पटना। चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना (CIMP) द्वारा आयोजित सार्वजनिक नीति और प्रबंधन पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICPPM 2025) के अंतिम दिन नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और जमीनी स्तर पर कार्यरत परिवर्तनकर्मियों ने जलवायु लचीलापन, सतत विकास और स्थानीय शासन पर केंद्रित विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों और संवादों में भाग लिया।
दिन की शुरुआत दो समानांतर तकनीकी सत्रों के साथ हुई। पहले सत्र में उद्योग और कृषि क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन तथा स्थिरता पर केंद्रित शोध प्रस्तुत किए गए, जिनमें समावेशी विकास, पर्यावरणीय जोखिम, ग्रामीण आजीविका, श्रमिक प्रवासन और खाद्य सुरक्षा जैसे विषयों को संबोधित किया गया। इन अध्ययनों ने यह दर्शाया कि किस प्रकार जलवायु कार्रवाई और स्थिरता को भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में एकीकृत किया जा सकता है।

दूसरे सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक नीति के प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। इसमें शिक्षा सुधार, आधारभूत संरचना, असंगठित क्षेत्र की महिलाओं, कृषि में जलवायु अनुकूलन, डिजिटल सुरक्षा और हरित गतिशीलता जैसे मुद्दों पर शोध पत्र शामिल थे। इस सत्र में साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, क्षेत्रीय मूल्यांकन, और विकास परिणामों के आकलन हेतु मज़बूत ढांचों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
दोपहर के सत्र में, “एसडीजी का स्थानीयकरण: क्षेत्रीय अनुभवों से प्राप्त साक्ष्य” विषय पर एक उच्चस्तरीय पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा में वैश्विक लक्ष्यों को स्थानीय संदर्भों में लागू करने की रणनीतियों पर विचार किया गया। पैनल में सफल मॉडलों के साथ-साथ उन चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया जो सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को क्षेत्रीय नीतियों और सामुदायिक पहलों में शामिल करने के प्रयासों में सामने आती हैं। भारत के विभिन्न भागों, विशेष रूप से बिहार से प्राप्त अनुभवों के माध्यम से, इस सत्र ने सहभागी शासन, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और संस्थागत क्षमता के महत्व को रेखांकित किया। इस चर्चा का संचालन बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के डॉ. सुधांशु कुमार ने किया और इसमें शिक्षाविदों, पंचायती राज संस्थाओं, आशा कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज और विकास क्षेत्र के विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी रही।

दिन का समापन अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई के पर्यावरण प्रबंधन और विधि के प्रोफेसर, प्रो. डॉ. एस. गणपति वेंकटासुब्रमणियन के समापन संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने सतत विकास को बढ़ावा देने में कानूनी ढांचे और पर्यावरणीय शासन की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार साझा किए।

दो दिवसीय सम्मेलन का समग्र सारांश प्रो. सिबानंद सेनापति, एसोसिएट प्रोफेसर, CIMP द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने मुख्य निष्कर्षों और इस आयोजन की सहयोगात्मक भावना को रेखांकित किया। प्रो. (डॉ.) राणा सिंह, निदेशक, CIMP ने सभी प्रतिभागियों का सम्मान किया और आयोजन टीम को इस सफल सम्मेलन के लिए बधाई दी। सम्मेलन का औपचारिक समापन प्रो. देबब्रत समंता, सहायक प्रोफेसर, CIMP एवं सम्मेलन संयोजक द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी वक्ताओं, प्रतिनिधियों और भागीदारों का उनके बहुमूल्य योगदान के लिए आभार प्रकट किया।