्यक्तिगत दानदाताओं और डॉ. सूरी और श्रीमती एडा सहगल, सह-संस्थापक, एस एम सहगल फाउंडेशन भारत और सहगल फाउंडेशन, अमेरिका, द्वारा दिए गए स्व योगदान को जोड़कर 400,000 डॉलर की अनुदान राशि एकत्र हुई जो कई लोगों की जान बचाने में काम आएगी।
कोविड-19 राहत के तहत पीपीई किट, दस्ताने, सैनिटाइज़र, मास्क और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सहगल फाउंडेशन की स्थानीय टीमें जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सौप रही हैं ताकि स्थानीय निवासियों व महामारी में कार्यरत चिकित्सकों और कर्मचारियों की जिंदगी बचाने में मदद मिल सके। अभी तक मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के नूंह जिले में राहत सामग्री पहुंच गई है और अन्य राज्यों में भी राहत सामग्री पहुँचाने का काम लगातार जारी है।
“हरियाणा के नूंह जिले के उपायुक्त श्री धीरेंद्र खड़गटा सहगल फाउंडेशन और मोजेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का मदद करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुशिकल समय में यह राहत सामग्री अस्पतालों और मरीजों के लिए मददगार साबित होगी।’
सहगल फाउंडेशन की मुख्य परिचालन अधिकारी अंजली मखीजा ने कहा कि “महामारी से निपटने के लिए यह एक सामूहिक प्रयास है, हम सभी पार्टनर्स, सहयोगियों और प्रशासन के आभारी हैं जिनके सहयोग से हम ग्रामीण भारत की विषम परिस्थितियों को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।’’
हाल ही में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट (टाइम्स आफ इंडिया में प्रकाशित) के अनुसार हरियाणा के जिला नूंह में 64 प्रतिशत कोविड पॉजिटिव दर का संकेत दिया है । टीकाकरण की दर 1% से भी कम है । स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, स्थानीय मीडिया और सामुदायिक रेडियो के माध्यम से समुदायों को कोरोना महामारी से बचाव व टीकाकरण के लिए लगातार जागरुक किया जा रहा है । सामुदायिक रेडियो समाज को सशक्त बनाने का काम कर रहे हैं और आपदाओं के वक्त सूचनाओं को तेजी से पहुंचाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
हरियाणा के नूंह जिले में हाशिए पर खड़े समुदायों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने और सामुदायिक गतिविधियों में हर स्तर पर उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नूंह ब्लॉक के गाँव घाघस में सहगल फाउंडेशन द्वारा “अल्फाज़-ए-मेवात” सामुदायिक रेडियो वर्ष 2012 में स्थापित किया गया है जो पिछले 9 वर्षों से अनवरत जारी है। रेडियो कोरोना वायरस जैसी विश्वव्यापी महामारी के दौरान भी समुदाय को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी से जुड़े अन्धविश्वास और भ्रम के प्रति लोगों को प्रशासन के साथ मिलकर जागरूक कर रहा था और यह प्रयास आज दूसरी लहर में भी जारी है।
इस दूसरी लहर के प्रति समुदाय को जागरूक करने के लिए स्टेशन जिला अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ वायरस के प्रकार, लक्षण, टीकाकरण के महत्व और डबल मास्किंग पर बात कर रहा है। स्टेशन द्वारा टीकाकरण के लिए दूसरों को प्रेरित करने के लिए ‘वैक्सीन हीरो’ नामक एक नया अभियान शुरू किया गया है। डॉ. बसंत दुबे, जिला टीकाकरण अधिकारी, नूंह नियमित रूप रेडियो स्टेशन पर लाइव कार्यक्रम और फ़ोन के माध्यम से जुड़कर समुदाय के कोरोना से जुड़े सवालों को संबोधित करते हैं । गांव बीबीपुर से अल्फ़ाज़-ए-मेवात के नियमित श्रोता रामबीर ने बताया कि गाँव में लगभग 500 घर हैं जिसमे से केवल 1-2 प्रतिशत लोगों ने टीका लगाया है। लोगों को अभी भी टीकों के बारे में काफी भ्रम और अन्धविश्वास हैं, जिसको स्वास्थ्य कर्मियों और स्टेशन द्वारा लगातार संबोधित किया जा रहा है।
गांवों में कई सामाजिक संगठन प्रशासन के साथ मिलकर अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को राहत सामग्री देने में सहायता कर रहें ताकि जिन्दगियों को बचाने में मदद हो सके।