लेखक- रुसेन कुमार
जब से मनुष्य ने अपने अस्तित्व के बारे में सोचना और विचारना शुरू किया है, तभी से वह इस गहरे प्रश्न का उत्तर खोजने में लगा हुआ है: जीवन का अर्थ क्या है? यह प्रश्न समय और स्थान की सीमाओं से परे है, और यह मानव चेतना के हर स्तर पर बार-बार उठता रहा है। मनुष्य ने जब से चेतना का विकास किया है, तब से वह इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में विभिन्न दिशाओं में यात्रा करता रहा है—चाहे वह दर्शन हो, विज्ञान हो, या धर्म।
जीवन का अर्थ और उद्देश्य
जीवन का अर्थ और उद्देश्य एक ऐसा प्रश्न है जो मानव सभ्यता के अस्तित्व के साथ ही जुड़ा हुआ है। लगभग 3000 वर्षों के मानव इतिहास में, इस प्रश्न ने अनेकों वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, मनोवैज्ञानिकों, विचारकों, संतों और नेताओं को चिंतन और शोध के लिए प्रेरित किया है। इन सभी ने अपने-अपने दृष्टिकोण से इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया है।
कई विचारकों का मानना है कि जीवन का उद्देश्य स्वयं जीवन को समझना और उसे पूरी तरह से जीना है। जीवन की उपयोगिता केवल जीवित रहने में नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को उसकी संपूर्णता में अनुभव करने में है। इसके विपरीत, कुछ विचारकों ने मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य माना है और इसे स्वीकार करने की कला सिखाने पर जोर दिया है।
जीवन की उपयोगिता: जीना या मरना?
यह प्रश्न आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि हजारों वर्ष पहले था। जीवन की उपयोगिता केवल जीने में है या मरने में? यह विचार विभिन्न दार्शनिक और धार्मिक शिक्षाओं के केंद्र में रहा है। भारत और दुनिया के विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में जीवन को सही तरीके से जीने की शिक्षा दी गई है। ये ग्रंथ हमें सिखाते हैं कि जीवन को कैसे जिया जाना चाहिए ताकि हम अपने अस्तित्व का सही अर्थ समझ सकें और इसे पूरी तरह से अनुभव कर सकें।
चिकित्सा शास्त्र का मुख्य उद्देश्य है लोगों को जीवित रखना, उन्हें बीमारियों से बचाना और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना। आज असंख्य दवाइयाँ “जीवन रक्षक” के रूप में बेची और खरीदी जाती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि जीवन को बचाना और उसे लम्बा करना मानवता का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। फिर भी, यह एक कटु सत्य है कि प्रतिदिन असंख्य लोग किसी न किसी कारण से मृत्यु का सामना करते हैं। चाहे वह प्राकृतिक हो या दुर्घटनाजन्य, मृत्यु एक अनिवार्य सत्य है जो जीवन के साथ जुड़ा हुआ है।
निराशा और मृत्यु की कला
जीवन में निराशा और दुख के कारण भी लोग मृत्यु का चयन करते हैं। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता। मानसिक और भावनात्मक पीड़ा, असफलताएँ, और जीवन की कठिनाइयाँ अक्सर लोगों को इस हद तक धकेल देती हैं कि वे मृत्यु को गले लगाने में ही राहत महसूस करते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को जीवन निरर्थक और बेकार लगने लगता है।
जीवन और मृत्यु की अनंतता
जीवन और मृत्यु की यह यात्रा अनंत है। जहाँ एक ओर कुछ लोग जीवन की कठिनाइयों से लड़ते हैं और उसे सफलतापूर्वक जीने की कला सीखते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग निराशा के चलते मृत्यु का मार्ग चुनते हैं। यह एक ऐसा द्वंद्व है जो मानवता के हर युग में प्रकट होता रहा है।
जीवन का अर्थ और उद्देश्य खोजने की यह यात्रा निरंतर जारी है। यह खोज न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानव सभ्यता के विकास और अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है। चाहे हम जीवन को जीने की कला सीखें या मृत्यु को स्वीकारने की, यह स्पष्ट है कि यह यात्रा हमें हमारी सीमाओं, हमारी क्षमताओं, और हमारे अस्तित्व के गहरे रहस्यों को समझने में मदद करती है।
यहाँ पर मैं मुख्य तौर पर जीवन जीने के प्रमुख रूप से प्रचलित तरीकों के बारे में दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत करूँगा। यह विचार आपको अवश्य ही जीवन के बारे में बेहतर समझ विकसित करने में मदद करेंगे।
- जी जी के जीना
- जी जी के मरना
- मर मर के जीना
- मर मर के मरना
इन बातों को विस्तार से समझने के लिए कुछ विचार करते हैं। ये विचार आपको जीवन को समझने में मदद करेंगे । जीवन के प्रति आप किस तरह का नजरिया रखते हैं उसका भी पता लगा सकते हैं । आप इन वाक्यों पर विचार कीजिए –
- हमें जीवन तो माँ के गर्भ में मिल जाता है, लेकिन हम गर्भ से बाहर निकल कर कई वर्षों बाद जीवन को जीना प्रारंभ करते हैं।
- जीवन जो मिला है वह किसी उद्देश्य के लिए मिला है या मध्यम-मध्यम मरने के लिए मिला है।
- जीवन यदि आम है तो उसे काट कर खाना चाहिए कि चूस कर खाना चाहिए।
- जीवन अगर ठंडी आइसक्रीम है तो उसे चाट कर खाना चाहिए कि उसे एक ही बार में निगल जाना चाहिए।
- जीवन अगर गर्म काफी है तो उसे फूंक-फूंक कर पीना चाहिए कि उसे पूरी तरह ठंडी करके पीना चाहिए या फिर तेज गर्म अवस्था में पीना चाहिए।
- जीवन अगर भुट्टा है तो उसे मध्यम आंच पर पका कर खाना चाहिए कि उसे उबाल कर खाना चाहिए।
- जीवन अगर किताब है तो उसे रोज पढ़ना चाहिए कि उसे अपनी आलमारी में सहेज कर रखना चाहिए ताकि वह खराब न हो जाए और अधिक समय सुरक्षित रहे।
- जीवन अगर एक गिलास पानी है धीरे-धीरे पीना चाहिए कि एक बार में गटक जाना चाहिए ताकि आने वाली गर्मी के दिनों में भाप बन कर न उड़ जाए।
- जीवन अगर सुंदर घोड़ा है तो उस पर बैठकर सवारी करनी चाहिए कि उसे अस्तबल में बांध कर रोज चने खिलाना चाहिए ताकि वह अधिक समय तक सुंदर और स्वस्थय रहे।
- जीवन एक वस्त्र है तो उसे साफ-सुथरा करके पहना चाहिए या मलीन बनाकर पहनना चाहिए, विचार का विषय है।
ऊपर के इन बातों पर विचार आप बाद में भी कर सकते हैं – जब आप अकेले में चिंतनशील होंगे या समूह में परिचर्चा कर रहे होंगे। इन बातों को थोड़ा आगे बढ़ाते हैं। जीवन को समझने की कोशिश करते हैंः
1. जी जी के जीना: आदर्श जीवन
जी जी के जीने का अर्थ है हर पल का आनंद लेना, लेकिन केवल शारीरिक स्तर पर नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने कार्यों, सोच और भावनाओं से पूरी तरह जुड़े होते हैं। यह जीवन केवल सांस लेने भर का नाम नहीं है, बल्कि यह वह जीवन है जिसमें हम अपने उद्देश्यों को समझते हैं, अपने कार्यों को दिशा देते हैं और एक बड़े उद्देश्य के साथ जीते हैं।
इसे विस्तार से समझते हैं।
शारीरिक स्तर से परे जीवनः आमतौर पर, हमारे समाज में जीने का अर्थ अक्सर केवल भौतिक सुख-सुविधाओं तक सीमित हो जाता है। लोग सोचते हैं कि जीवन का आनंद केवल भौतिक वस्त्रों, संसाधनों और उपभोग से प्राप्त होता है। हालांकि, इस दृष्टिकोण में जीवन की वास्तविक गहराई और अर्थ खो जाता है। शारीरिक सुख-सुविधाएँ आवश्यक हो सकती हैं, लेकिन ये जीवन के आनंद और पूर्णता का आधार नहीं हो सकतीं।
जीने का असली अर्थ केवल सांस लेने, सोने-जगने भर से नहीं है, बल्कि यह उस जीवन को जीने में है जिसमें हम अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित और समृद्ध बनाए रखते हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पहचानते हैं, लेकिन उनसे बंधे नहीं रहते। हम जीवन को उसकी संपूर्णता में स्वीकार करते हैं, जिसमें हम शारीरिक जरूरतों के साथ-साथ मानसिक और आत्मिक शांति की भी तलाश करते हैं।
मानसिक और आत्मिक स्तर पर जीवन का आनंदः जब हम मानसिक और आत्मिक स्तर पर जीवन का आनंद लेने की बात करते हैं, तो इसका अर्थ है कि हम अपने विचारों, भावनाओं और आंतरिक जीवन को समझने और उसे विकसित करने का प्रयास करते हैं। मानसिक स्तर पर जीना यह है कि हम अपने विचारों को स्पष्ट रखें, उन्हें सकारात्मक दिशा में ले जाएँ और अपनी सोच को लगातार विकसित करें। मानसिक संतुलन और शांति जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे हमें पहचानना और उसे बनाए रखना चाहिए।
आत्मिक स्तर पर जीवन का अर्थ यह है कि हम अपने भीतर की गहराइयों में उतरें और अपने अस्तित्व के उद्देश्य को समझें। आत्मिक जीवन का मतलब है कि हम अपने भीतर की आवाज को सुनें, अपने सच्चे स्व को पहचानें और उस दिशा में कार्य करें जो हमारे जीवन के उद्देश्य के साथ मेल खाती हो। आत्मिक जागरूकता हमें जीवन के हर अनुभव को एक गहरे और पूर्ण दृष्टिकोण से जीने की क्षमता प्रदान करती है।
जीवन का उद्देश्य और दिशाः सच्चा जीना वह है जिसमें हम अपने जीवन के उद्देश्यों को समझते हैं और उन्हें प्राप्त करने के लिए कार्य करते हैं। यह जीवन केवल घटनाओं की एक श्रृंखला नहीं है, बल्कि एक यात्रा है जिसमें हर कदम एक उद्देश्य के साथ उठाया जाता है। जब हम अपने कार्यों, सोच और भावनाओं से पूरी तरह जुड़े होते हैं, तब हम अपने जीवन को एक बड़े उद्देश्य की दिशा में जीते हैं।
यह उद्देश्य व्यक्तिगत हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत विकास, परिवार की खुशहाली, या समाज की भलाई। या यह किसी बड़े मिशन का हिस्सा हो सकता है, जैसे कि मानवता की सेवा, पर्यावरण संरक्षण, या सांस्कृतिक उत्थान। जो भी हो, जीवन का सच्चा अर्थ तब प्रकट होता है जब हम अपने कार्यों को उस उद्देश्य की दिशा में ले जाते हैं जिसे हमने अपने लिए चुना है।
नई शुरुआतः सच्चा जीना केवल अतीत की यादों या भविष्य की आशाओं में खोए रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह हर दिन को एक नई शुरुआत की तरह देखने और जीने का नाम है। जब हम अपने हर दिन को नए उत्साह और आशा के साथ जीते हैं, तो हम अपने जीवन के हर पल को महत्वपूर्ण और आनंदमय बना सकते हैं। यह दृष्टिकोण हमें हर दिन को एक नए अनुभव के रूप में देखने की प्रेरणा देता है, जिसमें हम अपने आप को नई चुनौतियों, नए अवसरों और नए अनुभवों के लिए खोलते हैं।
अपने अस्तित्व का सही अर्थ समझनाः जीवन का असली आनंद तब आता है जब हम अपने अस्तित्व का सही अर्थ समझते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं। यह समझ हमारे जीवन की दिशा और उद्देश्य को स्पष्ट करती है। जब हम अपने जीवन को उसकी पूरी गहराई और समृद्धि के साथ जीने का प्रयास करते हैं, तब हम सच्चे अर्थों में जीवन का आनंद लेते हैं।
जीना केवल शारीरिक सुखों तक सीमित नहीं होना चाहिए; यह एक व्यापक और गहरे अनुभव का नाम है जिसमें हम अपने हर पल को, अपनी हर सांस को, और अपने जीवन के हर पहलू को पूरी जागरूकता और उद्देश्य के साथ जीते हैं। यही सच्चे अर्थों में “जी जी के जीना” है, और यही वह जीवन है जिसे हम सबको अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
2. जी जी के मरना: जीवन और मृत्यु का मेल
जी जी के मरना का अर्थ है जीवन और मृत्यु के बीच के संतुलन को समझना। यह वह जीवन है जिसमें हम अपनी मृत्यु की संभावना को समझते हैं, लेकिन उसे अपने जीवन का अंत नहीं मानते। बल्कि, हम इसे एक नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखते हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपनी वर्तमान स्थिति को समझते हैं, अपनी सीमाओं को स्वीकार करते हैं और उन्हें पार करने की कोशिश करते हैं।
यह वह जीवन हो सकता है जिसमें हम हर पल को अंतिम पल के रूप में जीते हैं, लेकिन इसे एक नए अवसर के रूप में भी देखते हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने अतीत की गलतियों से सीखते हैं, वर्तमान को पूरी तरह जीते हैं, समझ बढ़ाते हैं और भविष्य के लिए तैयार करते हैं और तैयार रहते हैं। जी जी के मरने का अर्थ यह भी हो सकता है जीवन की हर स्थिति में संतुलन बनाना, चाहे वह खुशी हो या दुख, सफलता हो या असफलता। पूरी तरह जी के मरना ही ज्यादा बेहतर हो सकता है। मृत्यु को किसी भी स्थिति में रोका नहीं जा सकता। अनेक बार यह भी कहा गया है कि दुःख का नाम ही मृत्यु है। कई बार तो निराशा का नाम मृत्यु है – ऐसा भी कहा गया है।
कम शब्दों में कहें तो “जी जी के जीना, मगर मर के जीना” का भावनात्मक अर्थ हमें यह सिखाता है कि जीवन और मृत्यु केवल भौतिक अवस्थाएं नहीं हैं, बल्कि ये हमारे अस्तित्व के गहरे अर्थों को समझने और उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने जीवन के हर पहलू को पूरी तरह जीते हैं, लेकिन साथ ही अपने भीतर की नकारात्मकताओं को समाप्त करते हुए एक नए जीवन की ओर बढ़ते हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने अस्तित्व के सही अर्थ को समझते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं।
3. मर मर के जीना: दुखों में जीना
मर मर के जीना का अर्थ यह हो सकता है कि हम जीवन के हर दुख, कष्ट, और पीड़ा को सहन करते हुए जीते हैं। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने संघर्षों से लड़ते हैं, लेकिन हार नहीं मानते, लेकिन संतुष्टि की अवस्था तक नहीं पहुँच पाते। मर मर के जीना वह अवस्था हो सकती है जिसमें हम अपने जीवन की कठिनाइयों को स्वीकार करते हैं और उनके साथ जीने की कोशिश करते हैं।
दुख और कष्ट जीवन का हिस्सा हैं, और मर मर के जीना हमें सिखाता है कि हम अपने दर्द और पीड़ा के साथ भी जी सकते हैं। यह जीवन का वह तरीका हो सकता है जिसमें हम अपने दुखों को स्वीकार करते हैं, लेकिन उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देते। मर मर के जीना हमें बताता है कि जीवन का सच्चा अर्थ केवल सुख में नहीं, बल्कि दुखों में भी हो सकता है। यह वह जीवन हो सकता है जिसमें हम अपने दुखों को समझते हैं, उनसे सीखते हैं, और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।
4. मर मर के मरना: आत्मा की अंतिम यात्रा
मर मर के मरना का अर्थ यह भी हो सकता है कि हम अपनी आत्मा की अंतिम यात्रा पर होते हैं, जहां हम अपने जीवन के सभी अनुभवों, संघर्षों और संघर्षों को छोड़कर एक नए अस्तित्व की ओर बढ़ते हैं। यह वह यात्रा है जिसमें हम अपने अहंकार, इच्छाओं और भौतिक सुखों को त्याग कर एक नए और उच्चतर जीवन की ओर बढ़ते हैं।
मर मर के मरना का अर्थ यह भी हो सकता है कि हम अपनी पुरानी आदतों, सोच और धारणाओं को मरने दें ताकि हम एक नए और उच्चतर अस्तित्व की ओर बढ़ सकें। यह वह जीवन है जिसमें हम अपने भीतर की नकारात्मकताओं को समाप्त करते हैं और एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं।
“मर मर के मरना” को एक अत्यंत कष्टदायक अनुभव परिभाषित कर सकते हैं – लेकिन यह हमें जीवन के गहरे अर्थ और मूल्य को समझने का अवसर भी प्रदान करता है। जब हम अपने सबसे कठिन संघर्षों से गुजर रहे होते हैं, तब हम अपने भीतर की शक्ति और धैर्य को पहचान पाते हैं। यह अनुभव हमें सिखाता है कि जीवन में दुःख और निराशा भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमें जीवन की नाजुकता और उसकी वास्तविकता से अवगत कराते हैं, समय रहते अपनी किसी गलती को सुधार सकते हैं।
“मर मर के मरना” का अर्थ है बार-बार दुख और निराशा का सामना करना भी हो सकता है। जैसे कि हर बार जब हम किसी गहरे दर्द या कष्ट से गुजरते हैं, तो ऐसा लगता है मानो हम भीतर से मर रहे हों। यह वह स्थिति है जिसमें जीवन का प्रत्येक क्षण एक संघर्ष बन जाता है, जहाँ हर दिन और हर रात उस पीड़ा और हताशा से भरी होती है जिसे झेलने के लिए हमारी आत्मा बार-बार मरने जैसा अनुभव करती है।
“मर मर के मरना” गहन पीड़ा और निराशा की उन गहराइयों का प्रतीक है जो जीवन के कठिन क्षणों में हम अनुभव करते हैं। यह वह संघर्ष हो सकता है जिसमें हम बार-बार अंदर से टूटते हैं, लेकिन फिर भी जीवन के किसी न किसी कोने में हमें उम्मीद की एक किरण मिलती है, जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
मेरा ऐसा विचार है कि जीवन निजी (स्वयं का) भी और सामाजिक भी है। ऐसा हो सकता है कि आपका जीवन आपके लिए मूल्यवान प्रतीत न होता हुआ लग सकता है लेकिन फिर भी आपका जीवन अन्य लोगों के लिए प्रेरणा और आशा का रूपक भी हो सकता है। मुझे लगता है कि मनुष्य का जीवन अधिक रूप में निजी (स्वयं के लिए) हो सकता है लेकिन जीवन को समझे के लिए जीवन की निजता को महत्व देना चाहिए। निजतापूर्ण जीवन के साथ सामाजिकता पूर्ण जीवन भी जीवन को परिभाषित कर सकता है।
(लेखक – विचारक हैं।)
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