- केयर इंडिया CARE India पर कथित तौर पर कानून का उल्लंघन का आरोप है।
- भारत में विदेशी मदद से चल रहे एनजीओ की कमर तोड़ने की कोशिश जारी है। ताजा घटनाक्रम के अनुसार केयर इंडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- 1950 से भारत में यह संगठन कार्य कर रहा है। सामाजिक संगठनों पर कानून के उल्लंघन का आरोप लगाकर सामाजिक संगठनों को खत्म करने का सिलसिला चल रहा है।
नई दिल्ली। भारत के सामाजिक क्षेत्र में उथल-पुथल मचा हुआ है। विदेशी चंदों से भारत में सामाजिक परियोजनाएँ चलाने वाली बहुराष्ट्रीय एनजीओ को लेकर भारत सरकार सख्त हो गई है। आए दिन किसी न किसी एनजीओ की जड़ें सरकार काटने पर तुली हुई है। सामाजिक क्षेत्र में एनजीओ (Non-Governmental Organizations) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। यह संगठन सरकार और सामाजिक-आर्थिक प्रणाली के बीच का सेतु का कार्य करती रही हैं, और उन्हें अक्सर ‘तृतीय सेक्टर’ के रूप में भी जाना जाता है।
CARE India Licence: भारत सरकार द्वारा सख्त एक्शन लेते हुए एनजीओ केयर इंडिया के विदेशी फंडिंग लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के कथित उल्लंघन को लेकर यह कड़ा कदम उठाया गया है।
भारत में संचालित केयर इंडिया, केयर इंटरनेशनल के अधीन संचालित होती है। यह संगठन पिछले 70 वर्षों से भारत में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक उत्थान उद्देश्यों के साथ भारत में सरकार और कारपोरेट जगत की साझेदारी द्वारा काम कर रहा है।
CARE India licence
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एनजीओ को अपने एफसीआरए रजिस्ट्रेशन को निलंबित करने के लिए नोटिस दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक केयर इंडिया, जो बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, वर्ल्ड बैंक, मलाला फंड और यूएसएआईडी जैसे भागीदारों के साथ काम करती है, उसने निलंबन नोटिस की प्राप्ति की पुष्टि की।
CARE India Solutions for Sustainable Development (CISSD) को गृह मंत्रालय से एक नोटिस प्राप्त हुआ है, जिसके अनुसार CISSD का FCRA रजिस्ट्रेशन अस्थायी रूप से 180 दिनों की अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है।
इस नोटिस पर केयर इंडिया का कहना है कि हम सरकार के लिए स्पष्टीकरण पर काम कर रहे हैं और आश्वस्त हैं अस्थायी निलंबन रद्द कर दिया जाएगा।
एनजीओ ने कहा कि वह “अटल प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा कर रहा है और हमेशा स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन के क्षेत्रों में समग्र और स्थायी परिवर्तन लाने के लिए नियमों का पालन करता है।”
2021-22 के लिए केयर इंडिया के लिए ऑडिटर के सर्टिफिकेट के अनुसार 2021-22 के दौरान विदेशी योगदान के रूप में 377.5 करोड़ रुपए प्राप्त करने वाले एनजीओ को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133ए के तहत 7 सितंबर 2022 को ‘सर्वे’ के अधीन किया गया था।
केयर इंडिया ने 2021-22 में 21 भारतीय राज्यों में 90 परियोजनाओं के माध्यम से 84.2 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करने का दावा किया है।
CARE International दुनिया के सबसे बड़े गरीबी से लड़ने वाले संगठनों में से एक है, जो आपातकालीन स्थितियों से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करता है, और लंबे समय के लिए आजीविका को मजबूत करने के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का योगदान देता है।
2021-22 के लिए CARE India के ऑडिटर के प्रमाण पत्र के अनुसार, जिस एनजीओ को 2021-22 के दौरान विदेशी योगदान के रूप में 377.5 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, उसे आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133A के तहत एक कर ‘सर्वेक्षण’ का विषय बनाया गया।
हालांकि, यह पहले इस प्रकार का मामला नहीं है। कुछ प्रमुख एनजीओं जैसे कि Oxfam India और Centre for Policy Research (CPR) को समान आरोपों पर लाइसेंस देने से इनकार कर दिया गया है।
पिछले साल, Oxfam की FCRA लाइसेंस की नवीनीकरण की अनुरोध को कथित FCRA उल्लंघनों के कारण खारिज कर दिया गया था। इस बीच, सीपीआर का FCRA पंजीकरण भी फरवरी में निलंबित कर दिया गया।
यह माना जा रहा है कि ताजा घटनाक्रम से हतोत्साहित कर एनजीओ आने वाले दिनों में देश में अपने संचालन को कम करने पर भी विचार कर सकती है। हालांकि, संगठन ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं जारी किया है।
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