रायपुर (छत्तीसगढ़) इंडिया सीएसआर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती परीक्षा में धांधली (पीएससी घोटाला) के आरोपों ने राज्य के युवाओं में भारी आक्रोश और निराशा पैदा कर दी है। ऐसी अनिमितताएँ न केवल सरकारी क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ साबित होती हैं, बल्कि यह सरकार और संस्थानों में उनके विश्वास को भी कमजोर करता है।
फिलहाल, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती परीक्षा एवं प्रक्रिया में धांधली की जाँच तेज हो गई है। 7 फरवरी 2024 को इस मामले को विधानसभा में बड़े जोरशोर से उठाया गया।
किन पर हुई है कार्रवाईयाँ
पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, सचिव – जीवन किशोर ध्रुव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक – आरती वासनिक सहित पीएससी से जुड़े कुछ अन्य अफसरों के अलावा राजनीति से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। सरकार का कहना है कि घटना की जाँच को इससे तेज करने में मदद मिलेगी।
सीबीआई को ट्रांसफर होगा मामला
भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने पहले ही इस अनिमितता की सीबीआई जाँच की घोषणा की है। सीबीआई जाँच के लिए किसी भी जाँच एजेंसी में एफआईआर दर्ज होना आवश्यक रहता है। उसी को आधार मानकर आगे की जाँच प्रारंभ की जाती है। इसी कड़ी में राज्य की ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने मामला दर्ज किया है।
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सोशल मीडिया संदेश: न्याय की गारंटी
विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है कि कोई भी अपराधी किसी भी हाल में नहीं बचेगा। उन्होंने विशेष रूप से सीजीपीएससी महाघोटाले के संदर्भ में, जहाँ ईओडब्ल्यू ने पूर्व अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, अपने संदेश में कहा है। साय ने उन सभी युवाओं को आश्वासन दिया है जिन्होंने इस घोटाले में अपना भविष्य दांव पर लगाया है, कि उनके साथ हुए अन्याय का पूरा हिसाब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने इन युवाओं की प्रतिभा का सौदा किया है, उन्हें उनके अंजाम तक पहुँचाया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी अपराधी बच नहीं पाएगा।

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इस मामले का महत्व
- यह मामला छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य की भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाता है।
- यह मामला देश भर के युवाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भर्ती परीक्षाओं में धांधली के मुद्दे को उजागर करता है।
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भाजपा ने बनाया था चुनावी मुद्दा
विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेशवासियों से पीएससी घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराने का वादा किया था।
छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन (CGPSC) सीजीपीएसी में तथाकथित अनिमितताएँ कांग्रेस के नेतृत्ववाली भूपेश बघेल सरकार के समय सामने आई थीं। यह घटना छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लगभग एक वर्ष पहले प्रकाश में आई। इस विषय को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जनता के समक्ष बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया। इस घटना को बड़े घोटाले का नाम दिया गया। भाजपा के सभी बड़े नेताओं द्वारा मीडिया के द्वारा इसे प्रचारित-प्रसारित किया गया।
भाजपा के प्रतिनिधिगण कहने लगे थे कि यदि भाजपा की सरकार आई तो वह घटना की विस्तार से जाँच कराएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करेगी। माना जा रहा है कि चुनाव पूर्व जनता से किए गए PSC घोटाले की जांच के वादे को पूरा करते हुए सरकार ने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं। राज्य सरकार की जाँच एजेंसियों ने मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी हैं।
ताजा घटना क्रम क्या है
फरवरी 2024
ताजा घटनाक्रम के अंतर्गत, राज्य की दो प्रमुख जांच एजेंसियाँ – ईओडब्ल्यू एवं एसीबी ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) भर्ती में हुई गड़बड़ी में बुधवार 7 फरवरी 2024 को एफआईआर दर्ज किए हैं। इसमें पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक के साथ ही अफसरों और कांग्रेसी नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इन सभी के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र करने, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का जुर्म दर्ज किया है।
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ईओडब्ल्यू एवं एसीबी किस तरह की संस्थाएँ हैं
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली दो महत्वपूर्ण एजेंसियां हैं।
ईओडब्ल्यू: यह छत्तीसगढ़ पुलिस का एक विशेष विभाग है। यह आर्थिक अपराधों जैसे धोखाधड़ी, जालसाजी, मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार आदि की जांच करता है। यह विभाग राज्य के सभी जिलों में मौजूद है।
एसीबी: यह छत्तीसगढ़ सरकार का एक स्वतंत्र विभाग है। यह सरकारी अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच करता है। यह विभाग राज्य के सभी जिलों में मौजूद है।
दोनों एजेंसियों के मुख्य कार्यों में – भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना, भ्रष्टाचार के आरोपी लोगों को गिरफ्तार करना, भ्रष्टाचार के मामलों में अदालत में मुकदमा चलाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाना शामिल हैं।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा में पीएससी घोटाले की गूंज: 48 शिकायतों का दावा
6 फरवरी 2024
6 फरवरी 2024 को विधानसभा में इस मामले को उठाते हुए, भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा में लिखित जवाब में उल्लेख किया कि वर्ष 2021 से नवंबर 2023 तक इस प्रकार की 48 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं, पुत्र-पुत्री एवं रिश्तेदारों की फर्जी भर्ती, और परिणामों में अनियमितताएं शामिल हैं। विशेष रूप से, 2019 में आयोजित सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर नौ शिकायतें मिलीं। इन शिकायतों के आधार पर सीबीआई जांच का निर्णय लिया गया है।
कांग्रेस शासन के दौरान छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) के खिलाफ पिछले लगभग दो वर्षों में 48 शिकायतें दर्ज की गई हैं। ये शिकायतें उच्चतम स्तर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य गृहमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंची हैं।
इन शिकायतों में अधिकतर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के पास दर्ज की गई हैं। शिकायतों का सार नौकरी के लिए रिश्तेदारों की अनुचित भर्ती, परीक्षा में अनियमितताएं, भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा, परिणाम में गड़बड़ी, और पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से संबंधित है।
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स्थानीय नेता ननकी राम कंवर ने क्या आरोप लगाए
ननकी राम कंवर, भाजपा के वरिष्ठ नेता, रामपुर विधायक और पूर्व गृहमंत्री, ने छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग (CGPSC) की 2021-22 भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों के चयन जाने को लेकर आरोप लगाए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इन नियुक्तियाँ पिछले दरवाजे से की गई हैं और इन्हें रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने यह भी मांग की थी कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की जाए।
दायर याचिका में पीएससी द्वारा भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए ननकी राम कंवर ने 18 चयनित उम्मीदवारों की सूची भी कोर्ट के समक्ष पेश की थी जिसमें पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के आधा दर्जन के करीब रिश्तेदार डिप्टी कलेक्टर सहित अन्य पदों पर चयनित हुए हैं।
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घोटाले के संबंध में मुख्य आरोप क्या हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन (CGPSC) में अनियमिताएँ सामने आईं हैं उनके अनुसार से पूरा मामला धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है।
छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन (CGPSC) पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए हैंः
- परीक्षा प्रश्नपत्र लीक: आरोप लगाया गया कि परीक्षा प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले कुछ लोगों को लीक कर दिए गए थे।
- अनुचित लाभ: कुछ उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर किए जाने का आरोप लगाया गया था।
- भाई-भतीजावाद: आरोप लगाया गया कि आयोग ने कुछ प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को अनुचित तरीके से चयनित किया था।
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आरोप: PSC चेयरमैन द्वारा निकट संबंधियों की प्रमुख पदों पर नियुक्ति
छत्तीसगढ़ हाई कोट में प्रस्तुत की गई एक याचिका में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) के चेयरमैन, टामन सिंह सोनवानी पर उनके करीबी पाँच व्यक्तियों की उच्च पदों पर नियुक्ति का आरोप है। इस याचिका में सोनवानी के परिवार के सदस्यों और उनके निकट संबंधियों के बच्चों को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे उच्च और प्रभावशाली पदों पर चुने जाने की जानकारी दी गई है।
इसके अलावा, रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चों को भी आबकारी और श्रम विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में उच्च पदों पर नियुक्ति दी गई है।
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धांधली का राजनीतिक एवं समाजिक प्रभाव
- राजनीतिक उथल-पुथल: अनियमितता ने राज्य में भारी राजनीतिक उथल-पुथल देखी जा रही है।
- लोगों में आक्रोश: लोगों में भ्रष्टाचार के इस काले अध्याय को लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
- नौकरी चाहने वालों में निराशा: नौकरी चाहने वाले युवाओं में भारी निराशा है, जिन्होंने मेहनत करके परीक्षा पास की थी।
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घटनाक्रम की तिथिवार जानकारी
भर्ती परीक्षा का नोटिफिकेशन – अधिसूचना
वर्ष 2021
वर्ष 2021 में CGPSC ने 171 पदों के लिए भर्ती परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया था।
प्रारंभिक परीक्षा
13 फरवरी 2022
प्रीलिमिनरी परीक्षा 13 फरवरी 2022 को आयोजित की गई, जिसमें 2,565 अभ्यर्थी सफल हुए।
मुख्य (मेंस) परीक्षा
मई 2022
इसके बाद मेंस परीक्षा 26, 27, 28, और 29 मई 2022 को कराई गई, जिसमें 509 अभ्यर्थी पास हुए।
साक्षात्कार एवं अंतिम परिणाम
मई 2022
इन सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और 11 मई 2023 को परीक्षा का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें 170 अभ्यर्थियों का चयन किया गया।
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हाई में जनहित चायिका पर सुनवाई
20 सितंबर 2023
छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग पर वर्ष 2021-22 भर्ती में हुई गड़बड़ी काे लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को लगातार दूसरे दिन छत्तीसगढ़ हाई कोट बिलासपुर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच ने विषय की सुनवाई करते हुए चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। जिन उम्मीदवारों ने ज्वाइनिंग दे दी थी उनकी नियुक्ति हाई कोर्ट के फैसले से बाधित हुई।
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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) – सीजीपीएससी क्या है
परिचय
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) या छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन (CGPSC), छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों के अति महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती के लिए जिम्मेदार एक संवैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना 1 नवंबर 2000 को हुई थी। इसके अंतर्गत, राज्य सरकार के प्रशासनिक पदों के लिए भी भर्ती की जाती है, जिसमें DSP, डिस्ट्रिक्ट एक्साइज ऑफिसर, ट्रांसपोर्ट सब-इंस्पेक्टर, एक्साइज सब-इंस्पेक्टर जैसे पद शामिल हैं।
सीजीपीएससी राज्य में योग्य और कुशल उम्मीदवारों को सरकारी पदों पर भर्ती करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीजीपीएससी राज्य सरकार को विभिन्न सेवा मामलों पर सलाह भी देता है।
चर्चा में रहने का कारण
हाल ही में, CGPSC द्वारा आयोजित एक भर्ती परीक्षा में अनियमितता का आरोप लगा है, जिसमें परीक्षा में धांधली और 18 अभ्यर्थियों के सिलेक्शन पर सवाल उठाए गए हैं।
कार्य
- भर्ती परीक्षा आयोजित करना: सीजीपीएससी राज्य सेवा परीक्षा, सिविल सेवा परीक्षा, पुलिस सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा और अन्य विभिन्न सरकारी पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करता है।
- चयन प्रक्रिया: सीजीपीएससी परीक्षाओं के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करता है।
- अनुशंसा करना: सीजीपीएससी चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा करता है।
- अन्य कार्य: सीजीपीएससी राज्य सरकार को विभिन्न सेवा मामलों पर सलाह भी देता है।
संरचना
- अध्यक्ष: सीजीपीएससी में एक अध्यक्ष और सदस्य होते हैं।
- सदस्य: सदस्यों की संख्या आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है।
- सचिवालय: सीजीपीएससी का अपना सचिवालय होता है जो आयोग के कार्यों में सहायता करता है।
योग्यता
- अध्यक्ष और सदस्य: अध्यक्ष और सदस्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी होने चाहिए।
- सचिव: सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना चाहिए।
कार्यकाल
- अध्यक्ष और सदस्य: अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
- सचिव: सचिव का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
क्यों हो रही आलोचना
सीजीपीएससी पर भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। सीजीपीएससी परीक्षाओं में धांधली के भी आरोप लगते रहे हैं। इन कारणों से इस प्राशसनिक संस्था के कार्यकलापों की आलोचना हो रही है।
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छत्तीसगढ़ पीएससी में हुई धांधली के बारे में तात्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था
30 दिसंबर 2023 को छत्तीसगढ़ जनसम्पर्क विभाग ने तब के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से छत्तीसगढ़ पीएससी में हुई धांधली के बारे में इस तरह जानकारी दी थीः
सरकार की ओर से जारी की गई यथावत जानकारी निम्न प्रकार से है
यदि कहीं कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच करेंगे और दोषी कोई भी होगा तो कार्रवाई होगी : मुख्यमंत्री श्री बघेल
- छत्तीसगढ़ सरकार युवाओं के साथ, कोई भी उनकी मेहनत पर पानी नहीं फेर सकता : मुख्यमंत्री
- मुख्यमंत्री ने युवाओं से की अपील, किसी भी तरह के बहकावे में ना आए, अपनी तैयारी मेहनत और लगन से करते रहे
रायपुर, 30 सितंबर 2023 । छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) को लेकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि पीएससी की परीक्षा देने वाले किसी भी एक अभ्यर्थी ने अब तक शिकायत नहीं की है। यदि किसी तरह की कोई भी शिकायत आती है या किसी अभ्यर्थी द्वारा एक भी शिकायत की जाती है तो हम हर शिकायत की गंभीरता से जांच करेंगे। किसी का अधिकार छीनने का किसी को भी हक नहीं है। जब आप योग्य हैं, आप परीक्षा दे रहे हैं, आप पात्रता रखते हैं तो उसका लाभ आपको निश्चित रूप से मिलना चाहिए। यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी जाँच करेंगे और यदि कोई दोषी है तो उस पर जरूर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ हूँ।
उन्होंने युवा साथियों से अपील करते हुए कहा कि युवा साथी किसी भी तरह के बहकावे में ना आए, अपनी तैयारी मेहनत और लगन से करते रहे। पीएससी की परीक्षा के रिजल्ट आए कई दिन हो गए हैं, अब तक किसी भी अभ्यर्थी द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी अधिकारी का पुत्र-पुत्री होने में कोई दोष नहीं है, परीक्षा में सारे अभ्यर्थी समान रूप से शामिल होते हैं और उसी तर्ज पर सफलता पाते हैं। लेकिन यदि इसका अनुचित लाभ उठाया जाता है तो यह गलत है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों द्वारा तरह-तरह के अभ्यावेदन/शिकायत दिए जाते हैं जैसे कि शैक्षणिक अर्हता आयु मे छूट, आरक्षण रोस्टर, लिंग/जन्मतिथि परिवर्तन आवेदनों को भरने में विभिन्न प्रकार की त्रुटि, अनुक्रमांक, केन्द्र, परीक्षा की तिथि आगे-पीछे करने आदि प्राप्त सभी अभ्यावेदनों/शिकायतों पर आयोग द्वारा तत्काल संज्ञान में लिया जाकर निराकरण किया जाता है तथा अभ्यावेदनों/शिकायतों पर आवश्यक कार्यवाही निर्धारित समय में की जाती है जिससे कि अभ्यर्थियों को इसका लाभ प्राप्त हो सके।
वर्ष भर परीक्षाओं को निर्बाध रूप से संपन्न कराने की कार्यवाही लगातार करते रहने एवं अभ्यर्थियों के आवेदनों को समय पर निराकरण करने में आयोग द्वारा पूर्ण पारदर्शिता बरती जाती है। इसके उपरांत अभ्यर्थियों एवं कतिपय लोगों के द्वारा भ्रामक जानकारी देकर आयोग को आक्षेप लगाया गया है कि ये परीक्षा में बैठे हैं, साक्षात्कार में भी उपस्थित हुए हैं, परन्तु उनके उत्तीर्ण होने की घोषणा में दूसरे का नाम जारी कर दिया गया है। उक्त प्रकरण की जांच करने पर शिकायत तथ्यहीन व निराधार पायी गई तथा संबंधित अभ्यर्थी के विरूद्ध आयोग द्वारा एफ.आई.आर दर्ज कराया गया।
इसी प्रकार एक अन्य अभ्यर्थी के द्वारा अधिक अंक प्राप्त होने के उपरांत भी साक्षात्कार में नहीं बुलाने संबंधी अभ्यावेदन/शिकायत आयोग कार्यालय को प्राप्त हुआ था, प्राप्त अभ्यावेदन/शिकायत का परीक्षण करने पर अभ्यावेदन/शिकायत गलत पाया गया। अभ्यर्थी को आयोग के परीक्षा संबंधी समस्त नियमों के अनुरूप अनर्ह किया गया है और इस बाबत अभ्यर्थी को सूचित भी किया गया है।
आयोग को पिछले एक वर्ष में विभिन्न अभ्यावेदकों से लगभग कुल 95 अभ्यावेदन/शिकायत प्राप्त हुए, जिनमें से 76 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है तथा शेष 19 प्रकरणों पर प्रक्रिया चल रही है। इस प्रकार कोई भी अभ्यावेदन/शिकायत आयोग में शेष नहीं है। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट हो रहा है कि आयोग प्राप्त अभ्यावेदनो/शिकायतों पर विचार कर की गई कार्यवाही से अभ्यावेदकों को अवगत कराता है।
अभ्यर्थी अधिकृत ई-मेल पर कर सकते हैं शिकायत
यदि किसी भी अभ्यर्थी को आयोग में अभ्यावेदन/शिकायत प्रस्तुत करना हो तो आयोग के अधिकृत ई-मेल आई डी cgpsc.cg@gov.in एवं आयोग कार्यालय छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग, नार्थ ब्लॉक सेक्टर-19, अटल नगर नया रायपुर के शिकायत प्रकोष्ठ (विधि अनुभाग) में सीधे अभ्यावेदन/शिकायत प्रस्तुत कर सकते है, जिनका नियमानुसार निराकरण कराया जाकर संबंधितों को सूचित करने की कार्यवाही की जावेगी। (क्रमांक- 3494/मनोज)
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परीक्षाओं और सरकारी पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में धांधली से युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है
युवाओं की भावनाएं:
- क्रोध: युवा ऐसी अनियमतताओं से नाराज हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है। वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।
- निराशा: युवा निराश होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके सपने और आकांक्षाएँ चकनाचूर हो जाती हैं। वे सरकारी नौकरी पाने की अपनी संभावनाओं को लेकर चिंतित रहने लगते हैं।
- अविश्वास: युवा सरकार और संस्थानों में अपना विश्वास खो देते हैं। उन्हें लगता है कि सरकार उनके हितों की रक्षा करने में विफल रही है।
- आशंका: युवाओं को भविष्य की चिंता सताती है। उन्हें लगता है कि अगर सरकार और संस्थान भरोसेमंद नहीं हैं, तो उनके लिए आगे बढ़ना मुश्किल होगा।
घोटाले का प्रभाव:
- नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं का भविष्य: ऐसे घोटाले नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के भविष्य के लिए खतरा है। जिन लोगों ने परीक्षा पास की थी, वे अपनी नौकरी खोने के डर में हैं।
- सरकार और संस्थानों में विश्वास की कमी: इस प्रकार के घोटाले सरकार और संस्थानों में युवाओं के विश्वास को कमजोर कर देते हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता: इस घोटाले से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।
आगे का रास्ता:
- जांच: इस घोटाले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
- दोषियों को सजा: जो लोग इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
- भर्ती प्रक्रिया में सुधार: भर्ती प्रक्रिया में सुधार किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
- युवाओं को आश्वासन: सरकार को युवाओं को आश्वासन देना चाहिए कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी।
निष्कर्ष
CGPSC घोटाला एक गंभीर मुद्दा है जिसका समाधान तत्काल किया जाना चाहिए। सरकार को युवाओं की भावनाओं को समझना चाहिए और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाना चाहिए। ऐसे मामले न केवल संवैधानिक पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता के सवाल खड़े करते हैं, बल्कि सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करता है।
(कापीराइट – इंडियासीएसआर)
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