सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला, शिक्षकों को विज्ञान प्रयोगशाला में किया जाएगा समायोजन
छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 2621 बर्खास्त B.Ed डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को दोबारा नौकरी पर रखने का फैसला किया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय 30 अप्रैल 2025 को नवा रायपुर के महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की। इस फैसले से उन शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है, जो पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत थे। सरकार ने इन शिक्षकों को सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया है, जिससे न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित होगी, बल्कि छत्तीसगढ़ के स्कूलों में विज्ञान शिक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
शिक्षकों की लंबी लड़ाई और संघर्ष
इन सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पिछली सरकार के कार्यकाल में स्कूल शिक्षा विभाग के तहत सीधी भर्ती 2023 के माध्यम से हुई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्राइमरी स्तर पर शिक्षण के लिए D.Ed डिग्री को अनिवार्य घोषित किया, जिसके कारण B.Ed डिग्रीधारी इन शिक्षकों को दिसंबर 2024 में बर्खास्त कर दिया गया। इस फैसले के बाद शिक्षकों ने नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर 126 दिनों तक आंदोलन किया। इस दौरान उन्होंने सामूहिक सिर मुंडवाने, अंगारों पर चलने, रैलियां निकालने, और यहां तक कि नग्न प्रदर्शन जैसे कठोर कदम उठाए। कुछ शिक्षकों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था।
18 अप्रैल 2025 को शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिला और अपनी समस्याएं उनके सामने रखीं। मुख्यमंत्री ने उनकी बातों को गंभीरता से सुना और जल्द ही सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद शिक्षकों ने अपना भूख हड़ताल और आंदोलन सशर्त स्थगित कर दिया। अब, सरकार के इस ताजा फैसले ने उनकी उम्मीदों को हकीकत में बदल दिया है।
सरकार का नरम रुख और समायोजन की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस फैसले को शिक्षकों के साथ न्याय के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “हमारी सुशासन की सरकार ने 2621 B.Ed डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों के साथ न्याय किया है। इन सभी को सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया है।” सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग को इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए अधिकृत किया है।
राज्य में सहायक शिक्षक (विज्ञान) के कुल 4422 पद रिक्त हैं, जिनमें से 2621 शिक्षकों को समायोजित किया जाएगा। शेष 355 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त पद सृजित किए जाएंगे। समायोजन की प्रक्रिया में प्राथमिकता अनुसूचित क्षेत्रों के जिलों को दी जाएगी, इसके बाद सीमावर्ती जिलों और फिर अन्य जिलों को। यह सुनिश्चित करेगा कि दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार हो।
प्रशिक्षण और योग्यता के लिए विशेष व्यवस्था
समायोजित शिक्षकों को विज्ञान प्रयोगशाला में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए दो महीने का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जो राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के माध्यम से आयोजित होगा। इसके अलावा, उन सहायक शिक्षकों को, जो 12वीं कक्षा कला या विज्ञान संकाय से उत्तीर्ण हैं और वर्तमान योग्यता मानदंडों को पूरा नहीं करते, तीन वर्ष का समय दिया जाएगा ताकि वे आवश्यक योग्यता प्राप्त कर सकें। यह कदम शिक्षकों को दीर्घकालिक नौकरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए उठाया गया है।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया और राहत
बर्खास्त शिक्षकों ने इस फैसले का हार्दिक स्वागत किया है और सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। एक शिक्षक ने कहा, “हमने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें रखीं और हमें पूरा विश्वास था कि भाजपा सरकार हमारी समस्याओं का समाधान करेगी। यह फैसला हमारे लिए नई उम्मीद लेकर आया है।” शिक्षकों का कहना है कि इस निर्णय से न केवल उनके परिवारों को आर्थिक स्थिरता मिलेगी, बल्कि वे फिर से समर्पित भाव से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे सकेंगे।
सरकार का दृष्टिकोण और शिक्षा पर प्रभाव
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस फैसले को शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “इन शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति से स्कूलों में विज्ञान शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही, रिक्त पदों को भरने से शिक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।” यह कदम छत्तीसगढ़ सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें वह शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है और शिक्षकों के कल्याण के लिए काम कर रही है।
अन्य हितधारकों का समर्थन
रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन शिक्षकों को प्रयोगशाला सहायक या शारीरिक शिक्षा शिक्षक जैसे समकक्ष पदों पर पुनर्नियुक्ति देने की मांग की थी। अग्रवाल ने कहा, “यह फैसला शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए राहत की खबर है, खासकर उन लोगों के लिए जो मध्यम वर्ग या गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों से हैं।” वैशाली नगर के विधायक रिकेश सेन ने भी इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त किया।
भविष्य की संभावनाएं
यह फैसला न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक कदम है। रिक्त पदों को भरने और अनुभवी शिक्षकों को वापस लाने से स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही, यह सरकार की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें वह तकनीकी बाधाओं को दूर करके योग्य उम्मीदवारों को अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।